Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माथा तणा तो मुकुट छो, हैया तणा शुभ हार छो; कामादि सैन्य विदार बा, शूरा तमो सरदार छो.-ॐ॥४॥ पृथ्वी सलिल अग्नि पवन, आकाशमां त्हारी गति; जन अधमने उद्धारवा, शक्ति इतर सारी नथी;-ॐ॥५॥ प्रेमस्वरूप तमो दिसो, वळी नेम स्वरूप तथा तमो; सौन्दर्यरूप तथा तमो, पूजक तमारां सहु अमो,-ॐ॥६॥ जलना तरंगो जाणुं के, गुणगान सुन्दर गाय छे: गुरुगुणतणा ए तानमां, मुज आत्म निर्मळ थाय छे-ॐ०॥७॥ जगनां मुखो मागु नही, जगनां दुःखो त्यागुं नहीः त्याग्या अने माग्या तणी,इच्छा हृदय राखं नही,-ॐ॥८॥ केवल हृदयमा वांच्छना, परिपूर्ण गुरुकरुणा तणीः उद्धार करवो अजितनो, ए गर्जना सद्गुरुभणी.-ॐ०॥९॥ ॐश्रीसद्गुरुविरह. ओधवजी संदेशो कहेजो श्यामने-ए राग. सद्गुरुनां चरण दर्शन ते फरीथी क्यां मले ? जेणे कही हती आत्म प्रदेशी वातजो. व्हाणुने व्हातारे गुरुजी सांभरे, जेणे जप्या जप जिनवरना दिनरातजो; सद्गुरु. ॥१॥ For Private And Personal Use Only

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