Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 67
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भजनीलोकोतोभजनीकजाणेरे,योग वाला तो योगी पीछाणेरे; निर्मल लोक तो निर्मानी माने. बुद्धि० ॥६॥ जेनी राग रहित रुडी दृष्टिरे, शास्त्र मांही विशारद सृष्टिरे; जेने वैराग्य वारिनी वृष्टि. बुद्धि० ॥७॥ देह त्यागी गया बीजा देशेरे, अमने ज्ञान अमृत कोण देशेरे; हित शिक्षाओ गुरु ! कोण कहेशे. बुद्धिः ॥॥ मोहराजाने मारी नाख्योरे, राग एक आत्मामांही राख्योरे; गुरुभाव अजित शिष्ये भाख्यो. बुद्धि० ॥९॥ श्री सद्गुरुने प्रेमांजलि. हरिगीत-गझल सोहिनी. गुजरातमा जन्मी अने, गुजरातने पावन करी, भयकापती भगवंतनी, अति दीव्यभक्ति आदरी; सुज्ञान दीव्य प्रदेशनु, निर्मल तमारामां हतुं, ने आपना पथ लइ जवान, ध्यान पण सुन्दर हतुं. ॥१॥ जे जे तम्हारी पासमां, भावे भर्या जन आवता, ते ते जनोने योग्य विधि, शुभ ज्ञान सुखकर आपता; मूर्ति मनोहर आपनी, अम नयन गोचर आवती, गुरुदेवकेरा भावथी, नयनो विषे जल लावती. ॥२॥ जगमांही जन्म्यो एज, जेणे विश्वर्नु केइ हित कर्यु, उंची कदावर मूर्ति ने, नयनो विमल प्रेमे भयों; For Private And Personal Use Only

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