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जैनहितैषी
अब कभी नहीं भूल सकता; अबसे उसका नाता अपने देशबन्धुओंके साथ और भी घनिष्ठ होगा-वह अपने कर्तव्यका पालन करने में कभी आनाकानी न करेगा।
३ अब क्या करना चाहिए ? अभीतक जो कुछ हुआ है वह अच्छा हुआ है; परन्तु यथेष्ट नहीं हुआ है। आन्दोलनकी गतिको हमें बराबर बढाते जाना चाहिए और उस समय तक शान्त न होना चाहिए जब तक कि सेठीजीके भाग्यका कुछ न कुछ निबटारा न हो जाय । हमारे भाई यह तो अब अच्छी तरह समझ गये हैं कि इस मामलेमें आन्दोलन करना, उद्योग करना, सहायता देना कोई राजद्रोहका काम नहीं है। क्योंकि हम केवल यह चाहते हैं कि सेठीजीपर बाकायदा मुकद्दमा चलाया जाय और यदि उसमें वे निर्दोष सिद्ध हों तो छोड़ दिये जावें, नहीं तो उन्हें उचित दण्ड दिया जावे । हम यह कभी नहीं चाहते हैं कि वे अपराधी होने पर भी छोड़ दिये जावें । ऐसी दशामें राजभक्तसे राजभक्त पुरुष भी-रायबहादुर, आनरेरी मजिस्ट्रेट, बेंकर, व्यापारी, वकील, बैरिस्टर, और सरकारी नौकरी करनेवाले भी इस आन्दोलनमें बिना किसी डरके शामिल हो सकते हैं। इस विषयमें सबसे अच्छा उदाहरण हमारे सामने यह है कि श्रीयुक्तबाबू अजितप्रसादजी एम. ए. एलएल. बी. जो लखनऊचीफ कोर्टके सरकारी वकील हैं इस कार्यमें खुल्लमखुल्ला प्रयत्न कर रहे हैं । यदि राजद्रोहका या सरकारकी अवकृपा होनेका काम होता तो वे इसमें कभी शामिल न होते । आशा है कि इस उदा
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