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वर्तमान में जीने की कोशिश कीजिये। जो जैसा मिला है उसे जिया जाए। जैसे आप अपने घर में खूटियों पर कपड़े लटकाते हैं वैसे ही उन खूटियों पर अतीत की यादें लटका दें, भविष्य की कल्पनाओं को लटका दें और आप वर्तमान में जिएं। जो वर्तमान में जीता है जैसी व्यवस्था मिलती है उसे स्वीकार कर लेता है, वह चिंतामुक्त है। कोटरी का भी स्वागत करो और कोठी का भी स्वागत करो। वर्तमान में जीते हुए प्रकृति के सान्निध्य में रहने की कोशिश करें। प्रकृति जो कर दे वही ठीक है। चिंता करने से जीवन के संयोग नहीं बदलते। चिंताओं से समस्या का समाधान भी नहीं निकला करता।
__ अच्छा होगा चिंता करने की बजाय चिंतन करें, निर्णय लें तदनुसार कार्य करें, परिणाम जो आये उसका स्वागत करें। एक अन्य काम और करें कि जीवन में घटी दुघर्टना को अधिक तवज्ज़ो न दें। उठा-पटक हर किसी की जिंदगी में होती है तभी तो आदमी को 'समझ' आती है। लेकिन जो बात तनाव दे जाए उसे अहमियत न दें। अगर कुछ विपरीत हो जाये तो उसे सहजता से लें। जिसके जैसे होंठ रहे उसने वैसी बात कही। किसी ने गीत गाये तो ठीक, गालियाँ दी तो भी ठीक।
चिंता से बचने का एक अन्य उपाय है, निरर्थक बातों में वहम न पालें। अगर आपकी पत्नी फोन पर किसी पुरुष से बात कर रही है तो शक न करें। पत्नी को तो पता नहीं आप वहम कर रहे हैं, लेकिन वहम करके आप अपने को अंदर से खोखला ज़रूर कर रहे हैं। बार-बार वहम करके आप मानसिक तौर पर दु:खी हो जाते हैं। एक-दूसरे पर विश्वास रखें । व्यक्तित्व को जुझारू बनाएं
चिंता से बचने के लिए जीवन से जूझने का प्रयास करें। जो होगा, सो देखा जाएगा। क्यों व्यर्थ के तनाव और चिंता पालें, अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों से व्यक्ति जूझने का प्रयास करे। अपने प्रयास पर अटल रहें, अन्यथा छोटी-छोटी बातों को लेकर आप तनाव पालते जाएंगे और जीवन में कभी कोई निर्णय नहीं कर पाएंगे। चिंतन करें, पर चिंता से बचें। अच्छी और श्रेष्ठ किताबें अवश्य पढ़ें। याद रखें, एक अच्छी पुस्तक हमारी सहचर होती है
और वक्त-बेवक्त में हमें सही मार्गदर्शन देती है। अगर आप अच्छी किताबें - पढ़ते हैं तो आपकी चिंता चिन्तन में परिणित हो सकती है।
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