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जैनहितैषी
हमारी स्त्रियोंका स्वास्थ्य । अनेक कारणोंसे हमारे देश की स्त्रियोंका स्वास्थ्य दिन प्रति दिन खराब होता जा रहा है। जरा २ सी बातों से भीत और चकित होने वाली मातायें प्रताप और शिवाजी उत्पन्न नही कर सकतीं। जिस देशका अधःपतन होता है उस देशकी स्त्रियों का शारीरिक, मानसिक और आत्मिक बल सबसे पहले कम होना आरम्भ होता है। जहां के मनुष्य, घरमें चिराग नहीं जलता-इस लिये
और पकी पकाई खानेको मिलेगी-इसलिये विवाह करते हैं वहां स्त्रियों का आदर केवल मनु महाराज की उक्तियों में ही रह जाता है। घर की लक्ष्मियों को घर की दासी में परिणत करने वाला समाज क्या वीर और विद्वानोंसे विभूषित होगा या दास और दीनोंसे कलंकित ? हमारी स्त्रियों का स्वास्थ्य जिन कारणों से नष्ट हो रहा है आज इस अल्प लेख में उन पर थोड़ा सा विचार किया जाता है।
स्त्रियां केवल घर में और फिर घर भी हिन्दुस्थानी जिस में परदों की दीवारों और कोठरियों की बहुतायत ने वायु और प्रकाश को बाहष्कृत करदेनेका पक्का इरादा कर रखा है बन्द रहती हैं । शुद्ध वायु और नियमित व्यायाम के अभाव के कारण उनकी शारीरिक अवस्था शोचनीय हो उठती है। इस दीन अवस्था में रहते हुए उनको दिन रात अनवरत तेली के बैल की तरह घरके कूड़ा करकटके काम में लगा रहना पड़ता है जिसके कारण बहुत सी कुल बधुएं तपेदिक और अनेक संक्रामक रोगों की भेंट हो जाती हैं। विद्याविहीन होने के कारण वे सफाई और उससे क्या लाभ है-इस बातको नही जानतीं, किस ऋतु में किस तरह रहना चाहिए इस का उन को ज्ञान नहीं होता। यही कारण हैं जो उन के स्वास्थ्य का यथासंभव शीघ्र सत्यानाश कर देते हैं। और उनके पति उनकी इस गिरी हुई अवस्था पर क्यों विचार करने लगे हैं ? वे तो पत्नीवियोग के दूसरे ही दिन मोहर बांध दूसरी शादी करने का ईश्वरदत्त हक्क रखते हैं । वीर और विद्वान् पैदा करने वाली माताएं भारतवर्ष में प्रायः जिस बुरी तरह समय यापन करती हैं उस का कोई ठिकाना नहीं । एक और भी बहुत बड़ा कारण है जिसने उन की शारीरिक शक्ति को रसातल पहुंचाने में बड़ी बहादुरी दिखाई है और वह उनको असमय गर्भवती कर देना है। भारत के किसी प्रांत के मरणसंबंधी विवरण को पढ़िये आप को बालक पैदा होने या पैदा होने के बाद उन बेचा.
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