Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७ विषय शशीनां किरणो मंद पडी गयां, अघ उलूकना विरभ्या शब्द अपारजो. सद्गुरुः ॥७॥ अजित सागरना दिलमां वस्या गुरुदेवश्री, सफल थयो छे मुज मानव अवतारजो, गुरु विण मुक्ति मले नही कदीए कोइने, गुरु विण क्याथी आवे विमल विचारजो सद्गुरु.॥८॥ श्री गुरु विरहे सातवार. सखी पडवे ते पूरण प्रोत-ए राग. सखी ! आदित्य उग्यो आकाशे, व्हा' व्हातारे म्हारां तन मन व्याकुल थाय, गुरु गुण गातारे. ॥१॥ सखी ! सोमेते आवी शान, वात विचारीरे; म्हारा घटमां सद्गुरु देव, अति उपकारीरे. ॥२॥ सखी! आव्यो मंगलवार, मंगल करतोरे: म्हने सद्गुरु आव्या याद, आंसु भरतोरे. सखी ! बुध वासरीये शुद्ध, कोणवतारे; लीधी गुरुए स्वानो पंथ, दीलभरी आवेरे. ॥४॥ सखी ! गुरुए दर्शन दीव्य, गुरुनां करतारे; लक्षचोराशीनी जेह, हरकत हरतारे For Private And Personal Use Only

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