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सहयोगियोंके विचार।
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कुरल काव्य। तामिल काव्य कुरल की बात *पाटलिपुत्र में प्रकाशित हो चुकी है। इस ग्रंथ का अनुवाद लैटिन, फरासीसी, जर्मन, इटालीय और अंगरेज़ी में हो चुका है। काव्य दोटप्पी रामवाण दोहे से 'वेन्बा' छन्दस् में १२००० शब्दों में है। किसी दूसरा भाषा में इतने कम शब्दों में काव्यविचार प्रकट नहीं किए गए हैं। मानो “ राई बेध कर समुद्र पिरोया गया है।"
पोष साहब के अनुवाद के आधार पर कुछ नमूने दिए जाते हैं।
एक शब्द भी न बोलो जिसे अन्तरात्मा जानता है कि झूठ है। दधक उठेगी आग अन्दर झूठ की चिनगारी से।
(२) .' जो अपने अन्तरात्मा के सामने सच्चा है, .
वह जीता है सब की आत्मा में पैठ कर।
उसे गिरा सकता कौन है? जिसने किए नियुक्त मंत्री हैं बिगड़ने और बतानेवाले, होए जब भूल राजा से ॥
(४) - भाग्य का हुक्म हो 'असिद्धि,' तौभी सिद्धि मिलती है प्रयत्नी को।
[ पाटलिपुत्र।
* जैनहितैषीमें भी इस काव्यके विषयमें दो लेख निकल चुके हैं।
-सम्पादक । .
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