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है कि भोर की किरणें आपके शरीर पर पड़ती है तो वे अमृत का काम करती हैं। सुबह की हवा सौ दवा के बराबर है। इसलिए जितना आपसे संभव हो उतना व्यायाम अवश्य करें । स्वास्थ्य-रक्षा के लिए प्राणायाम को भी जोड़ लें ।
स्वास्थ्य पर रखिए सतर्क निग़ाहें
तीसरा बिंदु है - आरोग्य के प्रति हर बूढ़ा व्यक्ति सतर्क रहे। शरीर में होने वाले किसी रोग को नज़रअंदाज़ करने की बजाय तत्काल उसका समाधान करने की कोशिश करें। यह न सोचें कि अब क्या करना है, बूढ़े हो गए हैं, कौन डॉक्टर को दिखाए, कौन दवा का खर्चा करे, जैसे-तैसे ठीक हो जाएँगे। जीवन भर दुकान, मकान, कोठी पर खर्च करते रहे लेकिन आप अपने स्वास्थ्य की अवहेलना न करें। किसी भी प्रकार के रोग के लक्षण नजर आए तो उसके प्रति सावधानी रखें। उसका तुरंत इलाज कराएं ताकि रोग भयावह रूप धारण न कर सके। आप जो दवाएँ ले रहे हैं उनको निर्देश के अनुसार जारी रखें। कभी शरीर में थकान, टूटन, जकड़न या कमजोरी महसूस हो रही हो तो दूध के साथ हल्दी ले लिया करें। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं । कभी आपके पेट में तकलीफ हो जाए या शरीर में कहीं हल्काफुल्का दर्द उठ जाए तो घरेलू उपचार भी किए जा सकते हैं । आपकी रसोई भी छोटा- -सा दवाखाना है। इसमें रखी हुई हल्दी, मैथीदाना, अजवाइन का भी यदा-कदा सेवन करते रहें । ये हैं तो बहुत छोटी चीजें, पर हैं बहुत लाभकारी । ये आपके शरीर पर दवा का काम करते हैं । हम अगर अपने शरीर के प्रति सतर्क रहते हैं तो स्वस्थ व निरोगी जीवन जी सकते हैं ।
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बचें दख़ल अंदाज़ों से
अपना दैनिक कार्यक्रम बनाएँ । घर में अधिक दखलअंदाज़ी न करें । जो जैसा कर रहा है उसे करने दें। घर में रहते हुए अधिक दखलअंदाजी करेंगे तो दो नुकसान होंगे, एक तो परिवार के लोग आपसे टूटेंगे, आपकी बात नहीं सुनेंगे, दूसरा आप मानसिक रूप से अशांत रहेंगे। आपने अनुभव किया होगा कि जब आप घर की बहुओं को लेकर नुक्ताचीनी करते हैं या छोटीछोटी बातों पर हस्तक्षेप करते हैं, तो परिवार वाले आपकी उपेक्षा करने लगते हैं। हां, अगर कोई बहुत बड़ी घटना हो जाए तो कम-से-कम शब्दों में
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