Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 88
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७९ तने विचार विवेक घडी नव गभ्योरे, नथी प्रभुजीना नाम उपर प्यार; एथी० ॥६॥ संत साधुनी सेवना साधी नहीरे, शेठ लोकोनो मोटो सरदार; एथो० ॥ ७॥ माटे समजीने सिद्ध पंथ चालजेरे, प्रभु भजनमां थाजे हुंशीयार: एथी० ॥ ८ ॥ अजितमूरिना व्हालाने भज भावथीरे, त्हारा भवनो बेडो थाय पार. एथी० ॥९॥ गुरुस्मरणाष्टकम् वसन्ततिलका. मच्चिन्मुखास्पदमनन्यगुणानुहारी. सौराष्ट्रराष्टजनतापरिपुप्रहारी; निर्भानमोह भवभीतिरघापहारी, मूरीशबुद्धिजलधिः स्वर्गोत्सुकोहा? ॥१॥ दीव्यात्मशक्तिमणिना हृदयावरूढं, गाढान्धकारमखिलं भवता निरस्तम् । विज्ञानवास ? कुमताध्वनिवारकस्त्वं, रिक्ता त्वयाद्य वसुधाऽधिविराजते नो ॥॥ For Private And Personal Use Only

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