Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 106
________________ [ १०० ] चैत्यवंदन तीस सहस मुनि जासु, सीस पंचास सहस । साध्वी श्रावक एक लाख, बावत्तर सहस.... ४ तीन लाख पंचास सहस, श्रावकणी सार । नरदत्ता सुरि वरुण यक्ष, नित सानिधकार.... ५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण.....' नमिनाथ तु [२१] ..६ जय जय विजय नरेश नंद, कांचन सम काय । नीलकमल लांछन, चरण श्री नमि जिनराय.... १ आयु दस हजार वर्ष, वप्रा सुत सारु । धनुष पनर जसु देह मान, उत्तम गुणधार....२ छट्ट भत्त संजम लियोओ, नगरी मिथिला नाम । निज गणधर सत्तरे सहित, आपो शिवपुर स्वाम ... ३ वीस सहस मुनि जासु सीस, इगचाल सहस । श्रमणी श्रावक एक लाख, वलि सित्तर सहस....४ त्रिण लख अडतालीस सहस, श्रावकणी सार । भृकुटियक्ष गंधारिदेवी, नित नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण.....६ नेमिनाथ नुं [२२] समुद्रविजय सुत नेमिनाथ, कृष्ण वरण काय । सौरीपुर अवतार जासु, शंख लंछन पाय....१ देह धनुष दसमान उच्च, हरिवंश विख्यात । संवच्छर इक सहस आउ, धन शिवा सुजात.... २ छट्ट भत्त संजम लियोओ, नयरि द्वारिका नाम । गणधर इग्यारे सहित, आपो शिवपुर स्वाम...३ सहस अढारे शुद्ध साधु, तह चालीस सहस । श्रमणी श्रावक एक लाख, गुणहत्तर सहस .... ४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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