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. जैनहितैषी
___ एक बातका और उल्लेख कर देना उचित है कि बालकों पर सबसे अधिक असर माताकी शिक्षाका होता है। पर दुर्भाग्यवश हमारे समाजकी मातायें अशिक्षित और मूढ हैं। वे बालकोंको उचित शिक्षा नहीं दे सकतीं । इससे यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि जहाँतक हो सके बालकको नीतिवान् शिक्षकहीके पास रक्खा जावे । इसका एक मात्र उपाय गुरुकुल और उच्च कोटिके बोर्डिंग हाउस हैं। अब समयको देख तथा अपनी स्थितिको विचार ऐसी संस्थाओंको उत्तेजित करना चाहिए । हमारा कर्त्तव्य है कि हम ऊपर कही हुई शिक्षाको जनसाधारणमें फैलावें । हमारी जातिका अथवा धर्मका उत्थान केवल इसी शिक्षा पर निर्भर है। हमें अपने बालक सुचतुर, नीतिवान् तथा सच्चे सत्यके खोजक बनाना है और यह केवल बाल्यकालकी शिक्षा ही पर निर्भर है। इससे धर्म और जातिके हितैषी महाशयोंको प्रारंभिक शिक्षाको ठीक रूप लाने कमी न करना चाहिए; कमर कसकर भले प्रकार निर्धारित मार्ग पर शिक्षाका ढंग जारी करना चाहिए।
समाजका हितेच्छुक
कस्तूरचन्द जैन बी. ए.।
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