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फिर मंत्री गया और अब तुम राजन् उनके पीछे जाओ ।' व्यक्ति की वाणी सुनकर अंधा भी समझ लेता है कि व्यक्ति किस श्रेणी का है। इंसान अपने व्यवहार कों सुधारकर ज़िंदगी को बेहतर बना सकता है।
हम ही जीवन - शिल्पी
आप काले हैं या गोरे, इससे क्या फ़र्क पड़ता है। गोरा और काला होना आपके हाथ में नहीं है, लेकिन अच्छा व्यवहार आपके हाथ में है । ऊँचा कुल नसीब से मिलता है, लेकिन सद्व्यवहार आपको कुलीन बना सकता है। वैसे भी मैं नसीब की बातें नहीं करता क्योंकि उसे बनाना, सुधारना या बिगाड़ना हमारे हाथ में नहीं है पर जो खुद के हाथ में है वह जीवन हम ही सुधार या बिगाड़ सकते हैं। शरीर का रंग-रूप तो सदा एक जैसा रह भी सकता है, लेकिन मैं उस जीवन की बात करता हूँ जिसे हम रंग-रूप देते हैं, दे सकते हैं। मैं जीवन का वह संगीत देना चाहता हूँ जिसकी झंकार सुनकर आप अपना जीवन बदल सकते हैं ।
जीवन के व्यवहार को बदलना और उसे बेहतर बनाना हर किसी के हाथ में है । आप सम्पन्न घर में पैदा हुए या विपन्न घर में यह नसीब की बात है । आपके पिता सद्व्यवहार करते हैं या दुर्व्यवहार, यह भी नसीब की बात है, लेकिन आप औरों के साथ कैसे पेश आते हैं, आपकी सोच और विचार कैसे हैं, आपका व्यवहार कैसा है यह नसीब की नहीं, आपकी अपनी देन है । इसलिए मैं आपसे आपके नसीब को नहीं व्यवहार को सुधारने की बात कहता हूँ । नसीब भी तब सुधर जाता है जब आप खुद सुधर जाते हैं।
मेरे पास एक महानुभाव आये और कहने लगे, ‘अगर आपका दिमाग़ मुझे मिल जाता तो मैं एक बेहतर इन्सान बन जाता।' मैंने कहा, 'इस बात को छोड़ो, तुम एक बेहतर इंसान बन जाओ मेरा दिमाग़ तुम्हें अपने आप मिल जाएगा।' मेरा दिमाग़ देना तो मेरे हाथ में नहीं है लेकिन अगर आप बेहतर इंसान बन गए तो स्वयं का दिमाग़ विकसित करने में स्वयं समर्थ हो जाओगे । बाहर-भीतर बनें अभेद
हम देखें कि हमारा व्यवहार कैसा है। एक बार आत्मावलोकन कर लें कि हमारा व्यवहार, हमारा विचार, हमारी सोच, हमारा अंतरंग जीवन इनमें कहीं भेद-रेखा तो नहीं है ? एक बार देख लें कि हमारी हँसी के भीतर कोई
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