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छोटी बातों का बड़ा सिरदर्द
जीवन में चिंता का चौथा कारण है - छोटी-छोटी बातों पर माथापच्ची । कोई बहुत बड़ी बात को लेकर व्यक्ति आपस में उलझे, चर्चा भी करे, बात भी करे तो समझ में आये, लेकिन छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े होते हैं । घर में सोने-चांदी, कपड़े मकान-दुकान को लेकर झगड़े नहीं होते, बहुत छोटी बातें, बड़ी बातें बन जाती हैं और झगड़े शुरू हो जाते हैं। एक छोटा-सा समाधान बहुत बड़ी समस्या को समाप्त कर सकता है और एक छोटी-सी उलझन ज़िंदगी में बहुत बड़ी समस्या को पैदा कर सकती है । व्यक्ति अपने जीवन में छोटी-छोटी बातों की मग़जमारी से मुक्त रहे ।
चिंता का एक और कारण है जीवन में पलने वाली छोटी-छोटी बातों के लिए वैर-विरोध की गांठ । कुछ लोग ऐसे होते हैं जो छोटी-छोटी बातों की गांठ बांध लेते हैं और गांठ भी ऐसी कि चाहे जितनी कोशिश करो, गांठ नहीं खुले। भगवान से पूछा गया 'प्रभो! दुनिया में बंधन और मुक्ति क्या है ?' भगवान ने कुछ उत्तर न दिया। थोड़ी देर बाद उन्होंने पास पड़ा एक वस्त्र उठाया, पता नहीं क्या मन में आया, हाथ में लेकर उसमें गांठ लगा दी । शिष्य को आश्चर्य हुआ कि उसने तो भगवान से पूछा था कि बंधन क्या है तो भगवान ने कोई ज़वाब नहीं दिया, बल्कि कपड़े में गांठ लगाकर उसे भी रख दिया ।
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शिष्य ने थोड़ी देर बार पूछा 'भगवन ! मुक्ति क्या है ?' भगवान फिर भी मौन रहे। उन्होंने उस वस्त्र को पुनः उठाया, उसकी गांठ खोली, वापस समेटा और अपने पास रख लिया । शिष्य ने कहा 'प्रभो! मैं तो आपसे प्रश्न पूछ रहा हूँ और आप तो नई पहेली खड़ी कर रहे हैं, कपड़े में गांठ लगाते हैं और कभी खोलते हैं ।' भगवान ने कहा 'वत्स, मैं तुम्हारे प्रश्नों का ही जवाब दे रहा हूँ।' जिंदगी में बंधन वही होता है, जहाँ गांठ होती है और मुक्ति वहीं मिल जाती है, जहाँ व्यक्ति अपने मन की गांठों को खोल देता है । ' सुविधाएँ सारी, नींद नहीं
कोई बहुत बड़े संकट ज़िंदगी में चिंता के कारण नहीं बनते हैं बल्कि छोटी-छोटी बातों के कारण ही व्यक्ति चिंताग्रस्त हो जाता है । चिंता के दुष्परिणाम आपने देखे हैं? आप चिंता का एक भी अच्छा परिणाम नहीं
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