Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्री सद्गुरुस्तवन.
राग उपरनोशरण बुद्धिसागर गुरुर्नु सारूं;
जेनुं ज्ञान पीयूष लागे प्यारं. शरण ए टेक. रुडी मुक्तिनी जुक्ति बतावे, ज्ञानदीप सहज प्रगटावे; दीलडा केरा दोष दवावे.
शरण० ॥२॥ शरणे आव्यानी लज्जा राखे, अज्ञानने नीवारी नांखे,
भव्य वाणी वदनथकी भावे. शरण० ॥२॥ रुडी सद्गुरु कल्पनी छाया, राखे शिष्य पर माघी माया; शुद्धव्रतधारी श्री गुरुराया.
शरण० ॥३॥ धर्मध्यान निरंतर धार्यों, कैक नर अने नारी उगार्यो;
विश्वसरितामां डूबतां तार्यों. शरण ॥४॥ ब्राह्मण क्षत्रियो जेने वखाणे, जोगी जंगम पण जेने जाणे;
स्त्रीस्तीलोकोय प्रेमे प्रमाणे. शरण० ॥५॥ हिंसावाला अहिंसक कीधा, दारु पीताने उपदेश दीधा: ___ आप ज्ञाने नक्की नथी पीता. शरण० ॥६॥ बीडी चलमो पण कैनी तजावी, गुजरातने ज्ञाने गजावी:
जैन कोमा आणावर्तावी. शरण० ॥७॥ आप सरखा हवे ओछा थाशे, गुण घडीभरना संगी गाशे; पाप गुरुविना कम कपाशे ?
शरण ॥८॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102