Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ का बचपन [92]; दीक्षा [93]; अष्टछाप की स्थापना [94]; सूर की रचनाएँ [98]; वर्ण्य विषय, मुद्रण एवं प्रकाशन [103] / तृतीय-परिच्छेद : हरिवंशपुराण और सूरसागर की कथावस्तु 117-207 खण्ड-प्रथम [ कृष्ण-चरित्र का पूर्वार्द्ध] प्रस्तावना [117]; श्रीकृष्ण की जन्म लीला [119]; बाल-क्रीड़ा [121]; श्रीकृष्ण का चन्द्र प्रस्ताव [123]; श्रीकृष्ण के लोकोत्तर पराक्रम [124]; (क) पूतना वध [124]; (ख) कागासूर वध [125]; (ग) शकट भंजन [126]; (घ) तृणावृत वध व अन्य असुरादि वध [127]; ऊखल-बन्धन एवं यमलार्जुन उद्धार [128]; गोचारण . प्रसंग [130]; कालियनाग-दमन [132]; गोवर्धन धारण [134]; श्रीकृष्ण द्वारा दावानल-पान [136]; श्रीकृष्ण की रसिक लीलाएँ [137]; (क) रास लीला [138]; (ख) पनघट लीला [142]; (ग) दान लीला [145]; (घ) हिंडोला [149]; (ङ) चीरहरण लीला [150]; (च) वसन्त लीला [152]; अक्रूर का ब्रजगमन [153]; रजत वृतान्त [155]; कुवलयापीड़-वध [156]; चाणूर तथा मुष्टिक वध [157]; कंस वध [158] / खण्ड-द्वितीय [ कृष्ण चरित्र का उत्तरार्द्ध ] श्रीकृष्ण द्वारा उग्रसेन का राज्याभिषेक [159]; नन्द का ब्रज लौटना [160]; उद्धव की . ब्रज यात्रा [161]; कालयवन वध [163]; श्रीकृष्ण का द्वारका गमन [165]; श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिणीहरण [167]; श्रीकृष्ण के अन्य विवाह [171]; प्रद्युम्न जन्म और विवाह [175]; शिशुपाल वध [177]; सुदामा पर श्रीकृष्ण की कृपा [181]; श्रीकृष्ण द्वारा पाण्डवों को सहायता [184]; जरासंध वध [190]; श्रीकृष्ण का नारायण स्वरूप [192]; यादवों का विनाश [195]; श्रीकृष्ण का परमधाम गमन [198]; उपसंहार [200] / चतुर्थ-परिच्छेद : हरिवंशपुराण और सूरसागर में दर्शन 208-255 प्रस्तावना : जैन धर्म [208]; सम्यक् दर्शन [209]; सम्यक् ज्ञान [210]; सम्यक् चारित्र [212]; जीव और आत्मा [214]; माया और बन्ध [218]; मोक्ष [223]; अवतारवाद [231]; पाप-पुण्य और कर्म [234]; पुनर्जन्म [237]; सूरसागर और रास [240]; हरिवंशपुराण और स्याद्वाद [246]; निष्कर्ष [249] /