Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जबर जादू हतुं आपमारे; आपता बोध अपार. सूरिराज ! धन्य कर्यों अवतारनेरे० ॥५॥ कोमलता हती कान्तिमारेः । कोमल वचन प्रकार. सरिराज ! धन्य को अवतारनेरे० ॥६॥ परम पावन पद पामीयारे; एमां न संशय रंच. सरिराज; धन्य कर्यो अवतारनेरे० ॥७॥ साचा मान्या जगदीशनेरे, व्यर्थप्रमाण्यो प्रपंच. मूरिराज ! धन्य कर्यो अवतारनेरे० ॥८॥ अमने म्होटो हतो आशरोरे; तरवा संसारनां नीर. मूरिराज ! धन्य कर्यो अवतारनेरे. ॥९॥ उत्तर गुर्जर देशमारे, साबर सरितानो तीर. मूरिराज ! धन्य को अवतारनेरे० ॥१०॥ कूडिलो कलियुग आवीयोरे; धारणा करीए न धीर. सरिराज ! धन्य को अवतारनेरे० ॥११॥ For Private And Personal Use Only

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