Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij
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॥५॥
॥७॥
सफल करीए अवतारनेरे;
सफल कर्यों अवतार गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. सफल करी कुख मातनीरे;
मफल कयौं संसार गुरुदेव, !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. योगनी युक्ति जाणी त्हमेरे;
तेम समाधिनो योग, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. आत्मस्वरूप हमे ओलव्युरे;
योग गण्या अवयोग, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. दूर करी जग वांच्छनारे;
दूर कर्या हता दोष, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. परवरिया प्रेम पंथमारे;
जोष जोया निर्दोष, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. अजितसागर मूरि विनवेरे;
बुद्धिसागर मूरिराय, गुरुदेव ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे.
॥८॥
॥१०॥
॥११॥
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