Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोमलतनना कोमल मनमां, कोमल भाव करावो; -उरमा धारोजी.जे जे प्रकारे सारं अमारु,-थाय ए लक्षमां लावो; -पार उतारोजी.- ॥ आप समुं भवसागर तरवा, शरणुं नंथी कोइ साचुं; -उरमां धारोजी.आप कृपाथी जाणी लीधुं छे, कोटि रीते जग काचुं; -पार उतारोजी.- ॥९॥ अजितसागर शरण थयो छे, बीजानो कदी न थवानो, निर्मलभावे आवरण कापी, ऊद्ध प्रदेशे जनारो; -पार उतारोजी,-॥१०॥ काव्य. जैनेन्द्रशासनधुरन्धरपुङ्गवाय, ज्ञानात्मने विजितलौकिकभावनाय । श्रद्धालतानविनवारिधराय शुद्धं, नैवेद्यमुत्तममहं विनिवेदयामि. ॥१॥ ॐ ह्री श्री सद्गरु पदपूजार्थ नैवेद्यं यजामहे स्वाहा अथ अष्टमा फलपूजा. दुहा. ज्ञानसमूं बीजं नथी, उत्तम साधन एक; ज्ञाने घटमां थाय छे, विरति विचार विवेक ॥१॥ For Private And Personal Use Only

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