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पुरुष को मित्र बनाते हैं तो यह आपके लिए और उसके दोनों के लिए कल्याणकारी है । शेष तो ब्रह्माण्ड के सभी प्राणियों के लिए मैत्रीभाव, प्रेम और प्रमोद भाव रखें ।
रवीन्द्रनाथ टैगौर ने कहा है - यदि तोरे डाक सुने कोई न आचे तोए एकला चलो रे अगर तुम्हारे साथ कोई अच्छा व्यक्ति नहीं है तो चिंता न करो, बुरे लोगों के साथ जीने के बजाय अकेले चलो। तुम अपने मित्र स्वयं बनो। यह एकाकीपन भी तुम्हारे लिए कल्याणकारी होगा ।
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