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पाएंगे। चिंता में सबसे पहले नींद जाती है। भले आप मखमल के गददे पर ए.सी. में सोए हों, लेकिन चिंता आपके साथ है तो आप सुख की नींद नहीं सो पाते। अमेरिका में तो तीस प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो नींद की गोली न लें तो नींद नहीं आती। सुविधाएं सारी हैं, पर चैन की नींद नसीब नहीं। नींद न आना, चिंता का पहला दुष्परिणाम है। ___ अच्छी नींद के लिए आप एक प्यारी-सी विधि से गुजर सकते हैं। पहले आँखे बंद करके लेट जाएं। स्वयं को अनर्गल विचारों से मुक्त करें और अनुभव करें कि हर सांस के साथ आप एकदम अच्छा और शांत महसूस कर रहे हैं। उसके बाद धीरे-धीरे सांस छोडें और साथ ही शरीर को भी ढीला छोड़ दें। जो सांस आप बाहर छोड़ रहे हैं, उसके साथ महसूस करें कि आप पूरे दिन की थकान और चिंता को बाहर छोड़ते जा रहे हैं और खुद विश्राम पा रहे हैं। आठ-दस बार ऐसा करें। अन्तर्मन में केवल शांति का अनुभव करें।
पाचन शक्ति समाप्त होना चिंता का दूसरा दुष्परिणाम है। अगर आप कब्जियत से पीड़ित हैं तो मान ही लीजिये कि आप चिंताग्रस्त हैं। चिंता कब्जी का मूल कारण है। एक व्यक्ति को कब्ज का रोग था। वह डॉक्टरों के पास गया, अलग-अलग तरह के उपचार किए गए, सभी परीक्षण हो गए, लेकिन रोग का पता न चल सका। कुछ दिनों बाद वह हमारे पास आया और कहा कि उसे पेट का रोग है, हम ही कुछ उपचार कर दें।
मैंने उसके चेहरे को पढ़ा और कहा 'रोग तुम्हारे पेट में नहीं है।' वह सकपकाया और कहने लगा 'सारे डॉक्टर पेट का इलाज़ कर रहे हैं और आप कहते हैं रोग पेट में नहीं है।' मैं उसे अलग कमरे में लेकर गया और प्यार से पूछा 'सच बताओ तुम्हें किसी बात की खास चिंता है क्या ?' पहले टालमटोल करते रहे फिर उसके मन को टटोलने की कोशिश की तो कहने लगा 'साहब! एक बात की जबर्दस्त चिंता है कि आजकल मार्केट बहुत डाउन होता जा रहा है।' मैं समझ गया कि इस व्यक्ति के रोग का क्या कारण है ? 'धंधा मंदा चल रहा है' कहने लगा 'पिछले साल मैंने फैक्ट्री में बीस लाख रुपए कमाए थे, जबकि इस साल केवल आठ लाख ही कमा पाया। बस यही चिंता सता रही है कि अगर ऐसा ही धंधा चला तो अगले वर्ष क्या होगा ?' आठ लाख कमाए इसका संतोष उसे नहीं है, किन्तु बारह लाख न कमा
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