Book Title: Jain Darm Me Karmsiddhant Ek Anushilan
Author(s): Bhaktisheelashreeji
Publisher: Sanskrit Prakrit Bhasha Bhasha Vibhag

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Page 404
________________ 386 जीवाजीवाभिगमसूत्र जैनयोग जैन-स्तोक-संग्रह जैनागम स्तोक संग्रह ज्ञानसार ज्ञाताधर्मकथा संपादक छगनलाल शास्त्री, श्री आगम प्रकाशन समिती, ब्यावर, २००२ अनुवादक युवाचार्य मधुकरमुनिजी म.सा., संपादक पं. शोभाचंद्र भारिल्ल, श्री आगम प्रकाशन समिती, पीपलिया बाजार, ब्यावर, १९८९ आचार्य हरिभद्रसूरि, संपा. डॉ. छगनलाल शास्त्री, मुनिश्री हजारीमल सुमति प्रकाशन, व्यावर, १९८१ धींगडमलजी गिडिया, श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संस्कृति संरक्षक संघ, व्यावर (राज.), १९९६ मगनमुनि, श्री जैन दिवाकर दिव्यज्योति कार्यालय, व्यावर (राज.) न्यायाचार्य उपाध्याय यशोविजयजी.विवेचनकार- मुनिराज श्री भद्रगुप्त विजयजी, विश्वकल्याण ट्रस्ट, संघवी पोल, मेहसाना, वि. सं. २०३३ अनुवादक युवाचार्य मधुकरमुनिजी म.सा., संपादक युवाचार्य मिश्रीमलजी, श्री आगम प्रकाशन समिती, ब्यावर, १९८१ संपा. डॉ. दर्शनलता, श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी स्वाध्यायी संघ, गुलाबपुरा (राज.), १९९७ . अनुवादक युवाचार्य मधुकरमुनिजी म.सा., संपादक मिश्रीलालजी म.सा.,श्री आगम प्रकाशन समिती, पीपलिया बाजार, ब्यावर पू. अमोलकऋषि, प्रका. श्री जैन साहित्य प्रचारक समिति, व्यावर (जोधपुर), १९४२ श्रीमद् विद्यानंद स्वामी, संपादक मनोहरलाल न्यायशास्त्री, गांधी नाथारंग, जैन ग्रंथालय, पो. मांडवी, मुंबई, १९१८ भट्टाकलंकदेव, संपा. पं. महेन्द्रकुमार जैन, भारतीय ज्ञानपीठ काशी, बनारस,१९५३ श्रुतसागरीय वृत्ति जीवराज जैन गभंथमाला, सोलापुर ज्ञानार्णव ठाणंगसुत्त ठाणंगसूत्र (बालावबोध) तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक तत्त्वार्थराजवार्तिक तत्त्वार्थसूत्रतत्त्वार्थसूत्रतत्त्वार्थसूत्र वाचक उमास्वातिविरचित, विवेचक- पंडित सुखलालजी संघवी, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी-५ पुनर्मुद्रण१९८५

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