Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij
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वाणी वर्णन शुं करे, महद् पुरुषमहिमाय; केवल शरण स्वभावथी, प्राणी पावन थायः ॥ ५ ॥
ढाल तेजेतरणिथीवडोरे-ए राग. प्रेमथकी परमात्मारे, पीडविषे पेखाय: कोटी उपाय करो छतारे, सद्गुरुथी समजाय, होप्राणी सद्गुरु संगत कीजीयेरे; प्रेमसुधारस पीजीयेरे; थाय सफल अवतार. एटेक. शुं समजे मतिमंदतेरे. अनुभव केरोपंथ, वाणी वर्णन नव करेरे; नवावे कदी अंत; होप्राणी सद्गुरु संगत कीजीयेरे, प्रेमसुधारस पीजीयेरे; थाय सफल अवतार;॥१॥ किंमत सघला विश्वनीरे, एक तरफ अंकाय, पण किंमत आत्मातणीरे; कदीये केम कराय: होपाणी सद्गुरु संगत कीजीयेरे, भेमसुधारस पीजीवरे, थाय सफल अवतार; ॥२॥ मानाने नव भोलख्यो, देख रयो से दूर; संगत सद्गुरुनी करोरे, हाजर होय हजूर; होपाणी सद्गुरु संगत० प्रेम० थाय० । ያዘዘ पाश्चमणिथी विश्वनारे, सुखनी प्राप्ति थाय; पण गुरुनी करुणा थकीरे प्राणी प्रभु बनी जाय; होगाणी सद्गुरु० प्रेम० थाय०
॥४॥ बुद्धिसागरजी सद्गुरुरे; मलिआ मुजने एक;
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