Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ढाल २५ - लाल डंका वाग्या तमारा देशमां. ए राग. अमने रुडो लाग्यो तमारो आशरोरे, सत्य धर्म केरो पंथ कर्यो पांशरोरे. तमे साचा योगाभ्यासी जोगीडारे; गुरु भगवानना भावकेरा भोगीडारे. जाणी जीवशिव केरी एकतारे, सदा साधुना समाजमांही शोभतारे; तमे अलख प्रदेशी आतमारे, जाण्यात मते महातमारे; यम नियमने जाण्या तमे प्रेमथीरे, वाल्यां योजनां आसन घणा नेपबीरे; अ० ॥५॥ प्राणायाम तमे कर्या भले भावधीरे, पूरक कुंभक रेचक घणा ल्हावथीरे. मानव देहना महात्मने अनुभव्युरे, सल्बुं देहनुं रखनते खरं करे के दिन रा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only अ० ॥१॥ अ० ||२|| अ० ॥३॥ अ० ॥४॥ अ० ॥६॥ अ० ॥७॥ साधी समाधि वसीने एकांतमारे; हृती वचन सिद्धि गुरु आपनेरे, पाल्यो पुरण ब्रह्मचर्य प्रतापनेरे. वांझी ने बंधाव्यां पारणारे, शोभाव्यां वालकनी वस्तिथी बारणारे, अ० ॥१०॥ गुरु आंधलाने आंख्यो आपतारे, अ० ॥८॥ अ० ॥९॥

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