Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 84
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ७५ २८ श्री गुरुदेवने. गजल सोहिनी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्यानमा गुलावनी, कोमलकलिका जोड़ छे; मृदु कुन्द सौम्य शिरीषने, मधुमालिका पण जोड़ छे. उद्यानं ० ॥१॥" कोमलपणानी रसभरी, यौवनदशा निरखी अति; पण आपना त्याँ हृदयनी, मृदुभावना देखी नथी. उ० ॥२॥ जन पतितपावनी बोलता, ते जोइ छे भागीरथी; मोहनतणी यमुना तथा, अतिरम्य जोइ सरस्वती. उ० ॥३॥ तापी तथा आ नर्मदाने जोइ छे साबरमती: पण आपना शुभभावनी, रसवाहिनी देखी नथी. उ० ॥४॥ चलकाट करती चन्द्रिका, आकाशमां देखी वणी: प्रातःसमय पूर्वा विषे, किरणावली देखी वणी. उ० ॥५॥ विद्युत्तणा चमकारनी, म्हें देखी हे ज्योति अति; पण आपना त्या ज्ञाननी, ज्योत्स्ना कदी देखी नथी. उद्यान • ||६|| सिन्धुतणीय अगाधता, आकाशनी उंडाणता; हिमगिरितणी उंचाणता, जलबिन्दुओनी प्रमाणता. उद्यान० ॥ For Private And Personal Use Only

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