Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૨૨ सफल जन्म म्हारो कोरे, समज्यो विरतिविवेक; होपाणी सद्गुरु० प्रेम० थाय० ॥५॥ काल ज्वाला ठंडी करीरे, दीधो घट उल्लास; समजाव्यो शुभ सानमारे, प्रभुजी त्हारीपास; होप्राणी सद्गुरु० प्रेम० थाय० ॥६॥ वारंवार प्रणामछेरे, सद्गुरु चरणसरोज; प्रेमपंथीना हृदयनीरे, खरेखरी करीखोज: होपाणी सद्गुरु० प्रेम० थाय० ॥७॥ भव अटवीमां भटकतारे, हेते झाल्यो हाथ; अजितसागरना जन्मने, कर्यो अनाथ सनाथ; होमाणी सद्गुरु० प्रेम० थाय० ॥८॥ काव्य. सुरभिदेहगुणेन सुवासित-सकलभूवलयाय जितात्मने । सुरनरेन्द्रगणस्तुतकर्मणे, सुगुरपे कुसुमानि यजामहे ॥१॥ ॐ ह्रीं श्री गुरुपदपूजार्थ पुष्पाणि यजामहे-स्वाहा चतुर्थी धूपपूजा. दुहा. चोथी पूजा धृपनी प्रगटावे गुरुम; दोष दबावे दीलतणा, राखे कुशल खेम; ॥१॥ गुरुचरणे शुभस्नेहथी, वारंवार प्रणाम; गुरु करुणाथी पामीए, शिवमन्दिर सुख धाम; ॥२॥ For Private And Personal Use Only

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