Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 04
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 53
________________ पं० अर्जुनलालजी सेठी बी. ए.। २४१ पं० अर्जुनलालजी सेठी बी. ए. । अर्जुनलालजीका जन्म जयपुर नगरमें सन् १८८० में हुआ था। आपके पिताका नाम लाला जवाहरलालजी सेठी था। महाराजा ANS... जयपुरने उन्हें ठाकुर गोविन्दसिंह जागीरदारका अभिभावक और शिक्षक नियत किया था; अन्ततक वे यही काम करते रहे। ___ अर्जुनलालजीने सन् १९०२ में जयपुर कालेजसे प्रयाग विश्वविद्यालयकी बी. ए. की डिग्री प्राप्त की। कालेनमें पढ़ते समय ये प्राइवेट तौरसे जैनधर्मके ग्रन्थोंका भी अध्ययन किया करते थे और इस कार्यमें इन्हें पं० चिम्मनलालजी जैनवैद्यसे बहुत सहायता मिलती थी । संस्कृतका ज्ञान भी इन्हें इन्हींसे प्राप्त हुआ था। विद्यार्थी अवस्थामें ही सेठीजीको देशसेवा और समाजसुधारके कामोंसे बहुत प्रेम था। अपने देशकी, धर्मकी और समाजकी गिरी हुई अवस्था पर तो इन्हें बड़ा ही दुःख होता था। इस विषयमें वे निरन्तर ही विचार किया करते थे । सारी अवनतियोंका कारण उन्हें शिक्षाका अभाव ही जान पड़ता था। उन्हें विश्वास हो गया था कि यदि देशमें शिक्षाका प्रचार होगा-निरक्षरों और अज्ञानियोंकी संख्या घट जायगी तो देशकी प्रगति होनेमें जरा भी विलम्ब न लगेगा। पर वे यह जानते थे कि यह कार्य केवल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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