Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 15
________________ चोवीसी [६] संभवनाथ नु [३] संभवनाथ अनाथ-नाथ, भजिओ भवि भावे, रोग-शोग दूरे टळे, दुःख दोहग नावे...१... जीवित पूरव लाख साठ, चौसय धनुकाय, लंछन तुरग विराजतो, सावत्थि पुर राय...२... राय जितारी नंदनो ओ, सेना मात मल्हार, सोवन वरण सोहामणो, मान नमे हितकार...३... अभिनंदन नु [४] अभिनंदन नितु वंदिले, सुख सम्पत्ति कारी, नयरी विनोता भूपति, जाऊं बलिहारी...१ संवर भूपति कूलतिलो, सिद्धार्था जात, धनुष उट्ठसय उच्च देह, सोवन अवदात...२... पूरव लाख पचास-ओ, आयुष वानर अंक, मान कहे जिनवर नमे, समकित हो निःशंक...३... सुमतिनाथ - [५] कुमति निवारण सुमतिनाथ, जिनवर जयकारी, पूरव चालीस लाख आय, समरू संभारी...१... मेघ महिपति मंगला, मातानो जात, क्रोंच लंछन धनु त्रणसें, तनु जस विख्यात...२... नयरी जेहनी कोसला अ, सोवन्न वन्न शरीर, मानविजय कहे जे प्रभु, मुज मन तरुवर कीर...३... पद्मप्रभु नु [६] पद्म प्रभुने पूजिओ, पद्म पदपद्म, पद्म लंछन सीतपद्म गोर, पद्मावर सद्म...१... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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