Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 103
________________ चौवीसी [१७] . अनंतनाथन [१४] जय जय देव अनंतनाथ, सोवन समवान । सुजसा देवी सिंहसेन, कुल तिलक समान....१ श्येन लंछन धर तीस लाख, संवच्छर आय । सुंदर धनुष पचास मान, उन्नत जस काय....२ छ? भत्त संजम लियो, नयरी अयोध्या नाम । निज पचास गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ मुनिवर बासठ सहस मान, तस बासठ सहस । आर्या श्रावक दोय लाख, ऊपर छ सहस....४. च्यार लाख चउदे सहस, श्रावकणी सार । अंकुशा सुरी पाताल यक्ष, नित सानिधकार...५ सात सहस परिवारसुंबे, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ धर्मनाथ नु [१५] पनरम प्रण, धर्मनाथ, सुव्रता तनु जात । भानु भृप सुत वज्र अंक, कंचनसम गात....१ धनुष पैंतालिस मान जासु, तनु उन्नत जाण । संवच्छर दश लाख शुद्ध, आयु प्रमाण....२ छठ्ठ भत्त संजम लियोओ, नगर रत्नपुर नाम । इकशत दुय गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ दुय लख मुनि त्रिण लख,समणि वलि सहस छत्तीस । सहस त्रयाणुं तीन लाख, श्रावक सुजगीस....४ छ लख सहस छतीस शुद्ध, श्रावकणी सार ।। त्रिमुख यक्ष दुरितारि देवी, नित सानिधकार....५ __ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण...६ शांतिनाथ न [१६] सोलम जिनवर शांतिनाथ, सोवन संम काय । विश्वसेन अचिरा सुतन, मृग लांछित पाय ...१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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