Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 72
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥५॥ ॥७॥ सफल करीए अवतारनेरे; सफल कर्यों अवतार गुरुदेव ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. सफल करी कुख मातनीरे; मफल कयौं संसार गुरुदेव, ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. योगनी युक्ति जाणी त्हमेरे; तेम समाधिनो योग, गुरुदेव ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. आत्मस्वरूप हमे ओलव्युरे; योग गण्या अवयोग, गुरुदेव ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. दूर करी जग वांच्छनारे; दूर कर्या हता दोष, गुरुदेव ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. परवरिया प्रेम पंथमारे; जोष जोया निर्दोष, गुरुदेव ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. अजितसागर मूरि विनवेरे; बुद्धिसागर मूरिराय, गुरुदेव ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. ॥८॥ ॥१०॥ ॥११॥ For Private And Personal Use Only

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