Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij
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अजितसागर मूरि उज्चरेरे: गुरुगम रम्य रुचिर. मूरिराज !
धन्य को अवतारनेरे० ॥१२॥
श्री गुरुगुणगान.
राउपरनो. आंखडली अम आंसु भरीरे,
विरह कह्यो नव जाय, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे ! काया पावन कारी आपनीरे,
संभारी दील डोलाय, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. ! वचन अमृत याद आवतार,
पावन कर्म सदाय, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे.! जननी ! भगत जन्म आपजेरे;
कां दाता कां शूर गुरुदेव, !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. ! नहींनर रहेजे वांझणीरे;
रखे गुमावती नूर, गुरुदेव ! क्यारे दर्शन हवे आपशोरे.
॥४॥
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