________________
256
षड्द्रव्यों में पुद्गलास्तिकाय ही मूर्त है
धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, काल, जीवास्तिकाय, और पुद्गलास्तिकाय इन छह प्रकार के द्रव्यों में एकमात्र पुद्गल द्रव्य ही वर्ण, गंध, रस, स्पर्श विशिष्ट होने से मूर्तिक है। अत: कर्म मूर्त सिद्ध होने पर उनकी पौद्गलिकता (भौतिकता) तो स्वयं सिद्ध हो जाती है। गणधरवाद में कर्म की मूर्तत्व सिद्धि · गणधरवाद में कर्म को मूर्तत्व सिद्ध करने के लिए कहा गया है, कर्म मूर्त है क्योंकि आत्मा के साथ उनका संबंध होने से सुख-दु:ख आदि की अनुभूति होती है। जैसे मूर्त अनुकूल आहार आदि से सुखानुभूति और मूर्त शस्त्रादि के प्रहार आदि से दु:खानुभूति होती है। आहार और शास्त्र दोनों ही मूर्त हैं। इसी प्रकार सुख-दुःख का अनुभव कराने वाले कर्म भी मूर्त हैं। जो अमूर्त पदार्थ होता है, उससे संबंध होने पर सुखादि का अनुभव नहीं होता। जैसे आकाश। कर्म से संबंध होने पर आत्मा सुख दुःखादि का अनुभव करती है। अत: कर्म मूर्त है। जैन दार्शनिक ग्रंथों में कर्म की मूर्तता सिद्धि
पंचास्तिकाय९२ में कर्मों को मूर्त (पौद्गलिक) सिद्ध करते हुए लिखा है- 'जीव कर्मों के फलस्वरूप सुख-दुःख के हेतुरूप इन्द्रिय विषयों का, मूर्त इन्द्रियों के द्वारा उपभोग करता है; इस कारण कर्म मूर्त है।' आप्तपरीक्षा९३ में भी इसी का समर्थन किया है, इन्द्रियों के विषय स्पर्श, रस, गंध, रूप और शब्द ये मूर्त हैं और उनका उपभोग करने वाली इंद्रियाँ भी मूर्त हैं। उनसे प्राप्त होने वाले सुख-दुःख भी मूर्त हैं। अत: उनके कारणभूत कर्म भी मूर्त हैं। 'कर्म - एक विश्लेषणात्मक अध्ययन' में भी यही बात है।९४ .
पुद्गल की पाँच प्रकार की वर्गणाओं में जो कार्मण वर्गणा है वह आत्मा में उत्पन्न होने वाले मोह राग-द्वेष आदि विकारी भावों का निमित्त पाकर स्वयं कर्मरूप परिणमित हो जाती है।९५ कार्मण वर्गणा के उस कर्मरूप परिणमन को द्रव्य कर्म कहते हैं। तथा आठ कर्मों के अवांतर भेद १४८ होते हैं। आचार्य गुणधर ने कषायपाहुड में कहा है - कर्म कृत्रिम होते हुए भी मूर्त हैं, क्योंकि मूर्त दवा के सेवन से परिणामंतर होता है, अर्थात् रुग्णावस्था स्वस्थ अवस्था में परिवर्तित हो जाती है। यदि कर्म मूर्त न होता तो मूर्त औषधि से कर्मजन्य शरीर में परिवर्तन न होता।९६
___ सौ बात की एक बात - कर्म के कार्य को देखकर भी उसका मूर्तिक होना स्वत:सिद्ध होता है। तत्त्वार्थसार में यही कहा है- जिस प्रकार मिट्टी के परमाणुओं से निर्मित घट कार्य