________________
उत्सुकता जगी और पढ़ाई प्रारंभ की। वे महाशय डॉ. जे.एल. बोहरा हैं। संबोधि-धाम में 'बैच-फ्लॉवर' रैमेडीज से चिकित्सा की जाती है जो जर्मनी से संबंधित है। उन्होंने जर्मन से अध्ययन शुरू किया, परीक्षाएँ दी और जिंदगी के बहत्तरवें वर्ष में वे डॉक्टर बने, है न प्रशंसा की बात ! आदमी बनना चाहे और न बन सके ! जो बनना चाहता है वह बुढ़ापे में भी बन सकता है और जिसे बिगड़ना हो वह जवानी में भी बिगड़ सकता है। इसलिए स्वयं को कभी कमज़ोर महसूस न करें। अपने दिमाग़ को उज्ज्वल, निर्मल
और पवित्र रखें। जो है उसे प्रेम से स्वीकार करें। मुझे याद है महात्मा गांधी एक बार श्रीलंका गए थे, कस्तूरबा भी साथ ही थी। वहाँ उन्हें किसी समारोह की अध्यक्षता करनी थी। वहाँ उनका स्वागत-सत्कार हुआ। संयोजक महोदय खडे हए और बोले यह हमारा सौभाग्य है कि आज हमारे यहाँ भारत के एक महापुरुष महात्मा गांधी पधारे हैं, उनके साथ उनकी माँ कस्तूरबा भी आई है। गुजराती में माँ को 'बा' कहते हैं, सो उसने समझा कि ये गांधी जी की माँ होंगी।
सभा में बैठे हुए लोग चौंक गए कि संयोजक महोदय यह क्या बोल गए? क्या उन्हें नहीं मालूम कि कस्तूरबा उनकी पत्नी है, माँ नहीं। किसी ने जाकर उन्हें बताया 'बा' माँ नहीं, गांधीजी की पत्नी है। वह खड़ा हुआ और माफ़ी मांगने लगा कि उससे भूल हो गई। संयोजक चुप हो, इससे पहले ही गांधी जी खडे हो गए और कहने लगे, 'इस व्यक्ति ने मेरी सोच को सुधारा है, मैं तो बुढापे की ओर ही जा रहा हूँ। अगर इस व्यक्ति से मेरी पत्नी के लिए माँ का संबोधन निकला है तो आज मैं इस मंच से घोषणा करता हूँ कि आज के बाद कस्तूरबा मेरे लिए मातृवत् ही रहेगी।' पंचरत्न की पोटली ___ जीवन में जिस व्यक्ति की उन्नत सोच होती है, वह हर आने वाले मोड़ को सही तरीके से स्वीकार कर लेता है। मैं सभी वृद्धों से कहना चाहता हूँ कि शरीर भले ही बूढ़ा हो जाए, लेकिन अपनी बुद्धि, अपने विचार, अपने मन को कभी बूढ़ा न होने दें। हम अपने बुढ़ापे को कैसे सार्थक करें? इसके लिए आपको पांच सूत्र देना चाहूँगा।
67
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org