Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥३॥ मूढ बुद्धिनां मानवी, करतां तर्क अनेक; पण प्रमाण आगम विना, नावे सत्य विवेक ॥२॥ अंधारं अज्ञानमय, आगमदीप सुहाय: अंधारूं दीपक वडे, जाय हृदय समजाय अंधजनोने लाकडी, अवनीपर आधार; ज्ञानअंध आगमथकी, निश्चित देशे जाय ॥४॥ ईश्वरने अवलोकवा, आगम सत्य प्रमाण: बुद्धिसागरनुं थयु, आगममा शुभ ध्यान ॥५॥ ढाल- कानुडो न जाणे मारी प्रीत. ए राग. समकित माटे सद्गुरु देव,-केरुं शरण नही ल्योरे. सम०ए टेक. शास्त्र श्रवणथी समकीत थाशे, जन्मोजन्मना रोगज जाशे; आनंद मंगल थाशे हमेश, विभुने सहज वरी ल्योरे. सम०॥१॥ जे जे मार्गे प्रभु उर आवे, ते ते पथ सद्गुरु समजावे; पामे जेवु वावे तेवं, साचे ठाम ठरी ल्योरे. सम०॥२॥ अनादिकालथी आत्म भटकटतो,एक ठाम कदी नथी पल टकतो; शांति नथी वरी शकतो लेश, दीलडामांही डरी ल्योरे. सम०॥३॥ क्लेश वधा मनमांथी कापो, आत्मदेवने अनुभव आपो: स्थिरतामां मन स्थापो बेश, धणीनुं ध्यान धरी ल्योरे.सम०॥४॥ अखंड अनुभव थाशे सारो, देखाशे भव सिन्धु किनारो; भव तस्वानो वारो एज, श्रेयस काम करी ल्योरे. सम०॥६॥ For Private And Personal Use Only

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