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(Mico Plasma)| जीवाणु एककोशीय सूक्ष्म जीव है। गोलाकार, दण्डाकार या स्पायरल ऐसे भिन्न-भिन्न आकार हैं। विषम और प्रतिकूल स्थितियों में भी ये जीवित रह सकते हैं।
सामान्यतः ये एक साथ और एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। जीवाणुओं का आकार ०,१ से ५ माइक्रोन तक होता है। एक माइक्रोन का माप एक मिलीमीटर के हजारवें हिस्से के बराबर है। गोलाकर जीवाणु का व्यास ०,१-५ माइक्रोन तथा दण्डाकार जीवाणु की लम्बाई ०,५-१० माइक्रोन तक हो सकती है।
ये जीवाणु अत्यन्त निम्नताप (१९० डिग्री सेल्सियम) उच्चताप (७८८५° सेल्सियम) को भी सह लेते हैं। इनमें श्वसन क्रिया होती है। कार्बन-डाईआक्साइड से जीवाणु अपना भोजन-जल स्वयं बना लेते हैं।
विषाणु-बैक्टिरिया से आकार में छोटे होते हैं। इनकी अपनी कोशिका नहीं होती इसलिये किसी अन्य कोशिका में प्रवेश कर प्रजनन करते हैं। स्वतंत्र रूप से ये विषाणु अक्रिय रहते हैं क्योंकि इनका अपना कोई चयापचय तंत्र भी नहीं है।
___ जब ये अपना न्युक्लिक अम्ल परिपोषी कोशिका में अन्तःक्षेपण करते हैं तो क्रियाशील होकर उस कोशिका की चयापचय क्रिया पर नियंत्रण कर लेते हैं। विषाणु सुई या डंडे के आकार के, आयताकार, गोलाकार, बहुभुजीय, चतुष्कोण के समान होते हैं। वायरस का आकार अन्गस्ट्राम ( A°) इकाई से मापा जाता है। एक अंगस्ट्राम १।१००० माइक्रोन के बराबर होता है। किसी भी परिपोषी कोशिका में अप्रत्यक्ष रूप से विषाणु लम्बे समय तक रह सकते हैं। ___माइकोप्लाज्मा-माइकोप्लाज्मा का शरीर अतिसूक्ष्म और इनकी कोशिका की लम्बाई जीवाणु कोशिका के दसवें भाग के बराबर तथा व्यास ०,५ माइक्रोन से भी कम है। आज तक की वैज्ञानिक खोज में ये सबसे छोटे आकार के, अति संरचना वाले हैं जो अनुकूल वातावरण में स्वतंत्र रूप से जीवित रह सकते हैं।
सूक्ष्म जीवों के बारे में उपरोक्त वैज्ञानिक अवधारणा को देखते हैं, तो निगोदीय जीवों के सम्बन्ध में होने वाली आशंकाएं निरस्त हो जाती हैं। लगता है, विज्ञान जैन सिद्धांतों के निकट पहुंच रहा है।
निगोद और वैज्ञानिक सूक्ष्म जीवों की तुलना करें तो काफी तथ्यों में समानताएं दिखाई दे रही हैं। जैसेविकासवाद : एक आरोहण
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