Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

View full book text
Previous | Next

Page 79
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ७० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मल्या शीर्ष बुद्धयन्धि श्रीयोगिराजा, अजितान्धिना चित्तमही विराज्या; कर्यो जन्म कृतकृत्यने मोक्ष दीधो, तथा म्हें व्यथा त्यागी तुज बोध लीधो. थयुं शुं १९ ॐ - गुरुस्तुति छन्द नाराच अथवा गंजल अंग्रेजो वाजानो. कुपात्र ने सुपात्र हेगुरो ? बनावता, सुपात्रना प्रति हमें सहर्ष आविताः गुणज्ञ लोकमां तमारी नामना हती, गुणो अतीव आपना कह्या जता नथी. स्मरी स्मरी ज्वलायमान अंग थाय छे, फरी फरी स्मरी स्म अने स्मराय छे; अमोथी ना बने बन्युंज जे तमो थकी, गुणो गुणज्ञ ! आपना कहा जता नथी. दुःखो विलोकी दीननां दयालुता थती, सुखो विलोकी अभ्यन सुखार्द्रता थती; भविक मंडली की सुप्रार्थना थती, गुणानुवाद आपना कहां जता नथी. , For Private And Personal Use Only ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102