Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथ द्वितीया चन्दनपूजा. दुहा. गुरु कर्या मन मानता, सुखसागर मुनिराय, सद्गुरु वचन सुण्या विना, भक्ति कदी नव थाय. ॥१॥ गुरु विण ज्ञान मले नही, गुरु वगर नही ध्यान; गुरु वगर गति नव मले, गुरु वण नही भगवान ॥२॥ गुरु बतावे ज्ञानथी, परमात्मानो पंथ; शुं समजे अज्ञात जन, समजे विरला संत. ॥३॥ शिष्य स्वभावे संगमां, करी सेवा अति श्रेष्ठ, संसारी सुख परहयाँ नक्की जाण्यां नेष्ट. ॥४॥ सद्गुरुमी करुणा वडे, उत्तम पाम्या ज्ञान: आ जन्मे जाणी लीधा, घट भीतर भगवान. ॥५॥ ढाल-अलबेलीरे अंबे मात. ए राग. छ महिमा अपरंपार, श्री सद्गुरु केरो आवे निर्मल आचार, जाय फोगट फेरो. ए टेक० श्री सद्गुरुजी ज्ञान प्रतापे, प्रगटे घटमां ज्ञान जो; नाय अंधारु अज्ञान केलं, थाय प्रभुनुं ध्यान. श्रीसद० ॥२॥ सद्गुरुनी छे करुणा सारी, जेवी चंदन छायजो; 'भवाटवीना ताप समूला, जीवडा केरा जाय; श्रीसद्॥२॥ सद्गुरु पासे दीक्षा पाम्या, पाम्या विमल विचारजो; धर्मध्यान पग पेमे पाम्या, बली उत्तम आचार.श्रीसद्॥३॥ For Private And Personal Use Only

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