Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गायकवाडी राज्य दीपे छे, प्रेमधर्म प्रतिपालजो, महाराजाश्री सयाजी नृपनी, वरते आण विशाल; नर. ॥२॥ त्यां आगल शोभे छे सारं, वीजापुर शुभ गामजो पाटीदार तणा त्यां जन्म्या, नाम बेचर गुण धाम. नर. ॥३॥ पूर्व जन्मनुं पुण्य हतुं ने, सरस हता संस्कारजो; बुद्धिबल पण बालपणामां, गणतां नावेपार. नर. ॥४॥ सरकारी नीशाले बेठा, गुजराती अभ्यासजो; साते धोरण शीखी लीधां, धरी गुरुमां विश्वास. नर. ॥५॥ श्रावक करी वस्ती सारी, वीजापुर शोभायजो; आवनजावन मुनिजन करता, दरवर्षे दरशाय. नर. ॥६॥ बुद्धिविलोकी विद्यागुरुजी, पूरण राखे प्रेमजो; गुरु करुणाथी आवेघटमां, विद्या करवा क्षेम. नर. ॥७॥ गुरुजनने सहवासी सघला, उरमां धारे एमजो; अति संस्कारी आ बालक छे, माटे राखे रहेम. नर. ॥८॥ पुत्रतणां लक्षण पारणीये, सहजपणे समजायजो; अजितसागर विनती उचरे, आत्मा ईश्वर थाय; नर. ॥९॥ काव्य. सकलवृद्धिकराय महात्मने, निखिल कर्ममलक्षयकारिणे । गुरुवराय वरिष्ठगुणात्मने, जलमहं विमलं परिकल्पये ॥१॥ ॐ ह्री श्री गुरुपदपूजार्थं जलं समर्पयामि स्वाहा. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102