Book Title: Gadya Chintamani
Author(s): Vadibhsinh, T K Kuppuswami Sastri, S Subhramhanya Sastri
Publisher: Madras
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गद्यचिन्तामणौ
करकज्जलाकलङ्किताः कामविजयनीराजनदीपिका इव कुसुममञ्जरीः पिअरितदशदिशो दर्शयता चम्पकचक्रेण चारुतामुद्वहद्भिः प्रसवोत्कण्ठमानकामिनीगण्डूषमधुधारासेकनिष्पन्नपुष्परिञ्छोलधिवलितवपुषा हसतेव युवतिजनलालनविधुरानितरधरणीरुहान्वकुलतरुवाटेन वर्धितशोभैस्त - रुणीचरणप्रहारानन्तरमन्तःप्ररूढकोपकृपीटयोनिमिव कृकवाकुचूडापाटलं पल्लवापीडमुद्गिरता प्रत्यङ्गं कङ्केलिजालेन जातनयनातिथ्यैरन्यलताश्लेषावकाशहरणाभिनिवेशादिव गाढाश्लिष्टनिःशेषकुरवकतरुभिर्माधवीभिराधीयमानमदनबलैरुन्मीलितकुसुमावचयकौतुकमिलितमहिलानिर्विशेषलताभिरामैरारामविनोदितलोकलोचनः, प्रतिफलिततटरुहतरुनिवहनिभेन जलनिधिजिगीषया स्वयमपि कल्पतरूनिव कतिचन जठरे धारयद्भिरुद्दण्डकमलविष्टरोपविष्टकादम्बकदम्बकैरुत्फुल्लकल्हारनिःस्यन्दिमकरन्दमेदुरितपाथोभिः पवनोद्भूतकल्लोलपटलकबलितवियदवकाशैः पाथोराशिपरिबुभूषया सागरमहिषीं मन्दाकिनी बन्दीकर्तुमन्तरिक्षमुत्पतद्भिरिव प्रेक्ष्यमाणैः समन्तादुन्मिषदुत्पलजालजटिलैर्जनपदलक्ष्मीदिदृक्षया सहस्राक्षतामिव बिभ्रद्भिः शुभ्रसाललभारतजठरैर्जलाशयैर्शितानेकसागरमहिमा, कचित्पाककपिशकणिशभरविनमितशिरोभिरात्मरोहावकाशदायिनी मेदिनीमभिवादयमानैरिव शालिस्तम्बैः शुम्भितशालेयेन क्वचिद्विहरमाणकमलाचरणतुलाकोटिक्कणितैरिव स्थलकमलकाननकेलीकलितदोहलीनां कलहंसीनामारसितैरापाद्यमानश्रवणपारणेन कचिदनवरतविधीयमानशुश्रूषाहृष्यदुर्वीसर्वाङ्गनिर्गच्छदतुच्छरोमाञ्चसहचरितरुचिभिः कतिपयदिवसप्ररूलै रूढहरितिमकबलितहरिदन्तरालप्रशस्यैः सस्यकन्दलैः कण्ठकथितकेदारसारगुणेन क्वचिन्निकटरूढपुण्ड्रेक्षुदण्डविघटितपर्वपुटनिपतितमुक्ताफलपटलशर्करिलसारणीतीरसंचारखेदितकृषीवलचरणतलेन क्वचिदतिगम्भीरक्षेत्ररमसनिपतदभ्यर्णसारणीसालिलसमुड्डीनशफरजिघृक्षाजनितपरस्परक

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