Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 107
________________ चौवीसी [१०१] तीन लाख छत्तीस सहस, श्रावकणी सार। अंबादेवी गोमेधसुर, नित सानिधकार....५ मुनि पणसय जत्तीससुए, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा गिरनार गिरि, करो संघ कल्याण....६ पार्श्वनाथ नु [२३] श्री अश्वसेन नरेश नंद, वामा जसु मात । . पन्नगलांछन पार्श्वनाथ, नील वरण मात...१ अति सुंदर जिनराज देह, नव हाथ प्रमाण । वरस एक सो मान आयु, जसु निर्मल नाण....२ अट्ठम तप संजम लियोओ,नयरि वणारसी नाम। गणधर दस परिवार युत, आपो शिवपुर स्वाम....३ सोलह सहस मुनि जास सीस, अडतीस सहस । श्रमणी श्रावक एक लाख, चोसठि सहस....४ त्रिण लख गुणचालिस सहस, श्रावकणी सार । पार्श्व यक्ष पद्मावती, नित सानिधकार....५ तैतीस मुनि परिवारसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ महावीर स्वामी नु [२४] जय जय श्री जिन वर्द्धमान, सोवन सम वान । सिंह लंछन सिद्धार्थ राय, त्रिशला सुत भान....१ वरस बहुत्तर आउ, देह कर सत्त प्रमाण । रिषभादिक सम जासु वंस, इक्ष्वाकु सुजाण....२ छ? भत्त संजम लियोओ, कुंडनामपुर ठाम । गणधर इग्यारे सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ चउद सहस मुनि स्वामि सीस, छतीस सहस । __ श्रमणी श्रावक एक लाख, गुण साठ सहस....४ तीन लाख सुश्राविका वलि, सहस अढार । मुरमातंग सिद्धायिका, नित सानिधकार....५ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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