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जैनहितैषी
हमारी इस प्रार्थनामें राजद्रोहके प्रश्नके लिए तिल मात्र भी स्थान नहीं है। सेठीजी पर राजद्रोहका अपराध प्रमाणित करनेकी अभी तक किसीने भी हिम्मत नहीं दिखलाई है। इसी तरह सार्वजनिक पत्रोंमें जो बातें प्रकाशित हुई हैं उनको झूठ सिद्ध करनेकी भी किसीने कोशिश नहीं की है। इसीसे साबित होता है कि पं० अर्जुनलालजी राजद्रोहमें किसी तरह कदापि शामिल नहीं रहे हैं। और थोड़ी देरके लिए यह भी मान लिया जाय कि वे राजद्रोही हैं तो भी हम कुछ यह प्रार्थना नहीं करते हैं कि ये राजद्रोह या और किसी अपराधके परिणामसे मुक्त कर दिये जायें। हम तो किसी छोटेसे छोटे अपराधकी भी क्षमा करेनकी हिमायत नहीं कर सकते । सरकार तो दयालु होकर कदाचित् कभी किसी अपराधीको क्षमा भी कर देती है; परन्तु हमारा जैनधर्म तो इतना बे-लिहाज़ है कि वह, अपराधीको क्षमा मिल ही नहीं सकती-'कर्म' किसी भी दोषका फल दिये बिना रह ही नहीं सकता, यही सिखलाता है। अतःहम केवल यही चाहते हैं कि चारों ओरसेगाँव गाँवसे—प्रत्येक सामाज और प्रत्येक प्रतिष्ठित व्यक्तिकी ओरसे सरकारकी सेवामें यह प्रार्थना की जाय कि वह अर्जुनलालजीको अपराधी सिद्ध करनेके लिए अथवा अपराध न हो तो छोड़ देनेके लिए जयपुर राज्यको सलाह देनेकी कृपा करे जिससे केवल अर्जुनलालजी ही नहीं बचें किन्तु राजभक्त, निप्कलङ्क, शान्तिप्रिय जैन जातिकी इज्जत भी बच जाय । इससे जयपुर स्टेट शिक्षित संसारकी अप्रसन्नतासे मुक्त होगा और ब्रिटिश सरकारके प्रति भी प्रजाजनोंकी जो अपरिमित भक्ति बढ़ेगी. वह वर्तमान विग्रहके समयमें बहुत ही कल्याणकारी सिद्ध होगी।
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