Book Title: Jain Darm Me Karmsiddhant Ek Anushilan
Author(s): Bhaktisheelashreeji
Publisher: Sanskrit Prakrit Bhasha Bhasha Vibhag

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Page 418
________________ 400 याकोबी, हर्मन युवाचार्य, महाप्रज्ञ युवाचार्य, महाप्रज्ञयुवाचार्य, डॉ. शिवमुनि वर्णी, जिनेन्द्रवर्णी, जिनेन्द्रवाचस्पति, गैरोला जैन सूत्राज, द सेक्रेड बुकस् ऑफ ईस्ट, व्हॉल्यूम ४५, पार्ट- २, द उत्तराध्ययन सूत्र, द सूत्रकृतांग सूत्र, ऑक्सफोर्ड अॅट द क्लेरेनडॉन प्रेस, १९९५ कर्मवाद, प्रेक्षाध्यान अकादमी, संपा. चन्द्रहास त्रिवेदी, अनेकान्त भारती प्रकाशन, अहमदावाद १५ घट-घट दीप जले, भारतीय धर्म में मुक्ति-विचार, अखिल भारतीय जैन विद्वत् परिषद् , जयपुर, १९८८ कर्म सिद्धान्त, कर्म रहस्य, संस्कृति साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, चौखंबा संस्कृत सीरिज, चौखंबा विद्याभवन, वाराणसी, १९६७ जैन तत्त्वादर्श, श्री आत्मानन्द जैन सभा, ४१ धनजी स्ट्रीट, बंबई, १९५६ नवकार प्रभावना, नवकार प्रतिष्ठान, अंधेरी (पूर्व), मुंबई, जैन-दृष्टि, हजारीमल मुनिश्री स्मृति प्रकाशन समिति, व्यावर, १९६८ कर्मग्रंथ, विजयानन्द (आत्माराम) वोरा, डॉ. सर्वेशशास्त्री, इन्द्रचन्द्र शास्त्री, कैलाशचन्द्रशास्त्री, कैलाशचन्द्रशास्त्री, देवेन्द्रमुनि कर्म का स्वरूप, शास्त्री, देवेन्द्रमुनि शास्त्री, देवेन्द्रमुनि श्रावक संघ, शास्त्री, देवेन्द्रमुनि साहित्य और संस्कृति, भारतीय विद्या प्रकाशन, वाराणसी, १९७० जैन दर्शन स्वरूप और विश्लेषण, तारक गरू जैन ग्रन्थालय, शास्त्री सर्कल, उदयपुर, भगवान पार्श्व- एक समीक्षात्मक अद्ययन, पं. मुनि श्रीमल प्रकाशन, श्री वर्धमान श्वे. स्थानकवासी जैन जैन साधना सदन, पूना, १९६९ धर्म और दर्शन, तारक गरू जैन ग्रन्थालय, शास्त्री सर्कल, उदयपुर, १९६७ प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, १९८८ कर्म मीमांसा, शास्त्री, नेमिचंद्र शास्त्री, फूलचन्द्र

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