Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij
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ढाल
२५
- लाल डंका वाग्या तमारा देशमां. ए राग.
अमने रुडो लाग्यो तमारो आशरोरे, सत्य धर्म केरो पंथ कर्यो पांशरोरे. तमे साचा योगाभ्यासी जोगीडारे; गुरु भगवानना भावकेरा भोगीडारे. जाणी जीवशिव केरी एकतारे, सदा साधुना समाजमांही शोभतारे; तमे अलख प्रदेशी आतमारे, जाण्यात मते महातमारे; यम नियमने जाण्या तमे प्रेमथीरे, वाल्यां योजनां आसन घणा नेपबीरे; अ० ॥५॥ प्राणायाम तमे कर्या भले भावधीरे, पूरक कुंभक रेचक घणा ल्हावथीरे. मानव देहना महात्मने अनुभव्युरे, सल्बुं देहनुं रखनते खरं करे के दिन रा
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अ० ॥१॥
अ० ||२||
अ० ॥३॥
अ० ॥४॥
अ० ॥६॥
अ० ॥७॥
साधी समाधि वसीने एकांतमारे; हृती वचन सिद्धि गुरु आपनेरे, पाल्यो पुरण ब्रह्मचर्य प्रतापनेरे.
वांझी ने बंधाव्यां पारणारे, शोभाव्यां वालकनी वस्तिथी बारणारे, अ० ॥१०॥ गुरु आंधलाने आंख्यो आपतारे,
अ० ॥८॥
अ० ॥९॥

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