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आचारकी उन्नति ।
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जी बिना लोटेके पाखानेमें से निकले हैं और कुए पर आकर भराभर पानी सिरपरसे ढोल रहे हैं। जमादारने कुछ तो पहलेहीसे सुन रक्खा था और जो कुछ रहा सहा सन्देह था वह इस समय दूर हो गया। उसने उसे खूब धमकाया और जी भर गालियाँ सुनाई। वेचारा मर्जादी उस दिनसे अपनी उक्त क्रियाको छोड़ बैठा है और ऐसी ही किसी दूसरी क्रियाकी तजवीजमें अन्यमनस्क रहता है।
मर्जादीजीकी घरवाली भी कम पवित्र नहीं है । जिससमय वह मलमलकी पतली धोती पहने हुए कुएँ पर स्नान करती है और पानीसे सराबोर हुई धोतीको पहने हुए जलसेचनसे पृथिवीको पुनीत करती हुई अपने घर जाती है उस समय साक्षात पवित्रता भी उसे देखकर सिर झुका लेती है ! कहते हैं कि मर्जादिननी छुआछूत नहानेधोने आदिके विषयमें जितना अधिक खयाल रखती हैं उतना गैर मर्दोसे हमी दिल्लगी करने और रहस्यमय वार्तालाप करने में नहीं रखतीं ! कभी कभी जब वे अपने घर पर नहाती हैं और बिना नहाये दूसरे कपड़ोंको छूना ठीक नहीं समझती तब अपने नौकर
को आज्ञा देती हैं कि तू आँखें बन्द करके मेरे ऊपर पानी डालता रह, मैं नहाये लेती हूँ ! नौकर आँखें बन्द रख सकता है कि नहीं सो तो मालूम नहीं; पर वह पानी ढोलनेमें जरा भी गलती नहीं करता !
मैं समझता हूँ इन लोगोंकी पवित्रता और आचारशीलताका वृत्तान्त पढ़कर उन लोगोंको बहुत कुछ ढाढस बँधेगा जो रातदिन कलिकालको या पंचमकालको कोसा करते हैं और जिन्हें जहाँ तहाँ | आचारभ्रष्टता ही दिखलाई देती है। उन्हें विश्वास रखना चाहिए
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