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सुंदरता देखो। मैं देखा करता हूँ कि कुछ लड़के कुंवारे रह जाते हैं क्योंकि उन्हें बहुत सुंदर पत्नी चाहिए । चेहरे की सुंदरता का कैसा मोह ? यह सुंदरता कब ढल जाएगी पता भी नहीं चलेगा। अगर बना सको तो अपने हृदय को जरूर सुंदर बनाओ। जो मिला है, उसे सहजता से स्वीकार करें और अपने शरीर पर ज्यादा ध्यान देने की कोशिश न करें। मैं देखा करता हूँ कि लोग स्वयं के शरीर को सजाने-संवारने में घंटों खर्च कर देते हैं। मैं ऐसे लोगों को भी जानता हूँ जो रोज तैयार होने में दो घंटे लगाते हैं लेकिन वे मंदिर जाते होंगे तो दो मिनट ही वहाँ बैठ पाते होंगे । देह के प्रति कितनी अनुरक्ति है उन्हें ! शरीर का मोह छोड़िए
अगर आपके शरीर पर कोई दाग हो गया है और अगर आप उसी का चिंतन करते रहे तो जीवन भर दुखी रहेंगे, पर यदि यह सोचेंगे कि ठीक है शरीर पर दाग है, मुझ पर नहीं, तो सुखी होंगे। शरीर से अनासक्ति रखें । आज जवानी है, कल बचपन था, परसों बुढ़ापा आएगा और फिर कहानी खत्म! सूरज की तरह जीवन है कि रात होते ही जीवन भी समाप्त हो जाता है रोज सुबह और सांझ के रूप में जन्म और मृत्यु हमारे द्वार पर दस्तक दे रहे हैं आप नहीं बता सकते कि किस दिन से आपके बाल सफेद होने शुरू हुए या किस तारीख को आपके बाल उड़ गए ? दिन प्रतिदिन शरीर ढलता जा रहा है और काले बाल सफेदी की ओर बढ़ रहे हैं ।
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कहते हैं, दशरथ नहा-धोकर आईने के सामने खड़े हुए तो उन्होंने देखा कि उनके सिर का एक बाल सफेद हो गया है । एक सफेद बाल देखकर उनकी चेतना हिल गई कि अब सूचना आ गई है कि अब अपने मन को भी सफेद कर लो। यहाँ तो लोगों के सिर के सारे बाल सफेद हो जाते हैं तब भी मन की कालिमा बरकरार रहती है । जिन्होंने जैन रामायण पढ़ी है वे जानते हैं, कि दशरथ महल के रनिवास में जाते हैं और संसार - त्याग का निर्णय सुना देते हैं। तीनों रानियाँ स्तब्ध रह जाती हैं कि रात में तो संसार में रमे थे और सुबह वैराग्य! यह कैसा निर्णय । दशरथ ने कहा, 'देखो मेरे सिर का एक बाल सफेद हो गया है, और मुझे संसार से वैराग्य / संन्यास लेने का संदेश आ गया है।' सिर का एक सफेद बाल देखकर दशरथ वैराग्य-वासित हो जाते हैं और हमारे सारे बाल भी सफेद हो जाएँ तो भी हम नहीं जाग पाते। चेतना में कोई बोध नहीं जगता कि हम किस ओर जा रहे हैं ।
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