Book Title: Jain Darm Me Karmsiddhant Ek Anushilan
Author(s): Bhaktisheelashreeji
Publisher: Sanskrit Prakrit Bhasha Bhasha Vibhag

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Page 415
________________ 397 जैन, महेन्द्रकुमार जैन, लालचन्द्रजैन, सागरमल जैन, सागरमल जैन, सागरमल जैन, सागरमल जैन, हीरालालजैनाचार्य, जवाहरलाल जैन दर्शन, श्री गणेश प्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला, काशी, १९५५ जैनदर्शन में आत्मविचार, जैन, बौद्ध और गीता का समाजदर्शन, प्राकृत भारती प्रकाशन १२, प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर, १९८२ जैन कर्म सिद्धांत का तुलनात्मक अध्ययन, प्राकृत भारती प्रकाशन- २१, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान,जयपुर, १९८२ जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनोंका तुलनात्मक अध्ययन, भाग १ व २, प्राकृत भारती प्रकाशन- १९-२०, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर, १९८२ जैन, बौद्ध और गीता का साधना मार्ग, प्राकृत भारती प्रकाशन-११, जयपुर, १९८२ भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, भोपाल- १९६२ जवाहर किरणावली, संपा. पं. शोभाचन्द्र भारिल्ल, श्री जवाहर साहित्य समिति, भिनासर बाकानेर, भारतीय दर्शन संग्रह, चित्रशाळा प्रकाशन, पुणे- २ फॅसेट्स ऑफ जैन रिलिजिअसनेस इन् कम्पॅरेटिव लाइट, एल. डी. इंस्टिट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, अहमदाबाद, १९८१ भारतीय संस्कृति कोश, भारतीय संस्कृति कोश मंडळ, शनिवार पेठ, पूना, १९९४ स्टडीज इन् जैन फिलॉसॉफी, जैन कल्चरल रिसर्च सोसायटी, बनारस, १९५१ कर्मनो सिद्धान्त, जनरल प्रिंटर्स अण्ड पब्लिसर, गिरगांव मुंबई, १९८३ भारतीय दर्शन, राजपाल एण्ड संस, दिल्ली, १९६९ अर्ली जैनिझम, एल.डी. इन्ट्टियूट ऑफ इन्डोलॉजी, अहमदाबाद, १९७८ बौद्ध धर्म आणि तत्त्वज्ञान, महाराष्ट्र विद्यापीठ ग्रंथनिर्मिती मंडळाकरिता, कॉन्टिनेन्टल प्रकाशन, विजयानगर, पुणे-३० भाषा-विज्ञान, जोग, द. वा.जोशी, एल. एम. जोशी, पं. महादेव शास्त्री टाटिया, नथमल ठक्कर, हीराभाई डॉ. राधाकृष्णनडिझिट, के.के. डांगे, सिंधू स. तिवारी, भोलानाथ

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