Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भवभयक्षतिकर्म विधायकान् शुभगुणाचरणोत्तमशिक्षकान् । शिवनिकेतनकेतन तुल्यकान् परिदधामि पवित्रतराक्षतान् ॥६॥ ॐ ह्रीं श्री सद्गुरुपदपूजार्थं अक्षतान् यजामहे ॥ जैनेन्द्रशासनधुरन्धरपुङ्गवाय, ज्ञानात्मने विजितलौकिकभावनाय । श्रद्धालतान विनवारिधराय शुद्धं, नैवेद्यमुत्तममहं विनिवेदयामि ॥ ७ ॥ ॐ ह्रीं श्रीं सद्गुरुपदपूजार्थं नैवेयं यजामहे - त्रैलोक्यतारकगुणाय वरप्रदाय, सर्वात्मना विहितजन्तुदयोदयाय । निर्वृत्तिधर्मपथदर्शकनायकाय, सम्यक् फलानि शुभदानि निवेदयामि ॥ ८ ॥ कलश. पूजाभिरष्टधा नित्यं, यो नरः पूजयिष्यति । गुरुपादाम्बुजद्वन्द्वं तं शिवश्रीवैरिष्यति ॥ २ ॥ ॐ ह्रीं श्रीं सद्गुरुपदपूजार्थे फलानि समर्पयामि स्वाहा. इति गुरुपद पूजा समाप्ता. For Private And Personal Use Only

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