Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कलश, धन्य महावीर उपगारी एराग. रटण एक सद्गुरुर्नु लाग्यु, फरीने फरी बीजे मन थाक्युः ए टेक. यथामति गुरुजीना गुण गाया. लागीरे अविचल गुरुनी माया: माथेरे भारे सद्गुरुनी छाया, रटण ॥१॥ मानव भव फरी फरी नाज मले. अविद्यानां आवरण नाज टले, गुरुजी थकी भवकेरो फेरो फले, रटण ॥२॥ गुरुरे मल्या बुद्धिसागर साचा. जाण्यारे भाव जगत तणा काचा; सफल थइ आजे विमल वाचा, रटण० ॥३॥ संवत ओगणीश अने ब्याशी. पोष नामे महिनो मुख राशि; तिथि बुध तेरस छे खाशी, रटण ॥४॥ साबर केरो तट शोभे सारो. उत्तर गुजरात उरे धारो; विहार विजापुरमांहि प्यारो, गुरुनी पूजा अहीं पूरी कीधी. मूरिए मति आपी घणी सीधी: कीधीरे स्तुति दैवे जेवी दीधी, स्टण० ॥६॥ For Private And Personal Use Only

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