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((२), पिता को ! मा परे से "प्रेम करे मुझे दो पसी की इपा सो इस हामी का सोरांय इवनाही किएएफका मेम से गेकपन सम्वाद-4 से ही या संस्था मार्य कर रही है इस का हिसाबकिताव इस मार से इसवह सस्थाका पूर्ण मुशाम्ब का पुरूने पर शान्ति देवी ने गा मी का फि-रमै भो स्त्रियाब्सिो मघा, का दान पुष पत्तम होने पर पा पिार प्रपा मक्ष मादि सरकारों पा समरसरो प्रादि पर देवी नाम जनसे समापिसारने की “पापिपा भानु पूर्णिमा जप्रासन रनाहरनिया, "सवक्षिका पाखामादि मंगपार स्त्रयों में ही पोट सारपोर मा मैन विका, पार्ने मा डि-दरवरा से मकर मनोसापतापम दे देवीरें इस मकार पर सस्था काम पर सीसा मिप्त बान को चाहिये यह पर्व पुस मौर सामापिकरने का सामान जे सपती रमौर मे मैन रिया स्त्रो मापवा के पेप हो सका पावडर
सो समापवा पहुंचा प्रस्ती इस मार ग्रान्ति देवी स पने पर फिर समापति म पया पोग्य सर
पायों को पारिवानिदेशबार्पिक मदरसर समाप्त