Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवलां शास्त्रो अवलां थाशे, जीवडा के जोखम जाशे; मुखना वायु वाशे हमेश, सुंदर देव स्मरी ल्योरे. सम०॥६॥ तृष्णा मनडुं तनथी त्यागे, अखंड वरना पद अनुरागे; जगमम ज्योति जागे बेश, निर्मल पथ विचरी ल्योरे.सम०॥७॥ आगम श्रवण कयौं जेवारे, निश्चय कीधो प्रभुनो त्यारे, मुरुवाणी उर धारे देव, नाम प्रभुर्नु उचरी ल्योरे. सम०८॥ बुद्धिसागर सद्गुरु राजा, धर्मग्रन्थ सांभलिया झाझाः अजित गरीब निवाजा आप, भवनुं भातुं भरी ल्योरे सम०॥९॥ काव्य. सुरभिदेहगुणेन सुवासित-सकलभूवलयाय जितात्मने । मुरनरेन्द्रगणस्तुतकर्मणे. सुगुरवे कुसुमानि यजामहे ॥१॥ ॐ ही श्री सद्गुरुपदपूजार्थं पुष्पाणि यजामहे स्वाहा देशविरतिग्रहणस्वरूपा चतुर्थी धूपपूजा. ॥४॥ दुहा. विश्वतणा भोगो विषे, रोग तणो भय छ ज; उंचा कुलमा पतननो, तेमज भय वरतेज धनिकने धनक्षय तणो, भय अतिशय वरताय: राजाने परसैन्यनो, भय भासेज सदाय ॥२॥ कायाने भय मरणनो, मायाने भय ज्ञान: अशांतिनो भय शान्ति छे, अमानिनो भय मान. ॥३॥ For Private And Personal Use Only

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