Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूरिजी हीरविजय महाज्ञानी. तेमना शिष्य सहजसागर ध्यानी परंपरा परम पावन जाणी, रटण ॥७॥ अनुक्रमे रविसागर जाण्या. तेओना शिष्य सुखसागर मान्या; तेओना बुद्धिसागर पीछाण्या, रटण ॥८॥ महायोगी ध्यानी जगत जाणे. श्रावक अने अन्य बधा माने आचार्य पद सह जन परमाणे, रटण ॥९॥ तेनोरे पदपंकज रजहुं छु. अजित अब्धि प्रेमेथी प्रणमु छु: आशिष अंते सर्वे जीवोने दउँछु, रटण० ॥१०॥ काव्य. त्रैलोक्यतारकगुणाय वरप्रदाय, सर्वात्माने विहितजन्तुदयोदयाय। नित्तिधर्मपथदर्शकनायकाय, ___ सम्यक् फलानि शुभदानि निवेदयामि ॥१॥ ॐ ह्री श्री सद्गुरुपदपूजार्थ फलानि समर्पयामि स्वाहा।। इति . शास्त्रविशारद योगनिष्ठ श्रीमद्बुद्धिसागरसूरीश्वरशिष्यरत्रप्रसिद्धवक्ता जैनाचार्य श्रीमअजितसागरमूरिविरचित गुरुपदपूजा समाप्ता ॥ For Private And Personal Use Only

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