Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाल ब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः - .चैत्यवंदन चोविसी संपादक :मुनि श्री दीपरत्नसागर M.Com., M.Ed. (अभिनव लघु प्रक्रिया-संस्कृत व्याकरण के सर्जक) wale For PavaresalenusChy b w jainerary.as Alainacnjarations Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रम ६ श्री रामविजयजी श्री मानविजयजी श्री रूपविजयजी श्री नंदसूरिजी श्री ज्ञानविमलसूरिजी श्री वीरविजयजी श्री पद्मविजयजी श्री ऋषभदासजो ६ श्री हंससागरसूरिजी १० श्री शीलरत्नसूरिजी ११ श्री क्षमा कल्याणजी १२ श्री क्षमा कल्याणजी ★ (१) चोविशी १० एवं ११ संस्कृत में है । (२) पू. हंससागरसूरिजी को चोविशी नूतन है । (३) पू. क्षमा कल्याणजी खरतरगच्छीय है । U .C अनुक्रमणिका चोविशोकर्ता १५ २२ २६ ३६ ૪ ५० ५. आ पुस्तक नी कार्ड सीट श्री भीड़भंजन पार्श्वनाथ जैन ट्रस्ट नीमच तरफ थी प्राप्त थयेल छे. w ८१ €0 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 000 बाल ब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः श्री आनंद क्षमा ललित सुशीलसागर गुरुभ्यो नमः चैत्यवंदन चोविसी ptbly संपादक मुनि श्री दीपरत्नसागर M. Com., M. Ed. [ अभिनव लघु प्रक्रिया-संस्कृत व्याकरण के सर्जक ] संवत २०४५ ] [ सन् १६८६ 5 Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . प्रास्ताविक वक्तव्य । स्तवनोना, सज्झायोना, थोय-जोडाना संग्रहो बहार पडेला जोया. दृष्टि पथ पर आवता थय के चैत्यवंदन जेवा आवश्यक अंग तरफ कोई दृष्टि केम थई नथी ? पर्वदिन-विविधतप-तीर्थ आदि प्रसंग तथा स्थळ ने अनुरूप एवा चैत्यवंदन ना संग्रह नी आवश्यकता जणाई । त्रिकाळ देववंदन करता श्रमण भगवंतो, पर्व तिथि आराधको, विविध तप ना तपस्वीओ आदिनी धर्माराधना तथा प्रभु भक्ति मां अमे पण किञ्चित निमित्तभूत बनी शकीए तेवा सदुद्देश थी प्रेराई ने (१) चैत्यवंदन पर्वमाला (२) चैत्यवंदन सग्रह [तीर्थ-जिन विणेप) प्रकाशित कराव्या बाद १२ चोविशी नो मगह "चैत्यवंदन चोविशी" प्रस्तुत करावी रहया छीए"अ-भि-न-व' श्रुत प्र-का-श-न नाम मार्थक करता आ संग्रह मां ७२५ जेटला चैत्यवंदनो, भक्ति योग मां डबेला आत्मा ने दर्शन शुद्धि माटे एक सुदर साधन रूप बनणे अने ज्ञान योगी ने माहिती नो खजानो पुरो पाऽशे. गुजराती के हिन्दी कोई पण भाषामां सर्वप्रथम वखत ज प्रगट थई रहेला आ विशिष्ट संग्रह ने पण निःशुल्क [कोई ज वेचाण किंमत लोधा विना] श्रीसंघ नी सेवा मां अर्पण करावी रहया छीए। ए रीते अभिनव श्रुत प्रकाशन नु श्रुत ज्ञान ना बेचाण थकी संपत्ति-धन उपार्जन न करवानु लक्ष्य अमे आज पर्यन्त टकावी राखवामां निमित्त रूप बनी शवया छीए, तेनो अति हर्ष अनुभवीए छीए. Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5 आप सौ पासे आ पुस्तक नी कीमत रूपे एटलुज मागु फ चैत्यवंदन थकी चेत्योनी वंदना करता हृदय मांथी भक्ति ना निर्मल भरणा वहेवडावनारा बनो पोतानुज काम मानी पुस्तक नुं सुंदर अने समयसर मुद्रण करी आपनार-व्यवसाय करता कला प्रधान सुश्रावक श्री प्रकाशजी 'मानव' ने आ तके खास याद करवा आवश्यक लागे छे. साथसाथ संपूर्ण कंपोझ कार्यमा जोडाएला श्री घनश्याम भाई, टाईटल ने सुंदर ओप आपनार श्री प्रतापभाई, मुद्रक श्री बंसीभाई तथा वाइंडर श्री प्रीतमभाई ने पण याद करवा ज रहया. वीतराग भक्ति मां डूबी जगे जगे प्रत्येक पाषाण बिबनु अलग अलग चैत्यवंदन करी रहेला परम पूज्य गुरुदेव श्री सुधर्मसागरजी नो प्रेरणा थी धोराजी मां आ संग्रह संपादन कार्य आरंभायु. धोराजी ना श्री अश्वीन भाईए १०० करता वधु चैत्यवंदनो टाईप करी आप्या. चालु विहार मां जेतपुर, चोटीला, मूळी, सुरेन्द्रनगर, पाटण, पालनपुर संघ मां श्रुत खजानो तथा सहकार उपलब्ध थतां मात्र त्रण मास मां चैत्यवंदनो नो संग्रह तैयार थयो. तेना अलग अलग विभागो करी व्यवस्थित संकलन कर्यु. जे चैत्यवंदन प्रेमी समक्ष अनावृत कराये छ. Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पू. हंससागर सूरिजी कृत चोविशी नूतन जरूर छे पण चोविश बोल नो विशिष्ट संग्रह होवाथी अत्र स्थान आपेल छे. खरतरगच्छीय महात्मा पू. क्षमा कल्याणजी कृत संस्कृत चोविशी अति प्रचलित छे ज साथे साथे तेओनी गुजराती चोविशी छ - गाथा वाळी मळता तेने पण अलग स्थान अपायुं छे. पू. शीलरत्न सूरिजी कृत संस्कृत चोविशी ७५ वर्ष पूर्वे श्री आत्मानंद समाए प्रकाशित करेली, ते प्राचीन चोविशी छे. विशेष माहिती मळी नथी. [] श्री राम विजयजी, श्री मान विजयजी तथा श्री रूपविजयजी नी चोविशी अल्प प्रसिद्धि पामी छे पण खूबज गमी जाय तेवी छे. जेमां पू. राम विजयजी कृत चोविशी मां प्रभु विशेना अलग बोल ने बदले “सामान्य - जिन" भक्तिमयता नुं प्राधान्य विशेष छे. पू. नंद सूरिजी कृत चोविशी तेना देववंदन मांथी लोधी छे आ चोमासी देववंदन लगभग अप्रसिद्ध बनी गया छे. केवळ प्राचिन पुस्तकोमांज उपलब्ध बने छे. पू. पद्मविजयजी, पू. ज्ञानविमल सूरिजी तथा पू.वीरविजयजी कृत चोमाशी देववंदनो मांथी तेओनी चोविशी लीघेली छे. तेमां मने श्री वीरविजयजी नी चोविशी खूब गमी छं तेमां विविध नव बोल थी कृति नी ग्र ंथणी कराई छे. चतुविध श्रीसंघ मारा आ प्रयास ने ज्ञान क्रिया ना सुंदर समन्वय थकी क्षायिक सम्यक् दर्शन पामवानी अभिलाषा पूर्वक आदरनारा बने ए ज करबद्ध प्रार्थना. जैन आराधना भवन, नीमच आसो सुदी १० सं. २०४५ १० अक्टू. १९८६ -मुनि दीपरत्नसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 卐 बाल ब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः ॥ रामविजयजी कृत चैत्यवंदन चोवीशी आदीश्वर नु [१] आदिसर अरिहंत स्वामी, अविनाशी स्वामी, सकल सरूप अकल अनूप, प्रणमुं शिरनामी...१... रूपारूपी परम रूप, निज स्वभावमा रातो, ध्यावं अक लयलीनता, अनुभव गुण मातो...२ मरूदेवा सुत वंदिये अ, आणी मन आणंद, सुमतिविजय कविरायनो, राम जपे गुण वृन्द... अजितनाथ - [२] विजयासुत विजयी जयो, भावे प्रभु भेट्यो, प्रेम सहित पूजा करी, दोहग दुःख मेट्यो.. जेह सनाथ गुण विगुण धर्म, अध्यात्म धामी, अजित अयोध्यानो धणी, जे नाथ अकामी...२... बोजो जिन आराधतां , प्रगटे गुणनी राश, सुमतिविजय गुरु ध्यानथी, राम फले मन आश...३... संभवनाथ नु [३] श्री संभव जिन नामथी, शिवसंपद लहिये, सुख सघलां संसारनां, अनुषंगे कहिये. ओ जिन समरणथी सदा, नवनिधि घर आंगण, नवपल्लव होय प्रीति वळी, नमे वयरी गण...२... ओ जिन मुज हियडे वस्या, सेना सुत सुकुमाल, राम कहे जिन ध्यानथी, लहिये मंगलमाल...३... अमाल, Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैत्यवंदन अभिनंदन नु [४] अभिनंदन चंदन सरस, शीतल सुचि वाणी, संवर नंदन विगत मोह, वंदु गुण खाणी...१... सोवन वन उत्तंग चंग, सम रसमय भोनी, साडा त्रणशें धनुषमान, काया छे प्रभुनी...२... वीतराग करुणा करीओ, निज सेवक संभार, राम कहे सुख पामिओ, करतां जिन जुहार...३... सुमतिनाथ नु [५] पंचम-पंचम गति निवासी, जे सुमति विलासी, सिद्धि वधू उर हार सार, आतम सुप्रकाशी. अज अलक्ष्य अंजन रहित, अवतारी मोटो, अगम ज्ञान अक्षय निधान, नहीं अंतर खोटो...२... सुमति जिनेशर सेवतां, सुमति साहेली पास, सुमति सुगुरु पद सेवतां, आनंद लील विलास...३... पद्मप्रभु नु [६] पद्म प्रभ स्वामी नम, जे रंगे रातो, अंतरंग रिपु जीपतो, सुशीमा तनु जातो.. त्रण भुवननो इश जे, नहीं कंचन पासो, अक्षर गुण पण लीपी नहीं, अह बडो तमासो...२... अकल गति प्रभु ताहरी, केमे कळि न जाय, रामविजय जिन ध्यानथी, चिदानंद सुख थाय...३... - सुपार्श्वनाथ नु [७] श्री सुपास जिनवर सुपास, पुन्ये पामीजे, जो सु नजर प्रभु तणी, तो कांई बीहीजे...१... Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी - व्यान, कवण मोह कंगाल ने, कवण रागादिक रंक, जो प्रभु साथे मेल छे, तो रहिये निशंक...२... अवर देव सवि परिहरी, धरिये अहनुं ध्यान, सुमति सुगुरु मुख थी, सुण्यं में तत्त्व निदान...३... चंद्र प्रभु नु [८] चंद्रप्रभ सहेजे सदा, निःकलंक बिराजे, तो तेहने विधु ओपमा, कहो केही परे छाजे...१... अष्टम जिन अष्टमी मयंक, भाल स्थल दीपे, तेजे रवि कोटान कोटि, हेलाये जीपे...२... तारक गुण तुजमां वसे, अह अचंभा वात, राम प्रभु ताहरी कला, केणे कलि न जात...३... सुविधिनाथ नु [६] सुविधि-सुविधि वंदिये, जे सुविधि देखाडे, मिथ्या विष उतारीने, शिवपुर पहोंचाडे...१... नवमो जिनवर नव-निधान, सम नवगुण दाखे, सुविधि समोवड ते हुमे, जे हैये राखे...२... सुविधि प्रभुने सेविये, जिम सीझे सवि काज, सुविधे सुमति गुरु सेवतां, राम वधे जगलाज...३... शीतलनाथनु [१०] शीतल अंतर गुण भर्यो, बाहिर पण शीतल, जाते कंचन जे अमूल, ते न होय पीतल...१... नंदा नंदन सुर विनोद, नंदनवन सरीखो, मदन निकंदन कारणो, पावक सम परीखो...२... Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [४] चैत्यवंदन - दृढरथ जात जुहारतां अ, जगमांहि जश पूर, राम प्रभु सेवा थकी, नाठा दुश्मन दूर...३... श्रेयांसनाथ नु [११] श्रेय तणो दातार जे, जिनवर श्रेयांस, संयम सिरि वनिता शिरे, सोहे अवतंस...१... रूपातीत रमा विनोद, रसमांहे भीनो, सकल वस्तु विषयी विलास-व्यापारे न लोनो...२... अम अनेक गुणे भर्यो अ, कहेता न लहे पार, राम कहे जिनवर नमी, सफल करू अवतार...३... वासुपूज्य नु [१२] वासुपूज्य वसुपूज्य नप-सुत अति सोभागी, जपतां जिनवर नामने, शुभ परिणती जागी...१... ध्यान धरू हवे ताहरू, करी मन इकतारी, हृदय-कमल माहे वसे, तुज मूरति प्यारी...२... द्वादशमां जिनवर सुणोओ, टाळो मननो आधि, सुमति सहित प्रभु सेवतां, लहिये सुख निराबाधि...३. विमलनाथ नुं [१३] विमल-विमल कांते करी, झगमग तनु सोहे, रतन जडित शिर मुगट देखी, मानव मन मोहे...१. अतुली बल अरिहंतजी, अकल अध्यातम रूपी, निर्विकार निरुपाधिक, गुणयोगी अरूपी...२... तेरमा जिन त्रिभुवन घणीओ,सेवक सुनजर जोय, चिदानंदरस पूरमय, राम सकल सुख होय...३... Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [५] अनंतनाथ नु [१४] अंत रहित अनंत देव, सेवो भवि भावे, जनम जरा संताप पाप, जिम दूरे जावे...१... त्रिभुवन जन आधार सार, साहिब सोभागी, वर कंचन सच्छाय काय, समता गुण रागी...२... वीतराग मन तुं वस्यो अ, रात दिवस अकांत, राम सकल सुख संपदा, भजतां श्री भगवंत...३... धर्मनाथ नु [१५] आतम धर्म विशुद्ध बुद्ध, लीला अलवेसर, निश्चय धर्म समाधिमय, स्वामी धर्म जिनेसर... कर्म धर्म भर शीतकार, शिव धर्म विधायी, समकित मर्म विधान अह, प्रणमो चित्त लायी...२.. ध्यान धरो मन दृढ़ करीओ, धर्मनाथन नीति, सुमतिविजय गुरु नामथी, राम लहे संपत्ति...३... शांतिनाथ नु [१६] पारापत उगारियो, जिणे निज तनु साटे, वरतावी जिणे जगत शांति,शांति अभिधा ते माटे...१... दुविध चक्रधर जे हुओ, अचिरानो नंदन, चंदनथी शीतल सरस, भव ताप निकंदन...२... शांतिनाथ जिन समरतां, सीझे सघलां काज, राम कहे जिन रागथी, लहिये त्रिभुवन राज...३... कुंथुनाथ नु [१७] तुं बंधव तुं माय ताय, तुं अंतर जामी, तुं साहिब आधार अंक, अक्षय परिणामी...१... We, Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [६] चैत्यवंदन केवल कमला कांत दांत, अरिहंत गुण अनंत, ज्ञान नयनथी जगत रूप, योगी निरखंत...२... कुंथुनाथ नाम मंत्रथी अ, शिवनारी वश होय, राम परमपद थी अधिक, मुख सन्मुख प्रभु जोय...३... . अरनाथ नु [१८] श्री अरनाथ अनाथनाथ, नायक शिवपुरनो, पूर्ण सनाथता गुण सहित, आशी नहीं परनो...१... ध्यान भुवन अनुभव उद्योत, अकांते विलासे, मन शुद्ध जिनगुण रयण, ध्याओ उल्लासे...२... ओ माला अनुपम कहिले, अपरमाल सवि आल, राम कहे जिन ध्यानथी, दूर टळे जंजाल...३... मल्लिनाथ - [१६] कर्मद्रुम उन्मूलवा, जे सिंधुरमल्ल, मल्लि जिनेसर मोहशं, जेह थयो प्रतिमल्ल...१... कुंभ जाति अन्वय खरो, जिणे भवोदधि शोष्यो, मित्र अतिथिने प्रेमथी, अनुभव रस पोष्यो...२. समता रस आस्वादतांबे, लहे शिवपदवी सारी, राम कहे जिन नामथी, हुं जाऊं बलिहारी...३... मुनिसुव्रत न [२०] मुनिसुव्रत जिन वीसमा, सेव्या सुख लहिये, मुगति रमणीनो रमण, तस ध्याने रहिये...१ कच्छप लंछन निर्विकल्प, निर्मोही अकोही, लंछन रहित बिराजमान, शामल जस देही...२... ___ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [७] - अम अनेक गुणे भर्यो अ, भव-भव भंजणहार, सुमति सहित जिन सेवतां, राम लहे जयकार...३... नमिनाथ नु [२१] नमि नामे अकवीसमा, जे जिनवर कहिये, जगनायक जगदोसरु, आणा शिर वहिये...१... शिवसुख नो दातार सार, शारद शशि सरीखो, वदन विराजे नाथनू, देखी हुं हरखो...२... त्रिभुवनपति लीला बनोओ, ते केम वरणी जाय, राम अचल प्रभु ध्यानमां, रहेता शिवसुख थाय...३ नेमिनाथ नु [२२] नेमि जिनेसर नियमथी, नमतां नव निधि, सकल पदारथ पूरवे, सेव्यो दिये सिद्धि...१... नीरागीमां लीह दीह, रयणी दिल मोरे, रसियो मनअली माहरो, पदकमले तोरे...२... तुं त्राता त्रिभुवनधणी), निज सेवक संभाळ, रामविजय जिन नामथी, लहिये सुख रसाळ.. पार्श्वनाथ नु [२३] त्रेवीशमा त्रिभुवन तिलक, त्रिकरणथी सेवो, त्रिगुण सहित गुणत्रय रहित, आपे शिव मेवो...१... परम पुरुष परमातमा, पावन परमेसर, प्रगट ज्योति अविचल कला, लीला अलवेसर...२... ते प्रभुना गुण गावतां अ, प्रगटे परम विलास, राम प्रभुनी सेवना, करतां पहुंते आश...३... Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [] चैत्यवंदन महावीर स्वामी नु [२४] वर्धमान जिनवर नमो, त्रिशलानो नंदन, कंचनगुण दीपे सदा, जेह नाथ अकिंचन...१... श्री सिद्धारथ रायवंश, उदयाचल सूर, कर्म कठिन हेलां दली, पाम्या सुख भरपूर...२ इण परे जिन चोवीशमो, गातां गुणनी वृद्धि, राम कहे जिन सेवतां, लहिये सकल समृद्धि...३... उपाध्याय मानविजयजी कृत ऋषभदेव नु [१] प्रथम जिनेश्वर ऋषभदेव, प्रण, शिर नामी, पणसय धनुष प्रमाण देह, वर्णे अभिरामी...१ नाभिराया कुलमंडणो, मरुदेवी जायो, चोराशी लख पूरव आय, सुर नरपति गायो...२ विनीता नयरी राजीओ ए, ऋषभ लंछन वर पाय, जुगला धर्म निवारणो, मानविजय गुण गाय...३ अजितनाथ नु [२] अजित जिनेसर अरचिों , प्रह उठी प्रेमे, अष्ट महासिद्धि संपजे, वसि नितु खेमे...१... जितशत्रु विजया नंदनो, गज लंछन सोहे, नयरी अयोध्यानो धणी, भवियण मन मोहे...२... लाख बहोतेर पूरव मुं, जीवित सोवन मान, साढा चउसय धनुष देह, मान करे गुणगान...३... Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [६] संभवनाथ नु [३] संभवनाथ अनाथ-नाथ, भजिओ भवि भावे, रोग-शोग दूरे टळे, दुःख दोहग नावे...१... जीवित पूरव लाख साठ, चौसय धनुकाय, लंछन तुरग विराजतो, सावत्थि पुर राय...२... राय जितारी नंदनो ओ, सेना मात मल्हार, सोवन वरण सोहामणो, मान नमे हितकार...३... अभिनंदन नु [४] अभिनंदन नितु वंदिले, सुख सम्पत्ति कारी, नयरी विनोता भूपति, जाऊं बलिहारी...१ संवर भूपति कूलतिलो, सिद्धार्था जात, धनुष उट्ठसय उच्च देह, सोवन अवदात...२... पूरव लाख पचास-ओ, आयुष वानर अंक, मान कहे जिनवर नमे, समकित हो निःशंक...३... सुमतिनाथ - [५] कुमति निवारण सुमतिनाथ, जिनवर जयकारी, पूरव चालीस लाख आय, समरू संभारी...१... मेघ महिपति मंगला, मातानो जात, क्रोंच लंछन धनु त्रणसें, तनु जस विख्यात...२... नयरी जेहनी कोसला अ, सोवन्न वन्न शरीर, मानविजय कहे जे प्रभु, मुज मन तरुवर कीर...३... पद्मप्रभु नु [६] पद्म प्रभुने पूजिओ, पद्म पदपद्म, पद्म लंछन सीतपद्म गोर, पद्मावर सद्म...१... Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१०] चैत्यवंदन धनुष अढीसें देहमान, कोसंबीराय, श्रीधर धरणीधर पिता, जसु सुशीमा माय...२... त्रीस लाख पूरव तणुं अ, भोगवी जीवित मान, अविचल पदवी पामीओ, मान करे नितु ध्यान...३... सुपार्श्वनाथ नु [७] सुपरि सुरजन सेविओ, सुखकारी सुपास, स्वस्तिक लंछन मांगलिक, सघळाने उल्लास...१ सोवन वन तनु दोयसें, धनुमान उत्तंग, बीश लाख पूरव तणुं, जीवित जस चंग...२... वाणारसी नयरी घणी, जिनवर जगविख्यात, पृथ्वी मात प्रतिष्ठ तात, मानविजय गुण गात...३... चंद्रप्रभु नु [८] चंद्रप्रभु जिन चंद्रसौम्य, पुरी चंद्रा राय, कान्ति चंद्र हार्यो रहे, लंछन मसे पाय...१... लाख पूरव दश आय जास, जगमां विख्यात, नृप महसेन ने लक्ष्मणा, केरो अंगजात...२... दोढसो धनुष मित देहडी अ, जीवन जगदाधार, मानविजय कवियण कहे, आवागमन निवार...३... सुविधिनाथ नु [६] सुविधि सुविधिसुं सेविअ, जिणे सुविधि प्रकाश्यो, आपे चारित्र आदरी, विधि योग अभ्यास्यो...१... काकंदी नृपति सुग्रीव, रामानो जायो, लाख पूरव जस दोय आय, शत धनुष प्रमायो...२... Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी मगर लंछन जस शोभतुं अ, भयभंजन भगवान, मानविजयने आपीओ, अद्भुत अविचल थान...३... शीतलनाथ नुं [१०] शीतल सेजे शीतलो, शीतल जस वाणी, समता शीतल ते हुवे, जे निसुणे प्राणी...१... नेवुं धनुष प्रमाण प्रीत, वर्ण जस काय, [११] श्रीवत्स लंछन ओक लाख, पूरव जस आय... २... द्दढ़रथ नंदा नंदनोओ, भद्दिलपुर वर राय, प्रभुध्याने शीतल रहे, मानविजय उवज्झाय...३... श्रेयांसनाथ न [११] श्री श्रेयांस जिणंद देव, सेवक सुखकारी, परम पुरुष परमेश्वरो, प्रणमो नरनारी...१... सिंहपुरी वर राय विष्णु, विष्णु अंगजात, चउराशी लख वर्ष आय, सोवन सम गात... २... षड्गी लंछन जेहने ओ, एंसी धनुषनी काय, मान कहे ते भव तरे, जे जिनवर नित ध्याय ... वासुपूज्य नु ं [१२] ३... वासव पूजित वामुपूज्य, तनु विद्रुम वान, राणी जया वसुपूज्यराय, कुल तिलक समान...१... चंपा नयरी जनमिओ, सित्तेर धनुष देह, वरस बहोंतेर लाख आय, कीधो भव छेह... २... यमवाहन लंछन मोसे, सेवे जेहना पाय, मानविजय प्रभु नामथी, भव-भव पातक जाय...३... Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१२] चैत्यवंदन . विमलनाथ - [१३] विमलनाथन विमल ज्ञान, दरसण जस विमल, आठ कर्ममल क्षय करी, आप थयो विमल...१... कंपिल्य कृतवर्म राय, कुल करियुं जेणे विमल, श्यामा राणी उदर हंस, सोवन वन विमल...२... साठ धनुष उन्नत तनु ओ, वरस साठ लख आय, सुवर लंछन शोभमान, मान नमे नितु पाय...३... अनंतनाथ नु [१४] जिन अनंतना गुण अनंत, न कहाये तंते, कर्म अनंते जीतियां, वरवोर्य अनंते.. नयरी अयोध्या नरपति, सिंहसेन तनुज, सुजसा राणी लाडलो, सिंचाणो उरुज...२... आयु वरस लख त्रोसर्नु, जीवित सोवन वान, धनुष पचास प्रमाण देह, ध्यान धरे मुनि मान...३... धर्मनाथ नु [१५] पनरमो जिन धरमनाथ, उपदेशे धर्म, जेह सुणीजे भावशुं, तस नाशे कर्म...१... रत्नपुरी वर भानुराय, सुव्रता सुत सारो, धणु पणयालीश उच्च देह, भव जलनिधि तारो...२... वरस लाख दश आउखुंओ, वज्र लंछन हेम वान, मान कहे जिनवर विषे, मन धरिले बहुमान...३... शांतिनाथ नु [१६] शांतिकरण श्री शांतिनाथ, जेणे मारि निवारी, अचिरा कुख उपनो, मृग लंछन धारी...१... Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [१३] गजपुरी राजा विश्वसेन, कुल मुगट नगीनो, चालीश धनुष प्रमाण देह, में साहिब कीनो...२... सोवन वर्ण तनु राजतो ओ, वरिस लाख जस आय, मानविजय वाचक भणे, जिन नामे सुख थाय...३... कुंथुनाथ नु [१७] कुंथुनाथ जिनराज आज, में नयणे दीठो, सकल दूरित दूरे गयो, भवभव सवि नीठो... गजपुर नयरे सुर राय, श्री राणीले जनम्यो, सहस पंचाणु वर्ष आय, सुरनरपति प्रणम्यो...२... पूरण पांत्रीस धनुष तनु ओ,अज लंछन अभिराम, मानविजय वाचक मुदा, नितु नितु करे प्रणाम...३... अरनाथ नु [१८] आराधो अरनाथने, शिवसुख ने आपे, कर्म अरिथी छोडवे, भब-बंधन कापे...१... राय सुदर्शन कुलमणि, गजपुर अवतारी, त्रीश धनुष पीत वरण, प्रणमो नरनारी...२... सहस चोराशी वरसन अ, जीवित देवी जात, लंछन नंदावर्त जुत, मान कहे विख्यात...३... मल्लिनाथ नु [१९] मल्लि जिणेसर मोहमल्ल, जिणे जित्यो हल्ल, हल्ल भल्ल करतां शुभ, प्रणमे जस भल्ल...१ मिथिला नयरी कुंभराय, कुल कमल विकासी, प्रभावती राणी जण्यो, नीलुत्पल भासी...२ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १४ ] चैत्यवंदन धनुष पणवीस उजात तनु अ, कुंभ लंछन वर पाय, वरस पंचावन सहस आय, मान कहे सुपसाय... ३ मुनिसुव्रत स्वामी नु [२०] श्री मुनिसुव्रत सुव्रतो, नमिओ दुःख गमिओ, वमिओ पाप मिथ्यात्वने, शिवपुरमा रमिओ...१... राजगृही राजा सुमित्र, पद्मा तनु जनमा, वीश धनुष तनु कृष्णवर्ण, शिव कमला सद्द्म...२... वरस सहस त्रीश आउखुओ, लंछन कुर्म सुचंग, मानविजय प्रभु प्रणमता, नित नित नव-नव रंग...३... नमिनाथ तु [२१] नमिओ श्री नेमिनाथने, शिवसाधन कामे, प्रभुने नामे ठाम ठाम, रहिओ आरामे... १. मिथिला नयरी विजयराय वप्राओ प्रसव्यो, .. वरस सहस दश आय तनु, हेम कान्ति ठव्यो...२... पन्नर धनु उन्नत तनु ओ, लंछन नील सरोज, रहेता प्रभु पद पंकजे, मानविजयने मोज...३... नमिनाथ [२२] भाव धरी भविया भजो, श्री नेमि जिणंद, समुद्रविजय राणी शिवा, मनमोहन चंद...१... जस दश धनु तनुमान वान, उमह्या घन सरीखो, शंख लंछन लंछन सोहामणो, देखीने हरखो...२... जीवित वरस सहसनुंओ, शौरीपुरी उत्पन्न, मान कहे जिनवर नमे, ते नरनारी धन्न...३... Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [१५] पार्श्वनाथ तु [२३] पास जिणंद सदा जयो, मनवंछित पूरे, भवभय भावठ भंजणो, दुःख दोहग चूरे...१... अश्वसेन नृप कुलतीलो, वामासुत शस्त, वाणारसीओ अवतर्यो, काया नव हस्त... २... नील वर्ण लंछन फणीओ, जीवित जस शतवर्ष, मानविजय प्रभु नामथी, पामे परिगल हर्ष...३... महावीर स्वामी नुं [२४] श्री वर्धमान जिनभाण आण, निज मस्तक वहिओ, सिंह लंछन परे सर्वदा, जस चरणे रहिए... १ क्षत्रिय कुंड ग्राम नयर, सिद्धारथ भूप, त्रिशला राणी उदर हंस, हेमवान अनूप... २ जीवित बहोंतेर वर्षनुं अ, सात हाथ तनु मान, मानविजय वाचक करे, जिनवरना गुण गान... ३ 1. रूपविजयजी कृत चोवीशी श्री ऋषभदेव न [१] प्रथम नमुं श्री आदिनाथ, शत्रुंजय गिरि सोहे, नाभिराया मरुदेवी नंद, त्रिभुवन मन मोहे...१... लाख चोराशी वरस आयु, सुवर्ण सम काय, राणी सुनंदा सुमंगला, तस कंत सोहाय...२... लंछन वृषभ विराजतो अ, धनुष पांचसो देह, विनीता नगरीनो धणी, रूप कहे गुणगेह...३... Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१६] चैत्यवंदन - अजितनाथ नु [२] अजित अयोध्याना धणी, गज लंछन गाजे, जितशत्रु विजया तणो, सुत अधिक दिवाजे...१... साडा चारसो धनुष देह, हेम वर्ण विराजे, बोंतेर लाख पूर्व आयु, त्रिभुवन पति छाजे...२... समेतशिखर अणसण करिअपहोंच्या मुक्ति मोझार, रूपविजय कहे साहिबा, आवागमन निवार...३... संभवनाथ नु [३] संभवनाथ सदा जयो, मनवंछित पूरे, हय लंछन हेमवर्ण देह, टाळे दुःख दूरे...१. राय जितारी कुल तिलक, सावत्थी राय, सेना माता जनमिओ, जगमां सुजश गवाय...२... धनुष चारसो देहडीओ, साठ लाख पूर्व आय, विनयविजय उवज्झायनो, रूप नमे नित्य पाय...३... अभिनंदन नु [४] उंचपणे त्रणसो पचास, धनुष्य प्रभु देह, संवर राय सिद्धारथ, सुतशुं मुज नेह...१... लाख पचास पूर्व आयु, अयोध्यानो राणो, सुवर्ण वर्ण विराजतो, कपि लंछन जाणो...२... अभिनंदन प्रभु विनतीजे, अंतर्यामी देव, विनयविजय उवज्झायनो, रूप नमे नित्यमेव...३... सुमतिनाथ नु [५] मेघराय मंगला धणी, मंगला पटराणी, धनुष त्रणसो देहमान, लंछन क्रोंच जाणी...१... Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी सुवर्ण वर्ण विराजता, सुमति जिनेसर सेवो, लक्ष चालीश पूर्व आयु, आपे नित्य मेवो...२... समेतशिखर मुक्ति गयाओ, जगजीवन जगदीश, रूपविजय कहे साहिबा, तुं मुज मलिओ इश...३... पद्मप्रभु तु [६] पद्मप्रभु छट्ठा भाया, वर्णे प्रभु राता, धर राय कौसंबी धणी, सुशीमा जस माता...१... कमल लंछन अढिसो धनुष, शिवसंपत्ति दाता, त्रीश लाख पूरव आयु, त्रिभुवननो त्राता...२... चोत्रीश अतिशय विराजताओ, सेवे सुर नर कोड, विनयविजय उवज्झायनो, रूप नमे कर जोड...३... सुपार्श्वनाथ [७] [ १७ ] जगतारण जिन सातमा, प्रतिष्ठित राय नंद, पृथ्वीमाता उरे धर्यो, मुख पूर्णिमा चंद... १... वीश लाख पूरव आयो, बसो धनुष देह दीपे, स्वस्तिक लंछन श्री सुपार्श्व, अरियणने जीपे...२... जन्म स्थान वाणारसी ए, देह कनकने वान, रूपविजय कहे साहिबा, द्यो शिवरमणी ठाम...३... चंद्रप्रभु तु [ ८ ] महसेन मोटो राजियो, सती लक्ष्मणा नारी, चंद्र समुज्वल वदन कांति, जन्म्यो जयकारी...१... चंद्रपुरी नयरी जेहनी, चंद्र लंछन कहिये, चंद्र प्रभ जिन आठमा, नामे गहग हिओ ...२... Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१८] चैत्यवंदन - - दोढसोधनुष- जिनतनु, दश लाख पूरव आय, रूपविजय प्रभु नामथो, दिन-दिन दोलत थाय...३... सुविधिनाथ नु [६] सुविधि भली विध सेवतां, भव भावठ भंजे, सुग्रीव राय सुत सेवतां, दुश्मन नवि गंजे...१... मगर लंछन मन मोहतो, नयरो काकंदी, दोय लाख पूरव आय, बोले जयनंदी...२... अकसो धनुष वर देहडी, उज्ज्वल वर्ण उदार, रूपविजय कहे भवि नमो, वामा माता मल्हार...३... शीतलनाथ नु [१०] भद्दिलपुर द्दढरथ राय, नंदा पटराणी, शीतल जिनवर जन्मतां, जगकीति गवाणी...१. श्रीवत्सलंछन नेवं धनुष, देह सुवर्ण समाणी, एक लाख पूरव आयु मान, कहे केवलनाणो...२... सुखदायक दशमा सदाओ, दे दोलत भरपूर, रूपविजय कहे भवि नमे, प्रह उगमते सूर...३... ___ श्रेयांसनाथ नु [११] विष्णुराय कुल केसरी, माता विष्णु जायो, खड्गी लंछन ऐंशी धनुष, सवि सुरपति गायो...१. लाख चोराशो वरस आयु, भविजन मन भायो, श्री श्रेयांस जिनेश्वर, दीठे सुख पायो...२... सुवर्ण वर्णे देहडीओ, सिंहपुरी अवतार, रूपविजय कहे मुज मळयो, त्रिभुवन तारणहार...३... Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी वासुपूज्य नु' [१२] देवलोकथी दीपती, नगरी वर चंपा, वासुपूज्य जिन जन्मठाम, वसे लोक सुचंपा ...१... वसुपूज्य राजा राजीओ, जया जस पटराणी, सीत्तेर धनुष देह रातड़ी, महिष लंछन जाणी...२... वर्ष बहोंतेर खाखनुं ओ, आयु कहे जगनाथ, रूपविजय कहे नित्य जपो शिवपुर मारग साथ...३. विमलनाथ नुं [१३] , वंदो विमल जिनेंद्र चंद्र, सुख संपत्ति दाता, कंपिलपुर कृतवर्म राय, श्यामा जस माता...१... साठ धनुष पर देह मान, दीपे विख्याता, सुवर्ण वर्ण विराजमान गुण सुर नर गाता...२... साठ वर्ष लक्ष आउखुंओ, सुवर लंछन पाय, विनयविजय उवज्झायनो, रूपविजय गुण गाय...३... अनंतनाथ तु [१४] अनंत जिनेश्वर चौदमा, अयोध्याओ अवतरिया, सिंहसेन कुल केशरी, सुजशा उरे धरिआ... १... देह धनुष पचास मान, गुणसूत्रे भरिआ, वर्ष त्रीश लाख आउखे, श्री केवल वरिआ... २... सिंचाणो लंछन सही अ, कनक वर्ण प्रभु देह, रूपविजय कहे साहिबा, तुज शुं अविहड नेह...३.. धर्मनाथ [१५] [१९] J धर्म धुरंधर धर्मनाथ, धर्म सुव्रता माया, भानुराय सुत भानु जेम, सुरवधु हुलराया...१... Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२०] चैत्यवंदन धनुष पिस्तालीश देह मान, वज्र लंछन धायो, वरस लाख जस आउखु, हेम वर्ण सुहायो...२... रत्नपुरी नयरी धणो अ, पन्नरमा भगवंत, रूपविजय कहे भवि तुमे, आराधो अरिहंत...३... शांतिनाथ नु [१६] शांतिकरण श्री शांतिनाथ, गजपुर धणी गाजे, विश्वसेन अचिरा तणो, सुत सबल दोवाजे... चालीश धनुष कनक वर्ण, मृग लंछन छाजे, लाख वरसनुं आउखु, अरिजन मद भाजे...२... चक्रवर्ती प्रभु पांचमाओ, सोलसमा जगदीश, रूपविजय मन तुं वस्यो, पूरण सकल जगीश...३... कुथुनाथ नु [१७] सत्तरमा श्री कुंथुनाथ, श्री राणीले जायो, गजपुर नगरे सुर राय, ‘उद्भट बाय सुवायो...१ सहस पंचाणुं वर्ष आयु, छाग लंछन ध्यायो, धनुष पांत्रीश देहडी, हेम वर्ण सोहायो...२... चोसठ सहस वधु धणी, पायक संघ न पार, रूपविजय कहे साहिबा, तुं तरियो मुज तार...३... अरनाथ नु [१८] राय सुदर्शन गजपुरे, देवी पटराणो, लंछन नंदावर्त जास, अरजिन गुणखाणी...१... त्रीश धनुष वर देहडी, हेम वर्णे जाणी, वर्ष चोराशी सहस आयु, कहे जिनवर वाणी...२... Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी चक्रवर्ती प्रभु सातमा अ, अढारमो मुज देव, रूप कहे भविजन तमे, करो नित्य-नित्य सेव...३... मल्लिनाथ [१९] मल्लिनाथ ओगणीशमा, मिथिलापती वंदो, प्रभावती मात जनमिआ, कुंभराज कुलचंदो... १... सहस पंचावन वर्ष आयु, नीलवर्ण जिणंदो, पचीश धनुष देह मान, टाले भवफंदो...२... लंछन कलश सोहामणो ओ, सेवे सुर नर वृन्दो, विनयविजय उवज्झायनो, रूप लहे आणंदो...३... मुनिसुव्रत स्वामी तु [२०] जयो निरंतर स्नेहशुं, वीशमा जिनराय, सुमित्र राय पद्मावती, सुतशुं मन भाय कच्छप लंछन धनुष वीश, श्यामवर्णी काया, त्रीश सहस वर आउखु, हरिवंश दीपाया...२... मुनिसुव्रत महिमानीलो ओ, नगरी राजगृही जास, रूपविजय कहे साहिबा, नामे लील विलास...३... नमिनाथ तु [२१] विजय वप्रा सुत धणी, मिथिलानो नाथ, धनुष पंदर हेम वर्ण, मेले शिव साथ...१... लंछन नीलकमल जास, तरिआ भवपाथो, नमि नमता स्नेहशुं, अमे थया सनाथो...२... दश हजार वर्ष आउखुं ओ, अकवीशमा मुज स्वाम, रूप कहे प्रभु सांभलो, मन मोह्युं तुम नाम...३... ... [२१] १... Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२२] चैत्यवंदन नेमिनाथ नु [२२] राजुल वर श्री नेमिनाथ, शामळीओ सारो, शंख लंछन दश धनुष देह, मन मोहनगारो...१... समुद्रविजय राय कुलतीलो,शिवादेवीसुत प्यारो, सहस वरसनुं आउखुं, पाळी सुखकारो...२... गिरनारे मुक्ति गया अ, शौरीपुरी अवतार, रूपविजय कहे वालहो, जगजीवन आधार...३... पार्श्वनाथ नु [२३] जय जय जय श्री पार्श्वनाथ, सुख सम्पत्तिकारी, अश्वसेन वामा तणो, नंदन मनोहारी. नील वर्ण नव हस्त देह, अहि लंछनधारी, अकसो वर्ष आउखे, वरी लक्ष्मी सारी...२... जन्म जास वाणारसीओ, प्रत्यक्ष धरती देव, सानिध्यकारी साहिबो, रूप कहे नित्यमेव...३... महावीर स्वामी नु[२४] वर्धमान चोवीसमा, क्षत्रिय कुल जाणो, सिद्धारथ त्रिशला तणो, नंदन सपराणो...१.. सुवर्ण वर्ण सात हाथ, सिंह लंछन सोहे, वर्ष बहोतेर आयु जास, भविजन मन मोहे...२... अपापा शिवसुख लह्याओ, वीर जिनेश्वर राय, विनयविजय उवज्झायनो, रूपविजय गुण गाय...३... नंदसूरि कृत चोवीशी श्री ऋषभदेव नु [१] पढम जिनवर पढम जिनवर, पाय पणमेव...१ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [२३] शेजा गिरिवर मंडणो, नाभिराय कुल चंद सामी, शत शाखा जे परवर्यो, करे सेव नित दिवस गामी...२ जुगला धरम निवारिओ, मुगति रमणी उर हार, वृषभ लंछन दुःखभंजणो, मरूदेवी तणो मल्हार...३ अजितनाथ - [२] अजित सामिअ अजित सामीअ नमुं नित देव...१ नयरी अयोध्यानो धणी, राय जितशत्रु तणो नंदन, विजया राणी उअरे धर्यो, विषम वीरमद मोह कंदन...२ समेत शिखर मुगते गया, कंचन वरण शरीर, गज लंछन जिनवर नमो, जिम पामो भव तीर...३ संभवनाथ नु [३] । स्वामी संभव स्वामी, संभव देव जयवंत...१... सेना देवी नंदनो, धनुष च्यार शत देह जाणुं, मोह मिण रण रोलव्यो, हेमवरण तनु वखाणुं...२... लंछन तुरीअ सोहामणो, जेहनो तात जितारी, द्यो संपत्ति सेवक भणी, दुःख भवोदधि तारी.. अभिनंदन नु [४] जंबूदीवह जंबूदीवह, भरहखित्तंमि... अभिनंदन गुण आगलो, धरीअभाव घj भेटो, नयरी विनोता मंडणो, राय संवर तणो बेटो...२ सिद्धारथा देवी तणो, वानर लंछन जाण, वण्य पंचासा देह जस, नमता होय निरवाण...३ सुमतिनाथ नु [५] सुमति समरथ सुमति समरथ, देव अरिहंत...१... जेहनी नयरी कोशला, मेघराय घर जनम जाणु, Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२४] जास जनेता मंगला, सुख अनंता पूरवे माणु...२... कोंच लंछन रळियामणो, कनक सरिखी देह, मुगति रमणी वर मंडणो, अमोओ वुठया मेह...३... पद्मप्रभु नुं [६] पद्म जिनवर पद्म जिनवर, राय वर तात...१... कोसंबी नयरी भली, वाव कूप प्रासाद मंदिर, रक्त वरणे सोहतो, त्रीस सहस त्रिलाख मुनिवर...२... जननी सुशीमा जनमिओ, लंछन कमल सुचंग, तप संयम जिणे आदर्या, जित्यो सबल अनंग...३... सुपार्श्वनाथ [७] जेह भुवितल जेह भुवितल, हुवो जयवंत...१... भूप प्रतिष्ठ पुहवि माता, उयरे अवतार लीधो, वाणारसी नयरी हुओ, मोहराय दूर कीधो...२... लंछन सोहे साथिओ, सेवक पूरे आश, नरक तणां दुःख छोडवे, जिन सातमो सुपास...३... चंद्रप्रभु नुं [८] चैत्यवंदन नमो सुरपति नमो सुरपति, अमर नरराय...१... चंद्रप्रभ जिन आठमा, शुचि वर्ण महसेन नंदन, लखमणा सुत पूजिओ, कुसुम घनसार चंदन...२... चंद्रप्रभा नयरी सुणो, नरपति प्रणमे पाय, त्रिजगगुरु नित्ये नमो, लंछन दोपे निशि राय...३... सुविधिनाथ तु [8] सुविधि नवनिधि सुविधि नवनिधि रयण भंडार...१... Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी वंछित सुखदायक नसुं, गर्भवास नितु टाळे फेरो, काकंदी नयरी हुओ, देव पुत्र सुग्रीव केरो...२... रामा राणी जाइओ, मंगर लंछन जे कोय, सुविधिनाथ भविया नमो, जिम घरे संपत्ति होय...३... शीतलनाथ नुं [१०] [२५] स्वामी शीतल स्वामी शीतल भद्दिलपुर गाम... १... भूपति दृढरथ भारजा, नंदा उअरे वसियो, राज तजि संजम लियो, हणि मोह वस कियो...२... श्री वत्स लंछन नेवुं धनुष, जित्यो कुल द्युत, दशमा- जिनवर भेटिओ, होवे पुण्य बहुत...३... श्रेयांसनाथ न [११] विष्णु नरपति विष्णु नरपति शंखपुर राय...१... रूप सोभागे आगला, लक्षणवंत सुविचार सुंदर, नगर वसे विवहारिया, वाव कूप प्रासाद मंदिर...२. खडगी लंछन पंखिओ, धनुष अंशी जसु काय, कंचन वरण श्रेयांजिन, विष्णु देवी माय...३... वासुपूज्य नुं [१२] नयरी चंपा नयरी चंपा राय वसुपूज्य ... १... जयादेवी राणी सती, गज गामीनि सोहे, वासुपूज्य जनमिया, रूप त्रिभुवन मोहे...२... लंछन महिष मनोहरु, धनुष सीत्तेर जाणुं, पद्मराग तनु रूअडो, निशदिन मनमां आणुं ...३.. विमलनाथ नुं [१३] विमल जिनवर विमल जिनवर राय कृतवर्म... १... Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२६] चैत्यवंदन श्यामा राणी उर धर्यो, त्रीस लख वरसा राज, वर्षी दान देइ करी, जननां सीझ्या काज...२... कंपिल नयर सोहामणो, सुअर लंछन जाण, विमल भावे भविअण नमो, दुष्कृत नासे नाम...३... अनंतनाथ नु [१४] सुणो सज्जन सुणो सज्जन भविअण जन लोयं...१... नयरी अयोध्या राजियो, सिंहसेन नप राज पाले, सुजसा राणी सीअली, करे धर्म विकर्म टाले...२... तास उयरे प्रभु उपना, लंछन सेना कंत, अकमना आराहि, जिन चउदमो अनंत...३.. धर्मनाथ नु [१५] रतन पुरवर रतन पुरवर भानु नरदेव...१... सुव्रता राणि सीअली, धरमनाथ उयरे धरिया, त्रिभुवन मन रंजिओ, हेम कुंभ अमिओ भरिया...२... लंछन वज्र सोहामणो, कहे चिहु भेदे धर्म, बारे परषदा सांभले, टाले अशुभ भ वि कर्म...३... शांतिनाथ नु [१६] हस्ति पुरवर हस्ति पुरवर, राय विश्वसेन...१... अचिरा देवी मातनो, श्री शांति जिनवर, लाख चोराशी गज तुरी, सेवे जस सुर नर...२... चोसठ सहस अंतेउरी, चंपक सरीखं अंग, धन धन चक्री पांचमो, लंछन जास कुरंग...३... कुंथुनाथ नु [१७] कुंथु प्रण, कुंथु प्रणमुं सुर समदेव...१... Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [२७] श्री माता सोहामणी, छाग लंछन जन मोहे, चोसठ सहस अंतेउरी, शियलवंत सवि सोहे...२... गजपुर नयर सोहामणो, कांति जित गंजेव, सत्तरमो जिन पूजिओ, केशर चंदन लेव...३... अरनाथ नु [१८] नृपति सुरवर नृपति सुरवर, सुरवर वीर...१... देवी राणी भारजा, तास उयरे अवतार, नंदावर्त लंछन भलं, नयर नागपुर सार...२.. समरथ चक्री सातमो, देह धनुष जस वीश, अरोअण अरीदल भंजणो, पयतल नामुं शीश.....३.... मल्लिनाथ नु [१६] नमो भवियां नमो भवियां, धरी आणंद...१... मल्लिनाथ मिथिलापुरी, कुंभराय घरे जन्म, प्रभावति उयरे उपना, नीलवरण जस तन...२... लंछन कलश सोहामणो, नित-नित बोले धरम, .. अबलापणुं प्रभु पामिओ, माया केरू करम...३ मुनिसुव्रत स्वामी नु [२०] बार जोयण बार जोयण, नगर विस्तार...१... राजगृह रलियामj, सुमित्र राय अरि जीपे, धन देवी पद्मावती, नयण मुख चंद दीपे...२... मुनिसुव्रत जेणे जाइया, सामी काजल वान, लंछन कच्छप अति भलो, भावे करो गुणगान...३... नमिनाथ नु [२१] नमि जिनवर नमि जिनवर, विजय सुत जाणी...१... Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२८] चैत्यवंदन वप्राराणी उयरे धरो, पनर धनुष तनु सोहे, वाणी जोअण गामिनि, मधुरो तिर्यंच मोहे...२... निल्लुपल लंछन भलं, मथुरा नयरी निवास, कंचन वरण पूजी करी, जिन गुण भणी रास...३... नेमिनाथ नु [२२] धन सोरठ धन सोरठ, देश दीपे अति चंग...१.. धन-धन शौरीपुरी नयर, धन शिवा देवी मात, धन-धन समुद्रविजय पिता,मोहमयण कीधो घात...२... धन-धन राजीमती सतो, धन ते नर ने नार, शंख लंछन नमुं नेमजी, जाशं गढ गिरनार...३... पार्श्वनाथ नु [२३] . अश्वसेनह अश्वसेनह, जास जिन तात...१... वामा माता जनमिया, मोह मद मान कंदण, प्रभावती हंसगामिनो, जिन भविअ रंजण...२... लंछन सरप सोहामणो, वाणारणीनो वास, जिन जिराउल मंडणो, भधियां पूरो आस...३. ___ महावीर स्वामी नु [२४] छत्र शिरपर छत्र शिरपर, त्रण सोहंत...१... चामर सुरपति चालवे, वाणि त्रिभुवन मोहे, सिद्धारथ कुल अवतर्या, त्रिशला माता सोहे...२... चरणे मेरू चलाविओ, समरथ लंछन सिंह, महावीर जिन निते नमुं, प्रह उगमते दिह...३... Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - चोवीसी [२६] ज्ञानविमल सूरि कृत चोवीशी श्री ऋषभदेव नु [१] प्रथम जिनेसर ऋषभदेव, सव्वट्टथी चविया, वदि चोथ आषाढ नी, शुक्र संस्तविया...१... अष्टमी चैत्रह वदि तणी, दिवसे प्रभु जाया, दोक्षा पण तिणहिज दिने, चउनाणी थाया...२ फागण वदि इग्यारसे, ज्ञान लहे शुभ ध्यान, महा वदि तेरशे शिव लह्या, परमानंद निधान...३... अजितनाथ - [२] शुदि वैशाखनी तेरशे, चविया विजयंत, महा शुदि आठमे जनमिया, बीजा श्री अजित...१... महा शुदि नोमे मुनि थया, पोषी अगियारस, उज्ज्वल उज्ज्वल केवली, थया अक्षय कृपारस...२... चैत्री शुक्ल पंचमी दिने, पंचमी गति लह्या जेह, धीरविमल कविराय नो, नय प्रणमे धरी नेह...३... संभवनाथ - [३] सप्तम अवेयक थकी, चविया श्री संभव, फागण शुदि आठम दिने, चउ दिसी अभिनव...१... मगशिर मासे जनमिया, तिणी पुनम संजम, कार्तिक वदि पंचमी दिने, लहे केवल निरूपम...२... पंचमी चैत्रनी उजली, शिव पहोंत्या जिनराज, ज्ञानविमल प्रभु प्रणमतां, सीझे सघलां काज...३... ___ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [३०] चैत्यवंदन अभिनंदन -[४] जयंत विमान थकी चव्या, अभिनंदन राया, वैशाख शुदि चोथे माघ- शुदि बीजे जाया...१... महा शुदि बारस लहे दिक्ख, पोष शुदि चउदश, केवल शुदि वैशाखनी, आठमे शिवसुख रस...२ चोथा जिनवरने नमिओ, चउगति भ्रमण निवार, ज्ञानविमल गणपति कहे, जिनगुणनो नहीं पार...३... सुमतिनाथ नु [५] श्रावण शुदि बीजे चव्या, मेहलीने जयंत, पंचमी गति दायक नमुं, पंचम जिन सुमति... शुदि वैशाखनो आठमे, जनम्या तिम संजम, शुदि नवमी वैशाखनी, निरूपम जस शम दम...२... चैत्र अगियारस उजली, केवल पामे देव, शिव पाम्या तिणे नवमी, नय कहे करो सेव...३... पद्मप्रभु नु [६] नवमा ग्रैवेयकथी चव्या, महा वदि छठ दिवसे, काति वदि बारशे जनम, सुर नर सवि हरसे...१... वदि तेरश संजम ग्रहे, पद्मप्रभु स्वामि, चैत्रो पुनम केवली, वली शिवगति पामी...२... मगशिर वदि अगियारशे, रक्त कमल सम वान, नय विमल जिनराजन, धरिले निर्मल ध्यान...३. सुपार्श्वनाथ नु [७] छटा अवेयकथी चवी, जिनराज सुपास, भादरवा वदि आठमे, अवतरिया खास...१... Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी जेठ शुक्ल बारसे जण्या, तस तेरसे संजम, फागण वदि छठे केवली, शिव लहे तस सातम...२... सत्तम जिनवर नामथी, सात इति शमंत, ज्ञानविमलसूरि नित लहे, तेज प्रताप महंत...३... चंद्रप्रभु नुं [८] [३१] चंद्रप्रभ जिन आठमा, चंद्रप्रभ सम देह, अवतरिया विजयंतथी, वदि पंचमी चैत्रह... १... पोष वदि बारश जनमिया, तस तेरसे साध, फागण वदिनी सातमे, केवल निराबाध... २... भाद्रव सातम शिव लह्या, पूरी पूरण ध्यान, अट्ठ महासिद्धि संपजे, नय कहें जिन अभिधान.....३.... सुविधिनाथ [६] गोरा सुविधि जिणंद, नाम बीजुं पुष्पदंत, फागण वदि नोमे चव्या, मेहली सुर आनंतं...१... मृगशिर वदि पंचमी जण्या, तस छट्ठे दीक्षा, काति शुदि त्रीजे केवली, दीओ बहु परे शिक्षा...२... शुदि नवमी भादरवा तणी, अजर-अमर पद होय, धोरविमल सेवक कहे, नमतां शिव सुख होय ... ३. शीतलनाथ नुं [१०] प्राणात कल्प थकी चव्या, शीतल जिन दशमा, वदि वैशाखनी छट्ठे जाण, दाघज्वर प्रशमा... १... महा वदि बारश जनम, दीक्षा तस बारसे लीध, वदि पोष चउदश दिने, केवली परसिद्ध...२... Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [३२] चैत्यवंदन वदि बीजे वैशाख नी, मोक्ष गया जिनराज, ज्ञानविमल जिन नामथी, सीझे सघलां काज...३... श्रेयांसनाथ न [११] अच्युतकल्प थकी चव्या, श्री श्रेयांस जिणंद, जेठ अंधारी दिवस छठे, करत बहु आनंद...१... फागण वदि बारशे जनम, दीक्षा तस तेरस, केवली महा अमावशी, देसन चंदन रस...२... वदि श्रावण त्रीजे लह्या, शिवसुख अक्षय अनंत, सकल समीहित पूरणो, नय कहे जे भगवंत...३... वासुपूज्य नु [१२] प्राणतथी इहां आविया, ज्येष्ठ शुदि नवमी, जनम्या फागण चौदशी, अमावासी संजमो...१... महा शुदि बीजे केवली, चौदश आषाढी, शुदि शिव पाम्या कर्म कष्ट, सवि दूरे काढी...२... वासुपूज्य जिन बारमा, विद्रुम रंगे काय, नयविमल कहे इस्युं, जिन नमतां सुख पाय...३. विमलनाथ नु [१३] अट्ठम कल्प थकी चव्या, माघव शुदि बारश, शुदि महा त्रीजे जण्या, तस चोथे व्रत रस...१. शूदि पोष छठे लह्या, वर निर्मल केवल, वदि सातमनी आषाढनी, पाम्या पद अविचल...२... विमल जिणेसर वंदिओ, ज्ञानविमल करी चित्त, तेरसमो जिन नित दिये, पुण्य परिगल वित्त...३... Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी - अनंतनाथ नु [१४] प्राणत थकी चविया इंहा, श्रावण वदि सत्त, वैशाख वदि तेरशी, जनम्या चौदश व्रत...१... वदि वैशाख चउदशी, केवल पुण्य पाम्या, चैत्री शुदि पंचमी दिने, शिव वनिता काम्या...२... अनंत जिनेसर चौदमा, कीधा दुश्मन अंत, ज्ञानविमल कहे नामथी, तेज प्रताप अनंत...३... धर्मनाथ नु [१५] वैशाख शुदि सातमे, चविया श्री धर्म, विजय थकी महा मासनी, शुदि त्रीजे जनम...१... तेरश माही उजली, लिओ संजम भार, पोषी पुनमे केवली, गुणना भंडार...२... जेठी पांचम उजली, शिवपद पाम्या जेह, नय कहे जिन प्रणमतां, वाधे धर्म सनेह...३... शांतिनाथ नु [१६] भादरवा वदि सातम दिने, सव्वट्ठथी चविया, वदि तेरश जेठे जण्या, दुःख दोहग समिया...१... जेठ चौदश वदि दिने, लिओ संजम प्रेम, केवल उज्ज्वल पोषनी, नवमी दिने खेम...२... पंचम चक्री परवड़ाओ, सोलमा श्री जिनराज, जेठ वदि तेरशे शिव लह्या, नय कहे सारो काज...३... कुंथुनाथ नु [१७] श्रावण वदि नवमी दिने, सव्वट्ट थी चविया, वदि चौदश वैशाखनी, जिन कुंथु जणिया...१... Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [३४] वदि पंचमी वैशाखनी, लिओ संयम भार, शुदि त्रोज चैत्रह तणी, लहे केवल सार...२... पडवा दिन वैशाखनी, पाम्या अविचल ठाण, छट्टा चक्री जयकरू, ज्ञानविमल सुख खाण...३... अरनाथ [१८] चैत्यवंदन सरवारथथी आविया, फागण शुदि बीजे, मृगशिर शुदि दशमी जण्या, अरदेव नमीजे...१... मृगशिर शुदि अकादशी, संजम आदरियो, काति उज्ज्वल बारशे, केवल गुण वरियो... २... शुदि दशमी मृगशिर तणी, शिव लहे जिननाथ, सत्तम चक्रीने नम्, नय कहे जोडी हाथ...३... मल्लिनाथ तु [१६] चव्या जयंत विमानथी, फागण शुदि चोथे, मृगशिर शुदि इग्यारशे, जनम्या निग्रंथे...१... ज्ञान लह्या अकण दिने, कल्याणक तीन, फागण शुदि बारशे लहे, शिव सदन अदीन... २... मल्लि जिणेसर नीलडा, ओगणीशमा जिनराज, अणपरणा अणभूपति, भवजल तरण जहाज...३... मुनिसुव्रत स्वामी नुं [२०] अपराजित थी आविया, श्रावण शुदि पुनम, आठम जेठ अंधारडी, थयो सुव्रत जनम... १... फागण शदि बारशे व्रत, बदि बारशे ज्ञान, फागणनी तिम जेठ नवमी, कृष्णे निर्वाण ...२... Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी वर्ण श्याम गुण उज्ज्वला, तिहुयण करे प्रकाश, ज्ञानविमल जिनराजना, सुर नर नायक दास...३... नमिनाथ तु [२१] ... आसो शुदि पुनमे दिने, प्राणतथी आया, श्रावण वदि आठम दिने, नमि जिनवर जाया.. १. वदि नवमी आषाढनी, थया तिहां अणगार, मृगशिर शुदि इग्यारशे वर केवल धार...२... वदि दशमी वैशाखनी, अखय अनंता सुख, नय कहे श्री जिन नामथी, नासे दोहग दुःख...३... नेमिनाथ [२२] अपराजितथी आविया, काति वदि बारश, श्रावण शुदि पंचमी जण्या, यादव अवतंस... १... श्रावण शुदि छठे संजमी, आसो अमावस नाण, शुदि आषाढनी आठमे, शिव सुख लहे रसाल...२... अरिठ नेमि अण परणिया, राजिमतीना कंत, ज्ञानविमल गुण अहना, लोकोत्तर वृत्तांत.....३..... पार्श्वनाथ नुं [२३] कृष्ण चोथ चैत्र तणी, प्राणतथी आया, पोष वदि दशमी जनम, त्रिभुवन सुख पाया...१... पोष वदि इग्यारशे, लहे मुनिवर पंथ, कमठासुर उपसर्गनो, टाल्यो चैत्र कृष्ण चोथह दिने, ज्ञानविमल गुण नूर, श्रावण शुद्धि आठमे लह्या, अक्षय सुख भरपुर...३... पलीमंथ...२... , [३५] ... Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३६ ] चैत्यवंदन 'महावीर स्वामी नुं [२४] शुदि आषाढ छठ दिवसे, प्राणतथी चविया, तेरश चैत्र शुदि दिने, त्रिशलाओ जणिया ... १... मृगशिर वदि दशमी दिने, आपे संयम आराधे, शुदि दशमी वैशाखनी, वर केवल साधे...२... काति कृष्ण अमावासिओ, शिवगति करे उद्योत, ज्ञानविमल गौतम लहे, पर्व दीपोत्सव होत...३.... वीरविजयजी कृत चोवोशी श्री ऋषभदेव नु [१] सर्वारथ सिद्धे थकी, चविया आदि जिणंद, प्रथम राय विनीता वसे, मानव गण सुख कंद...१... योनि नकुल जिणंदने, हायन ओक हजार, मौनातीते केवली, वड हेठे निरधार...२... उत्तराषाठा जनम छे, धन राशि अरिहंत, दश सहस परिवारशुं वीर कहे शिव कंद...३... अजितनाथ नुं [२] आव्या विजय विमानथी, नयरी अयोध्या ठाम, मानव गण रिख रोहिणी, मुनिजनना विश्राम... १... अजितनाथ वृष राशिओ, जनम्या जगदाधार, योनि भुजंगम भयहरू, मौने वर्ष ते बार...२... सप्तपरण तरु हेठले ज्ञान महोत्सव सार, ओक सहसशुं शिव वर्या, वीर धरे बहु प्यार...३... , Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - चोवीसी . [३७] ... संभवनाथ नु [३] सत्तम गेविज चवन छे, जनम्या मृगशिर मांहि, देव गणे संभव जिना, नमिले नित उत्साही... सावत्थी पुर राजीयो, मिथुन राशि सुखकार, पन्नग योनि पामिया, योनि निवारणहार...२ चउद वरस छद्मस्थमां, नाण शाल तरु सार, सहस व्रतीशुं शिव वर्या, वीर जगत आधार...३... .. अभिनंदन नु [४] चव्या जयंत विमान थी, अभिनंदन जिनचंद, पुनर्वसुमां जनमिया, राशि मिथुन सुख कंद... नयरी अयोध्यानो धणी, योनि वर मंजार, उग्र विहार तप तप्या, भूतल वरस अठार...२... वली रायण पादप तले, विमलनाण गणदेव, मोक्ष सहस मुनिशं गया, वीर करे नित्त्य मेव...३... सुमतिनाथ नु [५] सुमति जयंत विमानथी, रह्या अयोध्या ठाम, राक्षस गण पंचम प्रभु, सिंह राशि गुण धाम...१... मघा नक्षत्र जनम्या, मूषक योनि जगदीश, मोह राय संग्राममां, वरस गया छवीश...२. जित्यो प्रियंगु तरु ओ, सहस मुनि परिवार, अविनाशी पदवी वर्या, वोर नमे सो वार...३... पद्मप्रभु नु [६] ग्रैवेयक नवमे थकी, कोसंबी घर वास, राक्षस गण नक्षतरु, चित्रा कन्या राश...१... Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैत्यवंदन - वृश्चिक योनि पद्मप्रभ, छद्मस्था षट मास, तरू छत्रौधे केवली, लोकालोक प्रकाश...२.. त्रण अधिक शत आठशं, पाम्या अविचल धाम, वीर कहे प्रभु माहरे, गुण श्रेणी विश्राम...३ सुपार्श्वनाथ - [७] गेवीज छठेथी चविया, वाणारसीपुरो वास, तुला विशाखा जनम्या, तप तपिया नव मास...१... गण राक्षस वक योनि, शोभे स्वामी सुपास, शिरिष तरु तले केवली, ज्ञेय अनंत विलास...२... महानंद पदवी लहीओ, पाम्या भवनो पार, श्री शुभ वीर कहे प्रभु, पंच सया परिवार...३... __ चंद्रप्रभु नु[८] चंद्रप्रभ चंद्रावती, पुरि चविया विजयंत, अनुराधाले जनमिया, वृश्चिक राशि महंत...१... मग योनि गण देवनो, केवल विण त्रिक मास, पाम्या नाग तरु तले, निर्मल नाण विलास...२... परमानंद पद पामिया, वोर कहे निरधार, साथे सलूणा शोभता, मुनिवर अंक हजार...३. सुविधिनाथ नु [६] सुविधिनाथ सुविधे नमुं, श्वान योनि सुखकार, आव्या आणत स्वर्गथी, काकंदी अवतार...१. राक्षस गण गुणवंतने, धन राशि रिख मूल, वरस चार छद्मस्थमां, कर्म शशक शार्दूल...२... Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [३६] मल्ली तरु तल केवली, सहस मुनि संघात, ब्रह्म महोदय पद वर्या, वीर नमे परभात...३... शीतलनाथ - [१०] दशमा स्वर्ग थकी चव्या, दशमा शीतलनाथ, भद्दिलपुर धनराशि अ, मानव गण शिव साथ...१... वानर योनि जिणंदने, पूर्वाषाढा जात, तिग वरसांतर केवली, प्रियंगु विख्यात...२... संयमधर सहसे वर्या, निरूपम पद निर्वाण, वीर कहे प्रभु ध्यानथी, भव-भव कोडि कल्याण...३... श्रेयांसनाथ न [११] अच्युतथी प्रभु उतरया, सिंहपुर श्रेयांस, योनि वानर देव गण, देव करे परशंस...१... श्रवणे स्वामी जनमिया, मकर राशि दुग वास, छद्मस्था तिंदुक तले, केवल महिमा जास...२... वाचंयम सहसे सही, भव संततिनो छेह, श्री शुभ वीरने सांइशुं, अविचल धर्म सनेह.....३.... वासुपूज्य नु [१२] प्राणतथी प्रभु पांगर्या, चुंपे चंपा गाम, शिव मारग जाता थकां, चंपकतरु विसराम...१... अश्व योनिगण राक्षस, शतभिषा कुंभ राशि, पाडल हेठे केवली, मौनपणे इगवासि...२... षट शत साथे शिव थया, वासुपूज्य जिनराज, वीर कहे धन्य ते घडी, जब निरख्या महाराज...३... Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [४०] चैत्यवंदन विमलनाथ नु [१३] अष्टम स्वर्ग थकी चवि, कंपिलपुरमा वास, उत्तर भाद्रपद जनि, मानव गण मीन राश...१... योनि छाग सुहंकरू, विमलनाथ भगवंत, दोय वरस तप निर्जले, जंबू तले अरिहंत...२... षट सहस मुनि साथशं, विमल-विमल पद पाय, श्री शुभ वीरने सांइशुं, मलवान मन थाय...३... अनंतनाथ नु [१४] देवलोक दशमा थकी, गया अयोध्या ठाम, हस्ति योनि अनंतने, देव गणे अभिराम...१... रेवती) जनम्या प्रभु, मोन राशि सुखकार, त्रण्य वरस छद्मस्थमां, नहीं प्रश्नादि उच्चार...२... पीपल वृक्षे पामिया, केवल लक्ष्मी निदान, सात सहसशुं शिव वर्या, वीर कहे बहुमान...३... धर्मनाथ नु [१५] विजय विमान थकी चव्या, रत्नपुरे अवतार, धर्मनाथ गण देवता, कर्क राशि मनोहार...१... जनमिया पुष्य नक्षत्रमां, योनि छाग विचार, दोय वरस छद्मस्थमां, विचर्या धर्म दयाल...२... दधिपर्णाधो केवली, वीर वर्या बह ऋद्ध, कर्म खपावीने हुवा, अडसय साथे सिद्ध...३... __ शांतिनाथ नु [१६] सर्वारथसिद्ध थकी, चविया शांति जिनेश, हस्तिनापुर अवतर्या, योनि हस्ति विशेष...१... Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [४१] - - - मानव गण गुणवंतने, मेष राशि सुविलास, भरणी मे जनम्या प्रभु, छद्मस्था इग वास...२... केवल नंदीतरु तले, पाम्या अंतर झाण, वीर करमने क्षय करी, नव शतशुं निरवाण...३... कुथुनाथ नु [१७] लवसत्तम सुरभव तजी, गजपुर नयर निवास, राक्षस गण कृतिका जनी, कुंथुनाथ वृष राश...१... सोल वरस छद्मस्थमां, जिनवर योनि छाग, घाति कर्म घाते करी, तिलक तले वीतराग...२... शैलेशी करणे करो अ, अक सहस परिवार, शिवमंदिर सधावतां, वीर घणुं हुंशियार...३... अरनाथ नु [१८] ठाण सव्वट्ठ थकी चव्या, नागपुरे अरनाथ, रेवतो जन्म महोत्सवा, करता निर्जरनाथ...१... जयकर योनि गजवरू, राशि मीन गणदेव, त्रण्य वरसमां थिर थइ, टाले मोहनो टेव...२... पाम्या अंबतरू तले, क्षायिक भावे नाण, सहस मुनिवर साथÓ, वीर कहे निर्वाण...३... मल्लिनाथ नु [१६] मल्ली जयंत विमानथी, मिथिला नयरी सार, अश्विनी योनि जयंकरू, अश्विनोओ अवतार...१... सुर गण राशि मेष छे, वंदित स्वर्गा लोक, छद्मस्था अहो रातिनी, केवल वृक्ष अशोक...२... Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [४२] चैत्यवंदन समवसरणे बेसी करी, तीर्थ प्रवर्तन हार, वीर अचल सुखने वर्या, पंचसया परिवार...३... मुनिसुव्रत स्वामी नु [२०] सुव्रत अपराजितथी, राजगृही रहे ठाण, वानर योनि राजती, सुंदर गण गिर्वाण...१. श्रवण नक्षत्रे जनमिया, सुर वर जय जयकार, मकर राशि छद्मस्थमां, मौन मास अगियार...२.. चंपक हेठे चांपिया अ, जे घनघाती चार, वीर वडो जगमां प्रभु, शिवपद ओक हजार...३... नमिनाथ नु [२१] दशमा प्राणत स्वर्गथी, आव्या श्री नमिनाथ, मिथिला नयरी राजियो, शिवपुर केरो साथ...१ योनि अश्व अलंकरी, अश्वनी उदयो भाण, मेष राशि सुर गण नमुं, धन्य ते दिन सुविहाण...२... नव मासांतर केवली, बकुल तणे निरधार, वीर अनुपम सुख वर्या, मुनि परितंत हजार...३... नेमिनाथ नु [२२] नेमिनाथ बावीशमा, अपराजित थी आय, शौरिपुरीमा अवतर्या, कन्या राशि सुहाय...१... योनि वाद्य विवेकीने, राक्षस गण अद्भुत, रिख चित्रा चोपन दिने, मौनवता मनपूत...२... वेतस हेठे केवलोओ, पंचसयां छत्रीश, वाचंयमशुं शिव लह्या, वीर नमे निश दिश...३... Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [४३] पार्श्वनाथ नु [२३] नयरी वाराणसीओ थया, प्राणतथी परमेश, योनि व्याघ्र सुहंकरी, राक्षस गण सुविशेष...१... जन्म विशाखाले थयो, पार्श्व प्रभु महाराय, तुला राशि छद्मस्थमा, चोराशी दिन जाय...२... धव तरु पासे पामिया, खायिक दुग उपयोग, मुनि तेत्रीशे शिव वर्या, वीर अखय सुख भोग...३... महावीर स्वामी नु [२४] उर्द्धलोक दशमा थकी, कुंडपुरे मंडाण, वृषभ योनि चोवीशमा, वर्द्धमान जिन भाण...१... उत्तरा फाल्गुनी उपन्या, मानव गण सुखदाय, कन्या राशि छद्मस्थमां, बार वरस वही जाय...२... शाल विशाल तरु तले, केवल निधि प्रगटाय, वीर बिरुद धरवा भणी, अकाको शिव जाय...३... पद्मविजयजी कृत चोवीशी श्री ऋषभदेव नु [१] आदिदेव अलवेसरु, विनीतानो राय, नाभिराया कुलमंडणो, मरूदेवा माय...१... पांचशे धनुषनी देहडी, प्रभुजो परम दयाल, चोराशी लख पूर्व-, जस आयु सुविशाल...२... वृषभ लंछन जिन वृषधरु,उत्तम गुणमणि खाण, तस पद पद्म सेवन थकी, लहिले अविचल ठाण...३... Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैत्यवंदन - - अजितनाथ नु [२] अजितनाथ प्रभु अवतर्यो, विनीतानो स्वामी, जितशत्रु विजया तणो, नंदन शिवगामी...१... बहोतेर लाख पूरव तणुं, पाल्यं जेणे आय, गज लंछन-लंछन नहीं, प्रणमुं सुर राय...२... साडाचारशें धनुषनी अ, जिनवर उत्तम देह, पाद पद्म तस प्रणमि, जिम लहिले शिवगेह...३... संभवनाथ नु [३] सावत्थी नयरी धणी, श्री संभवनाथ, जितारी नृप नंदनो, चलवे शिवसाथ...१... सेना नंदन चंदने, पूजो नवअंगे, चारशें धनुषनुं देहमान, प्रणमो मनरंगे...२... साठ लाख पूरव तणुं, जिनवर उत्तम आय, तुरग लंछन पद पद्मने, नमतां शिवसुख थाय...३... अभिनंदन नु [४] नंदन संवर रायना, चोथा अभिनंदन, कपि लंछन वंदन करो, भवदुःख निकंदन...१... सिद्धारथा जस मावडो, सिद्धारथ जिनराय, साडात्रणशे धनुषमान, सुंदर जस काय...२... विनीता वासी वंदिये, आयु लख पंचास, पूरव तस पद पद्मने, नमतां शिवपुर वास...३... सुमतिनाथ नु [५] सुमतिनाथ सुहंकरू, कौशल्या जस नयरो, मेघराय मंगलातणो, नंदन जित वयरी...१... Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [४५] कोंच लंछन जिन राजियो, त्रणशें धनुषनी देह, चालीश लाख पूरव तणु, आयु अति गुण गेह...२... सुमति गुणे करी जे भर्यो, तर्यो संसार अगाध, तस पद पद्म सेवा थकी, लहो सुख अव्याबाध...३... पद्मप्रभु नु [६] कोसंबी पुर राजियो, धर नरपति ताय, पद्मप्रभु प्रभुतामयी, सुशोमा जस माय...१... त्रीश लाख पूरवतणुं, जिन आयु पाली, धनुष अढीसें देहडी, सवि कर्मने टाली...२... पद्म लंछन परमेश्वरु अ, जिन पद पद्मनी सेव, पद्मविजय कहे कीजिअ, भविजन सहु नित्यमेव...३... सुपार्श्वनाथ - [७] श्री सुपास जिणंद पास, टाल्यो भव फेरो, पृथिवी माता उरे जयो, ते नाथ हमेरो...१... प्रतिष्ठित सुत सुंदरू, वाणारसी राय, वीश लाख पूरवतणुं, प्रभुजीनु आय...२... धनुष बसें जिन देहडीओ, स्वस्तिक लंछन सार, पद पद्म जस राजतो, तार-तार भव तार.. चंद्रप्रभु नु [८] लक्ष्मणा माता जनमियो, महसेन जस ताय, उडुपति लंछन दीपतो, चंद्रपुरीनो राय...१... दश लख पूरव आउखु, दोढसो धनुषनी देह, सुर नरपति सेवा करे, धरता अति ससनेह...२... Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [४६] चैत्यवंदन चंद्र प्रभ जिन आठमाओ, उत्तम पद दातार, पद्मविजय कहे प्रणमि, मुज प्रभु पार उतार...३... सुविधिनाथ नु [६] सुविधिनाथ नवमां नम, सुग्रीव जस तात, मगर लंछन चरणे नमुं, रामा रूडी मात...१... आयु बे लाख पूरवतणुं, शत धनुषनी काय, काकंदी नयरी धणी, प्रण, प्रभु पाय...२... उत्तमविधि जेहथी लडोओ,तेणे सुविधि जिनमाम, नमतां तस पद पद्मने, लहिये शाश्वत धाम...३... शीतलनाथ - [१०] नंदा दृढ रथ नंदनो, शीतल शीतलनाथ, राजा भद्दिलपुर तणो, चलवे शिव साथ...१ लाख पूरवनुं आउखं, नेवू धनुष प्रमाण, काया माया टालीने, लह्या पंचम नाण...२... श्रीवत्स लंछन सुंदरू अ, पद पर्दो रहे जास, ते जिननी सेवा थकी, लहिये लील विलास... श्रेयांसनाथ - [११] श्री श्रेयांस अग्यारमा, विष्णु नृप ताय, विष्णु माता जेहनी, अॅशी धनुषनी काय...१... वरस चोराशी लाखन, पाल्थु जेणे आय, खडगी लंछन पद कजे, सिंहपुरी नो राय...२... राज्य तजी दीक्षा वरीओ, जिनवर उत्तम ज्ञान, पाम्या तस पद पद्मने, नमतां अविचल थान...३... Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी (४७] वासुपूज्य नु [१२] वासव वंदित वासुपूज्य, चंपापुरी ठाम, वसुपूज्य कुल चंद्रमा, माता जया नाम...१... महिष लंछन जिन बारमा, सित्तेर धनुष प्रमाण, काया आयु वरस वली, बहोतेर लाख वखाण...२. संघ चतुर्विध थापीने ओ, जिन उत्तम महाराय, तस मुख पद्म वचन सुणी, परमानंदी थाय...३... विमलनाथ नु [१३] कंपिलपुर विमल प्रभु, श्यामा मात मल्हार, कृतवर्मा नृप कुल नभे, उगमियो दिनकार... लंछन राजे वराहy, साठ धनुषनी काय, साठ लाख वरसतणुं, आयु सुखदाय...२... विमल-विमल पोते थया ओ, सेवक विमल करेह, तिणे तुज याद पद्म प्रत्ये, सेवं धरो ससनेह...३... अनंतनाथ नु [१४] अनंत अनंत गुण आगरु, अयोध्या वासी, सिंहसेन नृप नंदनो, थयो पाप निकासी...१... सुजसा माता जनमियो, त्रीश लाख उदार, वरस आउखु पालियुं, जिनवर जयकार...२. लंछन सींचाणा तणुंओ, काया धनुष पचास, जिन पद पद्म नम्याथकी,, लहिये सहज विलास...३... धर्मनाथ नु [१५] भानुनंदन धर्मनाथ, सुव्रता भली मात, वज्र लंछन वज्री नमे, त्रण भुवन विख्यात...१... Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ४८ ] दशलाख वरसनुं आउखु, वपु धनु पिस्तालिश, रत्नपुरी नो राजियो, जगमां जास जगीश...२... धर्म मारग जिनवर कहेओ, उत्तम जन आधार, तिणे तुज पाद पद्म तणी, सेवा करू निरधार...३... शांतिनाथ नुं [१६] शांति जिनेसर सोलमा, अचिरा सुत वंदो, विश्वसेन कुल नभोमणि, भविजन सुख कंदो... १... मृग लंछन जिन आउखु, लाख वरस प्रमाण, हत्थिणाउर नयरी धणी, प्रभुजी गुणमणि खाण...२... चालीश धनुषनी देहडोओ, सम चउरस संठाण, वदन पद्म ज्युं चंदलो, दोठे परम कल्याण. कुंथुनाथ तु [१७] कुंथुनाथ कामित दीये, गजपुरनो राय, सिरि माता उरे अवतर्यो, सुर नरपति ताय... १... काया पांत्रीश धनुषनी, लंछन जस छाग, केवल ज्ञानादिक गुणो, प्रणमो धरी राग...२... सहस पंचाणु वरसनु ओ, पाली उत्तम आय, पद्मविजय कहे प्रणमिओ, भावे श्री जिनराय...३... अरनाथ नुं [१८] नागपुरे अर जिनवरू, सुदर्शन नृप नंद, देवी माता जनमिओ, भविजन सुख कंद...१... लंछन नंदावर्त्तनु, काया धनुषह त्रीश, सहस चोराशी वरसनु, आयु जास जगीश...२... चैत्यवंदन .३... Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी (४६] अरुज अजर अर जिनवरुओ, पाम्या उत्तम ठाण, तस पद पद्म आलंबता, लहिये पद निरवाण...३.. मल्लिनाथ नु [१६]| मल्लिनाथ ओगणीशमा, जस मिथिला नयरी, प्रभावती जस मावडी, टाले कर्म वयरी... तात श्री कुंभ नरेसरू, धनुष पचवीशनी काय, लंछन कलश मंगलकरू, निर्मम निरमाय...२. वरस पंचावन सहस-अ, जिनवर उत्तम आय, पद्मविजय कहे तेहने, नमतां शिवसुख थाय...३... मुनिसुव्रत स्वामी नु [२०] मुनिसुव्रत जिन वीशमा, कच्छपनुं लंछन, पद्मा माता जेहनो, सुमित्र नृप नंदन...१... राजगृही नगरी धणी, वीश धनुष शरीर, कर्म निकाचीत रेणु वज्र, उद्दाम समीर...२ त्रोश हजार वरस तणुंओ, पाली आयु उदार, पद्मविजय कहे शिव लह्या, शाश्वत सुख निरधार...३... नमिनाथ नु [२१] मिथिला नयरी राजियो, वप्रा सुत साचो, विजयराय सुत छोडीने, अवर मत माचो...१... नोलकमल लंछन भलु, पन्नर धनुषनी देह, नमि जिनवरनुं सोहतुं, गुण गण मणि गेह...२... दश हजार वरस तणुंओ, पाल्युं परगट आय, पद्मविजय कहे पुण्यथी, नमिये ते जिनराय...३... Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [५०] चैत्यवंदन __नेमिनाथ - [२२] नेमिनाथ बावीशमा, शिवादेवी पाय, समुद्रविजय पृथिवीपति, जे प्रभुना ताय...१... दश धनुषनी देहडी, आयु वरस हजार, शंख लंछनधर स्वामीजी, तजी राजुल नार...२... शौरीपुरी नयरी भलीओ, ब्रह्मचारी भगवान, जिन उत्तम पद पद्मने, नमतां अविचल थान...३... पार्श्वनाथ नु [२३]. आश पुरे प्रभु पास जी, तोडे भव पास, वामा माता जनमियो, अहि लंछन जास...१... अश्वसेन सुत सुखकरू, नव हाथ नी काय, काशी देश वाणारसी, पुन्ये प्रभुजी आय...२... अकसो वरसनुं आउखु, पाली पासकुमार, पद्म कहे मुक्ते गया, नमतां सुख निरधार. महावीर स्वामी नु [२४] सिद्धारथ सुत वंदिये, त्रिशला नो जायो, क्षत्रियकुडमां अवतर्यो, सुर नरपति गायो...१... मृगपति लंछन पाउले, सात हाथनी काय, बहोंतेर वरसनु आउखु, वीर जिनेश्वर राय...२... क्षमाविजय जिनरायनाओ, उत्तम गुण अवदात, सात बोलथी वर्णव्यो, पद्मविजय विख्यात...३... ऋषभदासजी कृत चोवीशी __ श्री ऋषभदेव नु [१] आदि देव अरिहंत, धनुष पांचसो काया, क्रोध मान नहीं लोभ काम, नहीं मृषा न माया...१... Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [५१] नहीं राग नहीं द्वेष, नाम निरंजन ताहरू, दीर्छ वदन विशाल, पाप गयुसवि माहरू...२.. नामे हं निरमल थयो, जपुजाप जिनवरतणो, कवि ऋषभ इणि पेरे कहे, आदिदेव महिला घणो.. अजितनाथ - [२] अजितनाथ अवतार, सार संसारे जाणु, जेणे जित्या मद आठ, इस्यो अरिहंत वखाणु...१. राज ऋद्धि परिवार, छोडी जेणे दीक्षा लीधी, टाळी कर्म कषाय, शिवनारी वश कीधी... अनंत सुखमां झीलतो, पूजो कर्म आठे खपो, कवि ऋषभ इम उच्चरे, अजितनाथ नित्ये जपो.. संभवनाथ नु [३] संभव जिन सुकुमाल, शीयल संजमधारी, वाणी गंग विशाल, सुणे नरपति ने नारी. अनंत ज्ञान जस बुद्धि, बंध कर्मना कापे, समर्यो सुख निवास, मुक्तिगढ हेला आपे...२... त्रीजो जिन त्रिभुवन वडो, भक्ति नवि चूको कदा, कवि ऋषभ इम उच्चरे, संभवजिन सेवो सदा...३... अभिनंदन नु[४] . अभिनंदन जिनदेव सेव, जस सुरपति सारे, संवर रायनो पुत्र, सकल दुःख सोय निवारे...१... तुं बंधव तुं मात तात, पाप तुज नामे नाठा, दारिद्र दुःख दोर्भाग्य सोय, पण जाये नाठा...२... Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [५२] चैत्यवंदन गुणअनंत ताहरा प्रभु,त्रिभुवन नहीं को तुज समो, कवि ऋषभ इम उच्चरे, अभिनंनद जिनवर नमो...३... सुमतिनाथ - [५] सुमतिनाथ सुखवास दास, हुं लव लव त्हारो, करू विनती एक तुज, आवागमन निवारो.. सेवकनी करो सार, पार पहेलां उतारो, क्रोध मान मद लोभ, सोय उपजतां वारो. देव निरंजन नाम तुह, तुज नामे निश्चय तरो, कवि ऋषभ एणि परे कहे, सुमतिनाथ पूजा करो...३... पद्मप्रभु नु [६] श्री पद्म प्रभ स्वामी, नामतो नव निधान, कोसंबी नरनाथ, देह नो प्रवाल वान...१... त्रीश लाख पूर्व आय, तेह पण पूरु पालो, पहोंच्या मुक्ति मोझार, कर्म आठे ने टाली...२... पद्म लंछन पाये नम, श्रो जिनवर ध्याने रम, कवि ऋषभ इम उच्चरे, पद्मप्रभ पूजी जमुं...३. सुपार्श्वनाथ नु [७] दीठो श्री सुपास जास, मुख पूनम चंदो, नहीं ब्रह्मा नहीं विष्णु, नहीं गरुड गोविंदो.. नहीं ईश्वर नहीं इंद्र, नहीं को तुज नमूनो, तुं जिनवर जगदीश, कंत तुं मुक्ति वधुनो...२... परभेश्वर तुजने कहुं, तुज विण ओर न को वली, श्री सुपार्श्व जिन पूजतां, ऋषभदास आशा फली...३... Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसीः [५३] चंद्रप्रभु नु[८] श्री चंद्रप्रभ राय काय, जस. उज्ज्वल वरणो, मुगट कुंडल ने हार तपे, मुख तेज सो तरणी...१... आंगी बनीय अपार, पुष्प तो पंचे वरणा, तिलक बन्यो अति सार, वळी विविध आभरणा...२... अगर धूप आरती, दीप ज्योति तो प्रगटी, ऋषभ कहे जिन पूजतां, पाप पूर गया घटी...३... सुविधिनाथ नु [६] सुविधिनाथ जिन जाप, जपो जाणे योगींद्र, सुर नर किन्नर सोय, धरे ध्यान बहु इंद्र...१... नरनारी ऋषिराय प्रभु, तुज ध्यान सो ध्यावे, चक्री ने बलदेव सोय, बेठा गुण गावे...२... त्रण भुवनमां निरखतां, अवर न बीजो केवली, कविऋषभ कहे जिन पूजतां,पापगया सवि परजली..३... शीतलनाथ नु [१०] शीतल नामुं शीष, जपो जाप जगदीश, देखी ताहरू रूप, ब्रह्म उर लाज्यो इश...१... इंद्र चंद्र नागेंद्र, सोय नर नाम कहायो, नहीं जग एहवो देव, सम कोई ताहरे आव्यो.. तेज सबल तुझ देव, लाज्यो सुर गगने भमे, ऋषभ कहे जगते वडो, जे श्री जिनचरणे नमे. श्रेयांसनाथ - [११] सुगुण पुरुष श्रेयांस, सिंहपुरी नरनाथ, कनक वर्ण जस देह राय, विष्णु तुज तात...१... Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [५४] चैत्यवंदन फागण वदि बारशे, जन्म तुज स्वामि जाणुं, चोराशी लख वरस आय, तुज सार वखाj...२... झुझ्यो बुझ्यो उगर्यो, लेइ संजम मुक्ति गयो, ऋषभ कहे श्रेयांसनो, जश महिमा जगमा रह्यो...३ वासुपूज्य नु [१२] वासुपूज्य जिन विख्यात, मात जयाए जायो, लेइ इंद्र उत्संग, मेरू माथे जइ नाह्यो...१... आठ सहस चउसट्ठो, कलश अडविधना जाणी, न्हवण करे सुर सोइ, वहे तिहां प्रवाह पाणी...२... कुंडल दोय चिवर भलां, अंगूठे अमृत ठव्यो, कविऋषभ इम उच्चरे,वासुपूज्य जिनमहिमा कह्यो.३... विमलनाथ नु [१३] वंदो विमल जिणंद, जस अतिशय चउतीश, अनंत जिननी मांही, वाणी गुण पांत्रीश...१.. दोष अढारे दूर, कर्म आठने बाली, अलगा तो मद आठ, क्रोध पण चारे टाली...२... पाप अढारे परिहरी, सिद्धिवधु स्वामी हुवो, कवि ऋषभ इम उच्चरे, विमलनाथ गुण संस्तवो...३... अनंतनाथ नु [१४] अनंतनाथ अरिहंत, शरण हुँ तोरे आव्यो, राख-राख जिनराय, देव तुज दर्शन पायो...१... हुरूलियो चउगति मांही, नाम तेरा विण स्वामि, प्रगट्यो पुण्य अंकुर, तुं मल्यो शिवगतिगामी...२... Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [५५] आज अनंता भव तणां, पाप ताप दूरे गया, ऋषभ कहे जिन पूजतां, आनंद उच्छव थया...३... धर्मनाथ नु [१५] वंदु धर्म जिणंद, राजऋद्धि रमणी छोडी, इंद्रिय तजी जेणे, प्रीति मुक्तिशुं मांडी...१... छांड्यो भवनो पास, दास हुं स्वामी तारो, करुणावंत भगवंत, पार पेले उतारो...२... जपी जाप जिनवर तणो, हैडा मांही उलट घणो, कवि ऋषभ इम उच्चरे, धर्मनाथ श्रवणे सुणो...३... शांतिनाथ नु [१६] समरू शांति जिणंद, पुष्प तुज शीष चडावं, श्री जिन पूजन काज, नित्य तुज मंदिर आवं...१... रंगे गाऊं रसत्रुद्धि, सुख संपत्ति पाऊं, मन वचन काया करी, देव हुं तुजने ध्याऊं.. पूजतां तो पदवी लहुं, जपतां जग सुखी बहु, कवि ऋषभ इम उच्चरे, शांतिनाथ समरो सहु...३... कुंथुनाथ नु [१७] कुंथुनाथ जगदेव जिम, सुरपति मांही इंद्र, पंखी मांही जिम हंस, जिम ग्रहगणमांही चंद्र.. पर्वतमांही जिम मेरू, मंत्र मांही नवकार, . गढ मांही लंका कोट, सती जिम सीता सार...२... शत्रुजय सम तीरथ नहीं, अरिहंत सम नहीं देव, कवि ऋषभ इम उच्चरे, कुंथुनाथ करो सेव...३... Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [५६] चैत्यवंदन अरनाथ नु [१८] अढारमो अरनाथ रूप, बहु सुगंध शरीर, अदृष्ट आहार निहार, रुधिर रंग गोखीर...१... समवसरणे देव नर, जोजन मांही समाये, जोजन लगे जिन वाणी, पशु पण वचन सोहाये...२... भामंडल तिहां झलहले, रोग वैर नाठा सही, ऋषभ कहे जिन संस्तवो, अरनाथ आगल रही...३... मल्लिनाथ नु [१६] मल्लीनाथ निशदिन, इति जेणे मरकी टाली, अतिवृष्टि अनावृष्टि, गयो ते दूत दुकाली...१. धर्मध्वज सोहंतो, सिंहासन सह पादपीठे, .. धर्मचक्र आकाशे, देव तुज आगळ हीडे...२... चामर वींझे सुरवर, रयण सिंहासन बेसणे, कवि ऋषभ इम उच्चरे, मल्लिनाथ पातिक हणे.. मुनिसुव्रत स्वामी नु [२०] मुनि सुव्रत नम स्वामी, शीष त्रण छत्र सोहावे, इंद्रध्वजा तिहां सार, पाय नव कमल कहावे...१... त्रण वप्र तिहां देव, हेम मणि रूपा केरा, जिन प्रतिमा तिहां चार, टाले भवनमण घणेरा. अशोकवृक्ष शिर ऊपरे, अमृतवाणी मुखथी झरे, ऋषभ कहे सुव्रतस्वामिनी, इंद्र चंद्र कीर्तिकरे...३... नमिनाथ नु [२१] साचा श्री नमिनाथ, जिण पंथे चाल्या जाय, सही सुगंधी वाट, अधोमुख कंटक थाय...१... Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [५७] वक्ष नमावे शीष, देवो दंदुभि बजावे, पवन शकुन तिहां सार, पुष्प नो वृष्टि करावे...२... कुसुम भला ढीचण समा,नख केश रोम वाधे नहीं, कवि ऋषभ इम उच्चरे, नमिनाथ वंदो सही...३... नेमिनाथ नु [२२] नेमि नम निशदिश, जन्म थकी जे ब्रह्मचारी, अष्ट भवांतर स्नेह, तजी जेणे राजुल नारी...१... नेमि चड्या गिरनार, धरी मन संयम ध्यान, चोपन दिन छद्मस्थ, पछी प्रभु केवलज्ञान...२... सहस वर्ष प्रभु आउखं, पाळीने मुक्ति गयो, ऋषभ कहे जिन नेम नो,जश महिमा जगमा रह्यो...३... पार्श्वनाथ - [२३] पूजो पास जिणंद, कमठ हठी मद गाल्यो, कर्यो नाग धरणेंद्र, अभय दई रागने टाल्यो...१... फाट्युं शंकर लिंग, शिला सागर मांही तारी, धन्य तुं पार्व जिणंद, जरा यादवनी निवारी. कोढ गयो एलग तणो, नागार्जुन विद्या सिद्धि, ऋषभ कहे सिद्धसेननी, सभामांही सारज कीधी...३... महावीर स्वामी नु [२४] वंदु वोर जिणंद, मही जेणे मेरू नचाव्यो, हरि समजाव्यो राय, देव जिणे पाय लगाव्यो...१... शूलपाणी समजाय, नागनी गति समारी, चंदनबाला जेह, लेइ बाकुला तारी...२... उदायी अर्जुन वली, तार्या मेघकुमार, ऋषभ कहे वीर वचन थी, बहु जन पाम्या पार...३... Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [५८] चैत्यवंदन हंससागरजी कृत हंससागरजी कृत चोवीशीमां प्रति चोवीशीमां लीघेल चोवीश बोल । माता, पिता, वंश, राशि, नक्षत्र, जन्म स्थल, केटला साथे दीक्षा, काया, आयु, साधु, साध्वी, गर्भ स्थिति, केटला साथे मोक्ष, यक्ष, यक्षिणी, केवल वृक्ष, मोक्ष स्थान तेमज पांच कल्याणकनी पांच तिथि । श्री ऋषभदेव नु [१] जय मरूदेवा नाभिनंद, वंश इक्ष्वाकु भाण, धन उत्तराषाढ़ा प्रभु, राशि नक्षत्र सुठाण....१.... शुची कृष्ण चतुर्थी , चविया जन्म वखाण, चैत्र वदि अष्टमी दिने, अंक वृषभ हेम वान....२.... मधु वदि अष्टमी दिने, विनीता नयरी राय, चार सहसशु व्रत लिये, पांचशें धनुष नी काय....३.... फागण वदि अगियारशे, वड तले केवल लीध, सहस चोराशी साधुजी, श्रमणी लख त्रण कीध...४.... चोराशी लाख पूर्व आय, दश हजार मुनि साथ, अष्टापद गिरि शिव वर्या, महा वद तेरश नाथ,....५.... गर्भ मास नव चार दिन, गोमुख यक्ष सनूर, प्रभु सेवा काजे सदा, चक्केसरी हजूर....६.... अजितनाथ न [२] जित शत्रु विजयतणो, नंद इक्ष्वाकु वंश, वृषभ रोहिणी जिनतणा, शशि नक्षत्र शंश....१.... माधव शुद तेरश च्यवन, शुदि आठम जाया, सोवन वर्ण तिजग प्रभु, गज लंछन पाया....२.... साडाचारशो धनुषनी, काय अयोध्या राय, ओक सहसशुव्रत प्रभु, महा शुदी नवमी पाय....३.... पोष शुदि अगियारशे, सप्तपर्ण तरू छाय, प्रभुने केवल प्रगटता, लोकालोक जणाय....४.... Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी अक लाख सुसाधुजी, लख त्रण त्रीश हजार, संयति शील सोहामणां, प्रभुनो से परिवार.... ५..... आयु बहोंतेर लाख पूर्व, सहस मुनि संगाथ, चैत्र शुदि पंचमी समेत - शैल वर्या शिव नाथ.... ६.... गर्भ मास अडदिन पचीस, यक्ष महायक्ष, अजितबाला देवी सदा, रखवाली सुदक्ष.... ७..... संभवनाथ [३] .२.... जितारी सेना नंदलो, इक्ष्वाकु कुल केतु, मिथुन मृगशीर्ष भला, राशि नक्षत्र नेतु.... १.... चव्या फागणशुद आठमे, सह शुद चौदश जाया, कनक वरण हय लंछनो, धनुष चारशें काया.... सावत्थी नयरी धणी, दीक्षा सहस मुनि साथ, सह शुदि पूनम संग्रही, जग विचरे जिननाथ....३.... शाल तले केवल वर्या, उर्ज वद पंचमी दक्ष, त्रणसो साडीश सहस, श्रमणी श्रमण बे लक्ष .... ४..... सहस मुनि सह चैत्र, शिव वर्या जग नेत्र.... ५.... दिन त्रिमुख यक्ष, प्रभु शासन रखवालिका, दुरितारी बधकक्ष.... ६..... अभिनंदन नुं [४] साठ लाख पूरव रही, शुदि पंचमी समेत शैल, गर्भवास नवमास खट, [ ५६ ] सिद्धार्था संवरतणो, नंद इक्ष्वाकु वंश, पुनर्वसु मिथुन भला, राशि नक्षत्र प्रशंश.....१.... चव्या माधवशुद चोथने, महाशुदी बीज अवतार, कपि लंछन हेम वर्ण काय, उंठशत घनु सार....२.... पुरी अयोध्या राजीयो, सहस मुनि सह दीक्षा, महा शुदि बारशथी ग्रहे, प्रभु माधुकरी भिक्षा....३.... केवल पोष शुदि चौदशे, प्रियाल वृक्ष तले लीध, संयति छ खत्रीस सहस, मुनि त्रणलाख प्रसिद्ध.... ४..... Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६० ] आयुष पचास लाख पूर्व, सहस मुनि सह भारी, माधव शुद्धि आठम समेत - शैल वर्या शिवनारी.... ५..... गर्भ मास अड ने दिवस- अडवीश ईश्वर यक्ष, कालीदेवी श्री संघना, वांछित पूरे प्रत्यक्ष.... ६..... सुमतिनाथ [५] नंदा मेघ मंगलातणो, मणि इक्ष्वाकु खाण, मघा नक्षत्र राशि सिंह, चव्या नभ शुद बीज भाण..... १..... माधव शुदनी आठमे, जनमिया क्रौंच लंछन, त्रणशें घनु तनु राजतो, जिनजी वान सोवन्न....२.... पुरी अयोध्या राजीयो, चरण हजार संगाथ, माधव शुदि नवमी ग्रहे, त्रण जगतना नाथ....३..... चैत्र शुदी अकादशी, केवल प्रियंगु छाय, संयत संयति लख सहस ति-वीश, पंच त्रीश थाय.... ४..... आयु चालीश लाख पूर्व, सहस मुनिवर साथ, चैत्र शुदि नवमी समेत झाल्यो शिववहु हाथ.......... गर्भमास नव दिन खट, तुंबरू यक्ष सुदक्ष, शासन सेवामां सदा, महाकाली प्रत्यक्ष .... ६..... पद्मप्रभु नुं [६] T नंदन घर सुशीमा तणो, इक्ष्वाकु कुल दीप, कन्या चित्रा राशि रूक्ष, प्रभु नमे सुर भूप.... १..... माघवदि छट्ठ दिन चव्या, ऊर्ज वद बारश जात, रक्त वर्ण लंछन कमल, अढी सय धनु तात कोसंबीपुर राजीओ, ओक सहस सह दीक्षा, कार्तिक बदि तेरश लिये, जन उपकारी भिक्षा....३.... केवल राका चै शुद, छत्रोपग तरू लीध, संयत संयती लख सहस, त्रि-त्रीश चउ-वीश कीध ... ४.... त्रीश लख पूर्वायु प्रभु, समेत शैल शिवनार, वर्यां आठसें त्रण सहित, मागशर वद अगियार.... ५.... चैत्यवंदन २.... Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी गर्भमास नव खट दिवस, भक्त कुसुम यक्ष, शासन सार करे सदा, अच्युता देवी दक्ष.... ६..... सुपार्श्वनाथ [७] प्रतिष्ठ पृथ्वी दीनमणी, इक्ष्वाकु कुलचंद, तुला विशाखा राशि रूक्ष, भविजन नयनानंद.......... नभस्यशुदि अष्टमी चव्या, शुक्रसित बारश जात, स्वस्तिक लंछन हेम वर्ण, दो सय धनु विख्यात....२.... वाणारसी नयरी प्रभु, शुक्र सीत तेरश सार, ओक सहसशु ं व्रत लिये, हुवा जय-जयकार....३.... फागण वद छट्ठ श्रीश तरू, पाम्या केवल सार, त्रण लक्ष मुनि संयति, चउ लख त्रीश हजार..... ४...... प्रभु आयु वीश लक्ष पूर्व, पंचसया मुनि साथ, फागण वद सातम समेत - शैल थया सिद्धनाथ... . ५.... गर्भ मास नव ओगणीश, दिन मातंग यक्ष, संघ सकल दुरित हरे, शांतादेवी चंद्रप्रभु नुं [८] दक्ष....६.... महसेन लक्ष्मणा नंदलो, इक्ष्वाकु कुल भाण, वृश्चिक अनुराधा प्रभु, राशि नक्षत्र प्रमाण....१.... चव्या मधु वद पंचमी, पोष वद बारश जाया, चंद्र लंछन प्रभु शुचि वर्ण, धनुष दोढशें काया.....२.... चंद्रपुरी नयरी धणी, पोष वद तेरश सार, ओक सहसशुं व्रत लिये, जगजंतु सुखकार.....३...... ज्ञान फागण वद सप्तमी, नागतरू परिवार, अढी लाख मुनि संयति, त्रणसो अंशी हजार.... ४..... नभस्य वदि सप्तमी समेत, अक सहस मुनि साथ, दश लाख पूर्वायु तजी, सिद्धि वर्या जगनाथ.... ५.... गर्भवास नव दिन सात, यक्ष विजय रंगे, विघ्न हरे शासन तणा, भृकुटी देवी संगे..... ६..... [६१] Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [६२] चैत्यवंदन सुविधिनाथ - [६] सुग्रीव रामा नंदलो, इक्ष्वाकु कुल चंद, . धन राशि नक्षत्र मूल, पाया सुविधि जिणंद ...१.... फागण वदि नवमी चव्या,सह वदि पंचमी जात, शुचि वर्णा लंछन मगर, शत धनु तनु तात....२.... काकंदी नयरी प्रभु, संयम सहस संगाथ, सह वदि छठ अंगीकरे, सहु अनाथना साथ....३.... कार्तिक शुद त्रीज केवली, मल्लिका तरू सार, दो लख सुमुनि संयति, अक लख वीश हजार....४.... बे लख पूर्वायु प्रभु, समेत शैल शिरताज, नोम भाद्र वद सहसशु, प्रभु थया सिद्धराज....५.... गर्भमास अड-छव्वीस · दिन, सुयक्ष अजित, : संघ दूरित हरती सदा, देवी सुतारा खचित....६.... शीतलनाथ - [१०] हढरथ नंदा नंदलो, इक्ष्वाकु कुल केतु, धन पूर्वाषाढा प्रभु, राशि रूक्ष भवसेतु....१.... राध वदि छठ दिन चव्या,महा वद बारश जात, श्रीवत्स लंछन हेमवर्ण, नेवु धनु तन तात....२.... भद्दिलापुरीनो राजीयो, अनल कर्म समिध, माघ वदि बारश दिने, संयम सहसशुलीध....३.... पोष वदि चोदश दिने, प्लक्ष तरू अध ज्ञान, अक लक्ष मुनि संयति, अक लक्ष खट मान....४.... प्रभु आय अक लक्ष पूर्व, वैशाख वद बीज सार, सहस मुनि सह शिव वर्या, समेत शैल दरबार....५.... गर्भमास नव दिन खट, ब्रह्मा महायक्ष, संघ सानिध्य करे सदा, अशोका देवी दक्ष....६.... . श्रेयांसनाथ नु [११] विष्णु माता-पिता तणो, नंद इक्ष्वाकु चंद, Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी - - मकर श्रवण जिन राशि रूक्ष, शम सुरतरू कंद....१.... चव्या जेठ वद छठ, वदि-बारश फागण जात, लंछन खडगी हेम वर्ण, अॅशी धनु विख्यात....२.... सिंहपुरी पुर राजीयो, ओक सहसशु नाथ, फागण वदि तेरश ग्रहे, दीक्षा कुमरी हाथ....३.... माघ अमास केवल तरू, निंदुक मुनि परिवार, सहस चोराशी संयति, अक लाख ऋण हजार....४.... आयु चोराशीलक्ष वर्ष,नभ वदि त्रीज मनोहार, सहस मुनि साथे वर्या, समेत शैल शिव नार....५.... गर्भवास नव मास दिन, खट ईश्वर यक्ष, मानवी देवी चूरती, कूडां कुमति पक्ष....६.... वासुपूज्य नु [१२] वसुपूज्य जयातणो, नंद इक्ष्वाकु केतु, कुभ शतभिषा राशि रूक्ष, त्रिजग जंतु नेतु....१.... चव्या जेठ शुद नोम जन्म,फाल्गुन शुदि चौदश, महिष लंछन रक्त वान, सित्तेर धनु जगीश....२.... चंपापुरी नरेशरी, संयम खट शत साथ, अमास फाल्गुन रूअडी, लघु त्रिभुवन नाथ....३.... माघ शुदी बीज केवली, पाटल तरूअर छाय, बहोतेर सहस सुसाधवी, अक लक्ष मुनिराय....४.... आयु बहोतेर लाख वर्ष, शुचि शुद चौदस सार, खट शत साधु सह वर्या, चंपापुरी शिवनार....५.... गर्भवास अडदिन वली, वीश यक्षकुमार, जिनशासन रक्षा करे, चंद्रादेवी श्रीकार....६.... विमलनाथ नु [१३] कृतवर्म श्यामतणो, नंद इक्ष्वाकु चंद, रूक्ष उत्तराभाद्रपद, मीन राशि जिणंद....१.... माधवशुद बारश चव्या,प्रगट्या महा शुद त्रीज, Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [६४] चैत्यवंदन वराह लंछन हेम वर्ण, साठ धनु तनु निज,....२.... कंपिलपुर वर राजियो, दान संवत्सरी दीध, माघ चतुर्थी शुकला, साथ सहस व्रत लीध....३.... पोष शुदि छठ केवली, जंबू अध मुनि सार, अडसठ सहस सुसंयति, अक लख आठसें धार....४.... साठ लाख वर्षायु ने, वद सातम शुचि मास, खट सहस मुनिशुसमेत, शैल लह्यो शिववास....५.... गर्भमास अड अकवीश, दिवस षण्मुख यक्ष, विदिता देवी संघने, सहाय करे प्रत्यक्ष....६.... अनंतनाथ नु [१४] सिंहसेन सुयशातणो, नंद इक्ष्वाकु दीप, मीन रेवती राशि रूक्ष, जिनजी त्रिजग अधीप....१.... श्रावण वद सातम चव्या, राध वद तेरश जात, अंक सिंचाणो वर्ण हेम, पचास धनु जगजात....२.... अयोध्या नगरी राजीयो, वरसी वार्षिक दान, राध वदि चौदश धयु, सहसशु संयम ठाण....३.... नाण राध वद चौदशे, अश्वत्थ तरू छाय, सुसंयति बासठ सहस, छासठ मुनि सुखदाय....४.... आयु वरस लख त्रीशनु, मधु शुद पंचमी सार, सात सहस साथे समेत, शैल वर्या शिवनार....५.... गर्भमास नव आठ दिन, सुरवर यक्ष पाताल, देवी अंकुशी करे, शासन भक्ति रसाल....६.... धर्मनाथ नु [१५] सुव्रता भानुराय नंद, कुल इक्ष्वाकु दिणंद, कर्क राशि पुष्प रूक्ष, नमे सुरासुर इंद....१.... राध शुदि सातम चव्या,प्रगट्या महाशुदि त्रीज, . वज्र अंक हेम वर्ण देह, धनु पिस्तालिस धरीज....२.... रत्नपुरी विभूषणो, सहस मुनि संगाथ, Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [ ६५ ] महा शुदि तेरश व्रत धरी, जग विचरे जगनाथ.... ३.... पोष राका दधिपर्ण, अध ज्ञान चोसठ हजार, साधु संयति चारसें, बासठ सहसशुं धार.... ४..... प्रभु आयु दश लाख वर्ष, आठसें मुनिवर साथ, जेठ शुद्धि पंचमी समेत, शैल वयां शिव नाथ.... ५.... गर्भवास अड मास दिन, छव्वीश किन्नर देव, देवी कंदर्पा संघनां, कष्ट हरे नित्यमेव .... ६..... शांतिनाथ नुं [१६] भाण, विश्वसेन अचिरातणो, नंद इक्ष्वाकु भरणी रूक्ष राशि मेष, सेवे सुर नर राण ... १..... भाद्र वदि सातम चव्या, जेठ वद तेरश जात, मृग लंछन हेम वर्ण काय, चालीश धनु विख्यात ....२.... गजपुरी भूषण प्रभु, संयम सहशशुं लीध, ज्येष्ठ वदि चौदश दिने, सकल मनोरथ सिद्ध....३.... पोष शुदि नवमी तरू, नंदी ज्ञान हजार, बासठ मुनि साधवी सहस, अकसठ छसें धार.... ४..... वरस लक्ष अक आउखु, नवसें पचास मुनि साथ, जेठ वदि चौदशे ग्रह्यो, समेत शिववधु हाथ.... ५.... गर्भमास नव दिन खट, यक्षवर गरुड सूर, शासन संघ सनूर.... ६.... निर्वाणी नित्य-नित्य करे, कुंथुनाथ [१७] श्री माता सुरराय नंद, नभोमणि इक्ष्वाकु, वृष राशि नक्षत्र शुभ कृतिका रोधभवाकु ........... श्रावण वद नोमे चव्या, राध वद चौदश जात, स्तुभ लंछन पांत्रीश धनुष, देह सोवन सुजात....२.... गजपुरी पुर मंडनो, संयम सहसशुं लाय, माधव वदि पंचमी दिने, गुणगण सुर नर गाय....३..... Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैत्यवंदन मधु शुद श्रीज तिलक तरु, केवल साठ हजार, साधु छसें सुसंयति, साठ सहस पर धार....४.... सहस पंचाणुं वर्ष आय, सहस मुनिवर साथ, राध वदि अकम समेत, शैल वर्या शिवनाथ....५.... गर्भमास नव पांच दिन, गंधर्व वर सुर, शासनसूरि बला करे, संघ विघन सहु दूर....६.... अरनाथ नु [१८] पिता सुदर्शन देवी नंद, वंश इक्ष्वाकु चंद, मीन राशि उडु रेवती, जय जय जगदानंद....१.... फागण शुदि बीजे चव्या, सह शुदि दशमी जात, लंछन नंदावर्त्त हेम, वरण त्रीश धनु तात ...२.... गजपुरराय संयम लहे, सहस सोभागी साथ, मागशर शुदि अकादशी, सेवे सुर नर नाथ....३.... आम्र तळे कात्तिक शुदि, बारश केवल ज्ञान, पचास हजार मुनि सहस, आठ सुसंयति मान....४.... सहस चोराशी वर्ष आय, सहस मुनिवर साथ, सह शुदि दशमी श्री समेत, शैल थया सिद्धनाथ....५.... गर्भमास नव आठ दिन, प्रभु शासन सुर इंद्र, संघ विधन दूरे करे, धारिणी मात अनिद्र....६.... मल्लिनाथ नु [१६] इक्ष्वाकु कुलचंद नंद, प्रभावती कुंभराय, उडु अश्विनी राशि मेष, सुर नर प्रणमे पाय....१.... फागण शुद चोथे चव्या, नील वरण कुंभ अंक, सह शुदि जात अकादशी, पचीश धनु निष्पंक....२.... मिथिलापुर वर राजीयो, संयम त्रणशें साथ, सह शुदि अकादशी धरे, भवि कमलवन पाथ ...३.... सह शुदि अकादशी तरु, अशोक ज्ञान हजार, चालीश सुमुनि संयति, सहस पंचावन धार....४.... Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी सहस पंचावन वर्ष आय, समेत शैल किरतार, पंच सया सह शिव वर्या, सह शुदि दशमी सार........... गर्भमास नव सात दिन, तीरथ यक्ष कुबेर, संघतणी सेवा करे, वैरोट्या धरी महेर.... ६..... मुनिसुव्रत स्वामी नुं [२०] [ ६७ ] 800 सुमित्र पद्मा नंदलो, हरिवंश नभ भाण, श्रावण उडु राशि मकर, प्रणमे सुर नर राण .... १ श्रावण राका दिन चव्या, जेठ वद आठम जात, कच्छप लंछन शामळा, वीश धनु तनु तात ....२..... राजगृही नगरी धणी, संयम सहस संगाथ, फागण शुदि बारश ग्रहे, त्रि जग जन्तु नाथ....३..... फागण वद वारश तरु, चंपक केवल सार, त्रीश सहस मुनि साधवी, पचास सहस परिवार.... ४.... आयु त्रीश सहस वरस, जेठ वद नोम उदार, साधु-साधवी सहसशुं समेत शैल भव पार.... ५.... गर्भमास नव आठ दिन, यक्ष वरुण वर सुर, नरदत्ता संघने सदा, आपे सुख भरपूर.... ६...... नमिनाथ तु [२१] विजयराय वप्रातणो, नंद इइक्ष्वाकु वंश, भ अश्विनी राशि मेष, जगजंतु अवतंस.... १..... आसो शुदि राका च्यवन, नभ वदि अष्टमी जात, नीलकमल अंक हेम वर्ण, पंदर धनुष विख्यात....२.... मिथिला नगरी राजीयो, संयम सहसशुं सार, अषाढ वदि नवमी ग्रयुं, हुओ जय-जयकार....३..... सह शुदि अकादशी, तरु बकुल केवल धार, वीश सहस मुनि संयति, अकतालीश हजार.... ४..... वरस सहस देश आउखु, सहस मुनिवर साथ, राध वदि दशमी वर्या, समेत शैल शिवनाथ.... ५..... Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६८ ] गर्भवास नव मास दिन, अष्ट भृकुटी यक्ष, मात गंधारी सेवना, नित्य करे प्रभु पक्ष.... ६..... नेमिनाथ तु [२२] समुद्रविजय शिवातणो, नंद हरिवंश केतु, भ कन्या चित्रा उडु, सुंदर भव सेतु....१... उर्ज वदि बारश चव्या, नभ शुदि पंचमी जात, शंख लंछन ने शामळा, दश धनु तनु अवदात....२.... शौरिपुरी नयरी धणी, ओक सहस संगाथ, चैत्यवंदन आ ब्रह्मचारी व्रत धर्यु, श्रावण शुदि छठ नाथ....३..... आसो अमासे केवली, वेतस तरु छाय चालीश सहस सुसंयति, अढार सहस मुनिराय.... ४.... आयु सहस अक त्रर्षनुं, शुचि शुद आठम सार, पांचशे छत्रीश मुनि सहित सिद्धि वर्या गिरनार.... ५..... गर्भमास नव आठ दिन, गोमेध यक्ष सनूर, > } सूरि अंबिका संघनां विघ्न करे चकचूर.... ६..... पार्श्वनाथ [२३] इक्ष्वाकु कुल अश्वसेन, वामा कुख सर हंस, तुला विशाखा राशि रूक्ष, त्रण जगत पर शंस ....१..... चैत्र वदि चोथे चव्या, पोष दशमीओ जात, नील वरण लंछन अहि, तन नव हाथ विख्यात.... २.... वाणारसी नयरी धणी, त्रणशें सह सौभागी, पोष वदि अकादशी, लहे व्रत वड वैरागी....३.... चैन वदि चोथे तरु, ध्वज तळे केवल लीध, सहस आडीश संयति, सोळ सहस मुनि कीध .... ४..... अक शत वर्षनुं आउखु, नभ शुद आठम दिन, तेत्री मुनि साथै समेत, सिद्ध्या नाथ नगीन.... ५.... गर्भवास नव मास दिन, खट धरणेन्द्र सुदेव, शासन सूरी पद्मावती, सार करे नित्यमेव.... ६.... Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [६६] महावीर स्वामी नु [२४] सिद्धारथ त्रिशलातणो, वंश इक्ष्वाकु नंद, उत्तरा उडु नाथने, कन्या राशि अमंद....१.... शुचि शुदि छठ दिन चव्या,मधु शुदि तेरश जात, हरि लंछन हेम वर्ण पूर, सात हाथ जगतात....२.... कुंडलपुर वर राजीयो, सह वद दशमी दिन, ओकाकी संयम वर्या, जय-जय नाथ नगीन....३.... माधव शुदि दशमी प्रभु, ज्ञान शाल तरु पाय, छत्रीस सहस सुसंयति, चौद सहस मुनिराय....४.... बहोतेर वर्ष- आउखु, कार्तिक वदि अमास, पाम्या अकाकी प्रभु, पावापुरी शिववास....५.... गर्भवास नव मास दिन, सात यक्ष मातंग, सिद्धायिका सेवा करे, हृदय धरी उछरंग....६.... गोधा कर निधि-निधि शशी,रची चोवीशी अमोल, वेद व्योम नभ युग सूरत, हंस सुधार्या बोल....७.... हंससागरजी कृत चोवीशीना अघरा शब्दो सार्थ अंक- लंछन, मधु- चैत्रमास, माधव- वैशाख, राध- वैशात्र, नभ- श्रावण, शुक्र- ज्येष्ठ, नभस्य- भाद्रपद, शुचि- आषाढ. उर्ज- कार्तिक, सह- मागशर, नेतु- प्रभुना, रूक्ष- नक्षत्र, राका- पूर्णिमा, खड्गी- गेंडो, स्तुभ- बोकडो, उडु- नक्षत्र, रोधभवाकु- संसार अटक्यो छे तेवा । शोलरत्नसूरि कृत चोवीसी श्री ऋषभदेव नु [१] चिदानंदलीलारसास्वादलीनं, गुणैः सिद्धिभाजामनंतरहीनं, मुदा सर्वदा श्रीयुगादीशदेवं, स्तुवे भद्रदायिक्रमाम्भोजसेवं...? गृहस्थो बभाषे कलाशिल्पसारं,क्रमात् केवली यश्च धर्मप्रकारं, स एव प्रभुः सर्वलोकोपकारी, न चान्यस्ततो ज्ञाननैर्मल्यधारी...२ Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [७०] चैत्यवंदन महाशुद्धसिद्धान्त मध्ये प्रसिद्धं, प्रतीतं पुराणेषु शोभासमृद्ध, गतं वेदवेदान्तशास्त्रेऽवदातं, यदीयं चरित्रं न च क्वापि मातं....३ अनन्तं पुनन्तं जनं भक्तिमन्तं, हरन्तं दुरन्तं प्रमादं स्फुरन्तं, जिनं नाभिभूपालवंशावतंसं, श्रये तं शरण्यं जिवाम्भोजहंसं...४ कलाकेलिसर्पप्रणाशे सुपर्णः, सुवर्णोपमानोल्लसद्देहवर्णः, वृषांकः सुखांकूरमेघः सुरम्यं,युगादीश्वरो मे प्रदत्तां सुसाम्यं....५ अजितनाथ नु [२] कुशलकाननपुष्टिबलांगकं, भवदवानलशान्तिबलाहकं, अजिततीर्थपति श्रितवत्सलं, भजत भव्यजना ! विगतच्छलं....१ विमलकेवलबोधकलाधरं, भविकलोकचकोरकलाधरं, करिवरांकितपादपयोरुहं नम जिनं जितशत्रुतनूरुहं....२ विजयिनी जननी ननु गर्भगे, व्यजनि यत्र बुधैः सदिदं जगे, मृगपतौ सबलेन्तरमाश्रिते, गिरिगुहा किल कैःपरिभूयते?....३ अपि गदायुधचक्रिपुरंदर-स्थिरपराक्रमभंगकरः स्मरः, सुकृतिभिःकिल यस्य जगत्पतेझटिति नामबलादपि जीयते....४ सततमक्षयमोक्षपदं श्रितः, स्फुरदनंतचतुष्टयशोभितः, अजिततीर्थकरो मम मंगलं,दिशतु शाश्वतसौख्यमलम्फलम्....५ संभवनाथ नु [३] लोचनानंद विस्तारि चंद्राननं, मोहमातंगभेदाय पंचाननं, विश्वविख्यातनित्योदितप्राभवं,संभवं शंभवं स्तौमि भक्त्याभवं..१ येन गर्भस्थितेनापि भूमंडले,शस्यवृध्द्या सुभिक्षं विधायाखिले, केवलित्वे पुनर्बोधिबीजार्पणाद्धारी? वात्सल्यधीःसर्वसाधारणा..२ शोषितो येन संसारघोरार्णवश्चूर्णितश्च प्रमादाचलःसध्र वः, मोहसेनापि सा दुर्जया निर्जिता,शक्तिमानं गुरूणां हि को वेदिता देवदेवं दयावल्लरीमंडपं, दुष्कृतानोकहछेदकानेकपं, पापपंकापनोदाय चंडातपं, संस्तुवे तं तृयीयं तु तीर्थाधिपं....४ श्रीजितारिक्षमापालसेनांगजः,स्वर्णशैलद्युतिभ्राजिवाजिध्वजः, तीर्थनाथस्तृतीयोऽस्तु रत्नत्रय-बायको मे त्रिलोकीशवंद्योदय..५ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी अभिनंदन नुं [४] गुणौघमंदारनिवासनंदनं, मिथ्यात्वपापोपशमाय चंदनम्, श्रीसंवरक्ष्मारमणस्य नंदनं, मुदा स्तुवे तीर्थकराभिनंदनं .... १ यं संस्तुवानस्य दृशातरंगिनी, सहस्रचंद्रांशुरयात् प्रसर्पिनी, क्षेत्रे नदीमातृकतागते हरेवृद्धि ययौ भक्तिलतामनोहरे.... २ भजन् वनौका अपि यस्यनिश्चलं, पादांबुजं नित्यमहोमहाफलं, जिनेंद्रवाच्यं हरितामसंगतः, स्यान्निष्फलं नो गुरुसेवनं ततः....३ पराभवन् योगबलेन संवरद्विषं सुविस्तारितराजिसंवरः, ददातु देवो नवमं रसं वर - स्वजन्मसंतर्पित राजसंवरः....४ ध्यानं चतुर्थं समवाप्य विश्रुतं योऽर्थं चतुर्थं भजतिस्म शाश्वतं अरे चतुर्थे शुभितः शुभोदयश्चतुर्थतीर्थप्रभुरस्तु सश्रिये....५ सुमतिनाथ नुं [ ५ ] [ ७१] मंगलावलीनदीमहार्णवं, मंगलाप्रवरकुक्षिसंभवम्, मेघभूपतिसुतं दयालता - मेघमञ्चत जिनं जना रताः.... १ मातुरुत्तमतमाभवन्मतिर्गर्भगेऽपि ननु यत्र जाग्रति, संस्मृतेरप्यदोषधिषणाप्रजायते.... २ स्मेरमुत्तमगुणालिकोमलम्, अत्र किं कुतुकमस्य अंगुलीदलविराजिकोमलम्, यस्य शस्यपदपद्मयामलम्, संश्रयन्नलभते नयामलम्... ३ पंचबाणबलभंजनक्षमम्, पंचभेदिविषय छिदागमम्, पंचसार समितिप्रपंचकम्, पंचमं नमत तीर्थनायकम्....४ कणिकारकुसुमासमप्रभः, क्रौंचलक्षितपदो हताशुभ:, तीर्थनाथसुमतिर्मनोति यच्छतान्मम तथा चनिर्वृत्तिम्.... ५ पद्मप्रभु नुं [६] प्रशस्तपद्माकरवत्सुवृत्तः, श्रीसद्मपद्माङ्कपदोऽतिवित्तः, पद्मप्रभः पातु विभुविभाव-विभावरीयान् कृतकर्मलाव..... १ सरोरुहंराजगणेन बन्ध - मानं सद्यः, यदहिश्रयणेन प्रमाणमेतन्महदाश्रयस्य....२ निरास्य, पराभवं राजभवं Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [७२] चैत्यवंदन मूर्ती विभान्त्यत्र विभातसन्ध्याः , सद्धर्मकर्मप्रकृताववन्द्या, मूर्तिर्यदीयाऽवसरं विवेका—दित्योदयार्थ ददते प्रवेका....३ धराधिराजो धर एव धन्यः, सीमासुसीमारमणोनचान्यः, कुले यदीये कमले मराल-लीलां ललौ यःसुषमाविशाल:....४ प्रवालबालारुणपद्मराग-रम्याङ्गकान्तिः परिमुक्तरागः, षडन्तरारिक्षयकारशक्ति, षष्ठो जिनो यच्छतु मे सुयुक्ति....५ सुपार्श्वनाथ नुं [७] श्रीप्रतिष्ठनरनाथतनूजम्, सुप्रतिष्ठनरनिमितपूजम्, देवदेवमभिनौमि सुपार्श्वम्, देवताऽधिपतिसेवितपार्श्वम्....१ स्वस्तिकारणमनोहरदृष्टिम्, स्वस्किाङ्कितपदं कृततुष्टिम्, यं जनस्य भजतो ननु पृथ्वी-सूनुमृद्धिरिह राजति पृथ्वी....२ दुःखदुर्गतिविरोधिविकारा-स्तावदेव भविनां स्युरपाराः, यस्य यादवतुलं त्वभिधानं, स्मर्यते न शुभसिद्धिविधानम्....३ दर्शनश्रुतलघूरुचरित्रा--रागताः शिवफला इतिनेत्राः, येन जल्पितुमिवाच्चपताका, उच्छ्रिताः प्रकटपञ्चफणाङ्काः....४ हारिवारिजरजः करणरङ्गत् पिञ्जरांजगसुभगः शुभचंगः, श्रीसुपार्श्वभगवानघसंग--च्छेदकोऽस्तु गुणगौरवतुंगः....५ चंद्रप्रभु नु [८] चंद्रोपलप्रवरचंद्रमयूखचंद्र-गौरांगसंगतगुणाश्रममुक्ततंद्र ! , चंद्रप्रभ त्रिभुवनाधिपते प्रसीद सौभाग्यसुंदरविभो कुशलावलीद.१ श्रीखंडपांडुरमुदारतनुं भवंतं, व्याख्यानसद्मनि सुवागमृतं किरतं, दृष्ट्वा जनेऽजनिजनेति ननुप्रतीतिगंगागिरेहिमवतःप्रसरीसरीति.२ विश्वेशशीतरुचिरेषकलालयोपि,पीयूषपात्रमपिऋक्षगणाधिपोपि, त्वांसेवतेऽधिकसमृद्धिकृते नु नित्यं,राजा न तृप्यति ततःकियतेति सत्यं उद्दामसेनमहसेनवसुंधरेश-श्रीलक्ष्मणासुतविवेककरोपदेश !, चंद्रांक भव्यजनचंद्रकिधूमयोने,सौम्यां दृशं मयि निधेहि शुभश्रियोने अष्टांगयोगकुशलेष्ट गुणोष्टसिद्धि-दाताष्टकर्मबलनिर्दलनप्रसिद्धिः, अष्टासु मे श्रवणमातृषु वत्सलत्वमाप्तोष्टमो दिशतु विश्रुतसत्यसत्वः Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीसी सुविधिनाथ नु [६] गुणराजिमनोहररत्ननिधिं, वरशान्तरसोमिसुधाजलधि, परिणामहितोदितपुण्यविधि, प्रणमामि जिनेन्द्रमहं सुविधि....१ मुदितामलसाधुलसच्चरितम्,विदिताऽखिललोकमिहादुरितं, सुखमिच्छसि चेच्चतुर त्वरितं, सुविधि भज तत्सुखमाभरितं....२ दधतं सततं सुमहानवमं, विगलन्मलजालमिहानवमम्, सदनं परमप्रशमं नवमं, जिनमञ्चत भव्यजना ! नवमं....३ पुरुहूतपरंपरया महितम्, समधामहितं सुषधाम हितम्, विदलन्तमचं भविनाम हितम्,सुविधि स्मर भव्यकलामहितम्...४ कमलोपमदक्षिणवामकरम्, क्रमसेवनसोदरसन्मकरम्, अवदातयशोजितसोमकरम्, सुविधिं श्रयतानघधामकरम्....५ शीतलनाथ नु [१०] अमृतमसमतृष्ण-तापनिर्वापहेतुं,हितमगदमदभ्रं रागरोगं विनेतुम्, कतकफलमशुद्धस्वान्तपानीयशुध्द्यै, । जिनपतिमहमीडे शीतलं पुण्यबुध्द्यै...१ दृढरथनृपनन्दानंदनं नेत्रलीलां बुजविकसनभानुविभ्रतं योगिलीलां, भजत शुभजनाः । श्रीवत्ससश्रीकपादम्, ___ जिनममुमकलङ्कम् सर्वदा निविषादम्....२ विषमविषयकीलाघोरसंसारदावे,कथमहह दुरंतक्लेशदायिस्वभावे, दधति रतिमधन्या मोहमूढापदेनं, तदुपशमकमाप्तं नो भजन्ते यदेनम्....३ कलुषशिरसि भेदे जाज्वलद्वज्ररूपम्, निविडजडिमनाशे चंडभानुस्वरूपम्, कथमिह भजमानाः सत्यशब्दार्थदाक्ष्यम्, यमभिदधति देवं साधवः शीतलाख्यम्....४ अपि दशसु दिशासु स्पष्टबोधप्रकाशम्, सदशभिधसुधाभुक्शाखिवत्पूरिताशम्, " ५ , Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [७४] चैत्यवंदन - दशविधयतिधर्मोल्लासवृद्धयै त्रिकालम्, दशमजिनवरेन्द्रम् नौलि भावादनालम्...५ श्रेयांसनाथ - [११] श्रेयोलक्ष्मीराजमानारविन्दम्, पादद्वन्द्वोपास्तिकृदेववृन्दम्, साधुश्रेणिकौमुदीशुक्लपक्षम्, श्रीश्रेयांसं संश्रयेस्तारिपक्षम् ....१ निर्वाणश्रीकंठमाणिक्यहार- क्लेशध्वान्तच्छेदसूर्यावतार !, वाच्यातीतस्फीतवृत्तप्रतीत !, त्रायेयाऽहं नत्वया पापभीतः....२ तृष्णालोलोल्लोलमालाकरालम्,मोहाम्भोधि प्रोच्छलत्पङ्कजालम्, उत्तीर्णास्ते ये मतं तेऽधिरूढाः,स्वामिन् श्रीमन् यानपात्रं ह्यमूढाः.३ दम्भोलोभोमोहमायाप्रमादाः, कामक्रोधभ्रान्ति मिथ्याविवादाः, देवासन्ना नैव तेस्युर्वराकाः, सिंहस्येव स्फूर्जत: फेरुपाकाः....४ माद्यन्मायासूर्यजाकामपाल ! , श्रेयान् श्रेयःकल्पवृक्षालवाल, नेतश्चेतश्चोक्षभावेन युक्तम्, त्वत्सेवातो मेऽस्तु कालुस्यमुक्तम्..५ वासुपूज्य नु [१२] । वसुपूज्य राजकुलकीतिकर, हरिपूज्यपादमतुद्धिभरं, प्रभुवासुपूज्यभगवंतमहं, प्रणमामि भव्यजनदत्तमहं....१ भुवनावतंसभविनोकुशला, भगवन् सुखैकरसिकाः सकलाः, ननु तन्निमित्तमतुलात्तिहरं, न भवंतमीश्वरंभजति परं....२ विषयाविपाकविषभोगसमा,निखिला:कषायरिपवो विषमाः, परिहृत्य तानिति कृती रमते, परिणामहारिणि तवेश ! मते....३ भववासिना सुखकलाविरला,विपुलापि राज्यकमला तरला, भवतःप्रभोरभिलषामि नतः,स्थिर (मेक ) मेव शिवसौख्यमत....४: तरुणांशुमालिसमकांतिकलः, कलिताखिलत्रिभुवनो विमलः, विभुवासुपूज्यप्रभुपूज्यपद, द्वितयःप्रसीदतु स मे सुखसंपदः....५ _ विमलनाथ नु [१३] यशसा सकलेंदुमंडलं, जितवंतं विकलंकमुज्वलं, मदमेघघटामहाबलं, विमलं नौमि जिनं सुनिर्मलं....१ Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [७५] भगवन् ! भववाससंकटं, विकटनामविदन्नपिस्फुटं, निबिडैननु कर्मबंधनैः, स्थितवानस्मि सि तो हहा घनैः....२ भुवनेश ! वनेऽथवाजने, नगरेसंवसथेऽथपत्तने, भवरागविषोमिविह्वलः, क्षणमात्रं न सुखं लभे किल....३ विमलोसि जिनाभिधानतः, परिणामादपि तादृशो मतः । अधुनापि तवाभिधापुविमलं देव ? करोतु मे मनः....४ गिरिमंदरकांतिसुंदरः, प्रमदोदारनमत्पुरंदरः, विशदं दिशतु त्रयोदश, सुकृतोद्योतपदं जिनो यशः....५ अनंतनाथ नु [१४] विवेककनकाचलोद्गतमरीचिकल्पद्रुमस्फुरच्छिवफलोल्लसत् सुख रसैकभोगोत्तमः, अनंतजिननायकः सकलसंपदा दायकः, प्रभुविजयतां नमद्भविकसंहतेस्त्रायकः....१ कुबोधखरमारुतोपचितकोपदावानलप्रसर्पदशुभाशयप्रबल धूममालाकुलः, भवन्मतं सुधाः सरः शरणयामियावन्मतं, कुकर्मपिशुनः स मां नयदि तावदेवेशतं....२ अनीतिवनवेष्टितोऽशुभविकल्पकूटोन्नतः सदाकठिनतान्वितः सुकृतमार्गरोधोद्यतः, तदेवननुभिद्यतेविषममानशैलस्ततस्तवशयदिशासनं कुलिशमाप्यतेभाग्यत:....३ कुबुद्धिविषवल्लरीघनमनः कुडंगस्थिति: प्रतारणमहाविषासुचपलातिगुप्तागतिः, विभोनिकृतिपन्नगीननुतदेवदूरंचरेद्भवद्वचन .गारुडंय दिहदिप्रकामंस्फुरेत....४ भृतत्रिभुवनोदरप्रचुरपंकलोभार्णवः, प्रमापणघटोद्भवः सुकृतिलोकनेत्रोत्सवः, चतुर्दशजिनेश्वरः शिवफलंगुणस्थानक, च तुर्दशमसौविभुर्दिशतुमेघपुत्रोऽधिकं....५. Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ७६ ] धर्मनाथ तु [१५] धर्मोद्यमारामलसद्वसंतं, भव्यांगिनां चित्तगृहे वसंतं, श्रीधर्मनामानमधीशमीडे, लीनं शिवे सर्व निवृत्तपीडे.... १ चंद्रप्रदीपद्युपतीनुदीतान् सर्वानतीत्योल्लसता प्रतीतान्, केनापि नित्यं स्वपरावभासि - ज्ञानप्रकाशेन विभो विभासि....२ आदर्शमध्ये मित एवतावद्धीनोधिकोवाप्रतिभातिभावः, त्रैलोक्यदर्शी निखिलांस्त्वमेव, भावानृतान् पश्यसि देवदेव.... ३ कर्माकुरात्यंतभिदे लवित्र, शुध्यै महातीर्थजलं पवित्रं, विचारयंस्ते विमलं चरित्रं, को नाम चित्ते नदधाति चित्रं....४ श्रीभानुवंशाम्बुजचंडभानुः प्रभानुगामी कृतमेरुसानुः, धर्मो जिनः पातु निरस्तमारिः, श्रीसुव्रताकुक्षिदरीमृगारि:...५ शांतिनाथ नुं [१६] जगत्त्रयीजीवनजागरूक ! प्रभावशांते ! यतलोभलुक !, जय प्रभो ! मन्मथदंदशक !, सुपर्णसंकंदनशस्यशूक !.... १ वसुंधरावल्लभविश्वसेन कुलप्रदीपक्षितमोहसेन !, नमोऽस्तु ते श्रीअचिरांगजात !, सुजातरूपद्युतिदेह ! तात ! ....२ स्थितस्य गर्भेपि तव प्रभावः, स्वयंभुविक्लेशहरः स्वभावः, समुल्ललासावृतिमध्यगस्य, गंधो यथा जातिमणीवकस्य....३ त्वया यथारक्षि कपोतपोतः, संपन्नकष्टाद्व्यसनाब्धिपोत !. तथैव मां रक्ष विभो ! प्रमाद - निषादबंधाद्विहितप्रसादः....४ भवानभूः पंचमचक्रवर्ती, हरन् जनानां भुवि काममत:, श्रुतस्तथा षोडश तीर्थनाथस्तनुष्व शांते ! समतां ममाथ.... ५ कुथुनाथ नुं [ १७ ] कल्याणकोटीकमला महोत्पलं, कालत्रिकज्ञानलसत्कलाकलं, आनम्य सम्यक्कमनीयभावतः, कुंथं कृतार्थी भविताहमाहतः.... १ जीव प्रदेशाः समयापराणवः, प्रत्यर्थमंतातिगपर्यवोद्भवः, निःशेषमेतत्प्रतिभाति ते स्थिर, ज्ञाने तदस्मात्परमस्तिकिकरं... २ चैत्यवंदन , Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [७७] चोवीसी उत्फुल्लनेत्राः सुरराजराजयः, प्रोल्लासिरोमांचविवृद्धमूर्त्तयः, त्वां पूजयेयुः सुरपादपस्रजांपुंजेन दूरेभगवन् ! पराः प्रजाः... ३ पापादपायो नपरः परोभवेदेको ह्युपायस्तदपासने भवे, यतेपदांभोजविलोकनं हितं तत्तात्त्विकैर्देव ! तदैव संश्रितं....४ बिंदारसस्येव सुवर्ण संचयः, स्यादेकवाक्यादपि ते महोदयः, तत्त्वां भजे कथविभो ! निरंतर, संपूर्णमूलातियैर्म नोहरं ....५ अरमाथ [१८] , मानवदानवदैवतवंद्यं, श्री अरनाथमनंतमुदारं, कोपविमुक्तममानममायं, तत्त्वकलाकुशलैरभिनंद्यं, भावभरेण भजामिमुदारं....१ नाथमलोभममोहमकार्य, देवमरागमनीहमकामं, नौमि विशुद्धगुणैरभिरामं .... २ राजसुदर्शनवंशवतंसं, सिद्धिवधूरमणं रमणीयं दर्शन दूरितदुरितमहसं, नाथममुं नमत स्मरणीयं..... सप्तदशाग्रगतं जिनराजं, सप्तमचक्रधरं गुणभाजं, अष्टम नोहरसिद्धि निधानं, ध्यानगतं तनवानिविमानं....४ कोमलकांचनकांतिशरीरं, कर्म महाबलभंजदधीरं, श्रीअरनाथमुपास्य गभीरं, साधुलभेय भवोदधितीरं.... ५ मल्लिनाथ तु [ १६ ] समुल्लसन्मल्लिसुम स्रजा समः दधद्यशोरा शिरनंत विक्रमः, क्रमप्रणामप्रवणामरेश्वरस्तनोतु मल्लिः कुशलं जगद्गुरुः.... १ सखीन्नृपानुषङ्गिजपूर्वजन्मनः, षडंतरंगारिवशीकृतात्मनः, भवानतानीत् शिवराज्य संगतान होगुरूणामविनाशिमित्रता....२ तनोति वश्यं भुवनं यथा स्मरः, स्त्रियं तु तामेव निरूप्य विद्वरः, अपाहर संजगदीशकामिनां (तां) ततोमहीयश्चरित्रं महात्मनां... जिनैः परैर्या प्रयतैदिनै र्घनैरघानि भावारिचमूस्तपोधनैः, जिगाय चैकेन दिनेन तां भवानहोऽद्भुता ते गुरुसत्त्वता ध्रुवा..४ जिनेन्द्र मल्लिन पकुंभ संभवस्तमोब्धिशोषेऽपि च कुंभसंभवः, बिभर्तु भद्राणि स कामकुंभतः, श्रियाधिकःकुंभसुलक्ष्मशोभितः..५. Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [७८] चैत्यवंदन मुनिसुव्रत स्वामी नु [२०] विदितावदातयदुवंशभूषणं, मुदितामनोहरमपास्तदूषणं, मुनिसुव्रतं जिनपतिं नमाम्यहं, महनीयशासनमनीहमन्वहं....१ मिथिलापुरीपतिसु मित्रसंभवं, शुभवासरोदयसुमित्रवैभवं, भुवनैकमित्रमनिमित्तवत्सलं,मुनिमानमामि जिनपं सदा फलं...२ भृगुकच्छनामनगरं तुरगप्रतिबोधहेतुमगमस्त्वमश्रमः, निशयाप्यतीत्य किल षष्टियोजनीमिति तावकी तु करुणातिशायिनी....३ वरवृत्तपालिकलितं सुनिर्मलं निभृतंभृतं समरसेनकेवलं, भगवन् ! भवंतमुचितं महासरःसदृशं श्रयेतकमठःसदास्थिरः....४ जलपूरपूर्णजलदोपमधुते ! , गुणवासविंशतिशरासनोन्नते !, मुनिसुव्रतेश ममसत्यपेशलं, कुरु चित्तमात्तिहरबोधिनिश्चलं....५ नमिनाथ नु [२१] महामोहव्यामोहप्रसरतिमिरत्रासतरणिं, महामोहोदंवत्सलिलनिलयोत्तारतरणिं, गुणश्रेणीगेहं गहनभव विभ्रांतिहरणं, शरण्यं सर्वशं नमिमिह जगद्वंद्यचरणं....१ स्थितोऽनंतं कालं तनुतरनिगोदेषु निवसन्नविश्राम कुर्वन्जननमरणान्येव भगवन् !, मिथोभिन्नैर्गोलैविविधविविधैर्बालकइव, प्रसंगेन व्यर्थं विहितरतिरासादित शिव ! ....२ ततश्च्युत्वा स्थूलेष्वहमिह निगोदेषु गतवा नथप्रत्येकद्रुक्षितिजलमरुद्वह्निषु भवाः, मया संख्यातीता घनतरमपूर्यंत विकलेष्वथो संख्यांतामे जनिमरणकोटीचमिमिलो (?)...३ ततो लेभे पंचेंद्रियचरिगतौदुःखनिचयान, क्षुधातृष्णाशीतातपवधनबंधादिविषयान्, Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौबीसी [७६] aman अथप्राप्तःसप्तस्वपि नरकपृथ्वीषुयदहं, महाकष्टं वाचा जिनप ! ननुतद्वक्तुमसह....४ इति भ्रांत्वा भ्रांत्वा भुवनहित ! लक्षाःसुवितता स्तनूभृदयोनीनां चतुरधिगताशीतिकलिता:, मया भाग्याभोगाद्विभुरथभवानापि भगवन् ! नमे ! नेतस्तन्मे भवभवहरोऽचित्यबलवन् ! ....५ नेमिनाथ नु [२२] ब्रह्माद्वैतप्रवरपदवीबोधने चंडभासं, ___ शोभासंपत्तिलयमखिलश्रीविलासैकवासं, श्रीमन्नेमि समरससुधावारपारावतारं, विश्वाधारस्तवनविषयीकर्तुमिच्छाम्युदारं ...१ श्रेयःश्रेणीकुलयदुकुलोत्तंस वित्तावदात ! खच्छंखांकितनरपतिश्रीसमुद्रांगजात !, श्रीशैवेय ! प्रवरकरुणावल्लिवृध्ये वसंत ! श्रीमन्नेमे जयजयविभो ! पादपूतोज्जयंत !....२ आगत्यापि श्वशुरसदनं बंधुवर्गानुरोधा दृष्ट्वाबद्धानशरणपशूनेव कारुण्यबाधात्, तानामोच्य न्यवृतउदितात्त्वं स्ववीवाहकृत्या, देवंदेव ! प्रभवतिदयातावकीनैवसत्या....३ त्वय्येकस्मिन्नविजितवतिख्यातवीरावतारे, त्रैलोक्यस्याप्यविजयजइवाभूज्जयःशंबरारे:, मत्तो हस्ती परवनचरांस्त्रासयन्नप्यरातेनश्यन् सिंहाकिमुबलवतांमुख्यतामत्र गाते....४ सौभाग्यश्रीसुभगभग वन्नुज्जयंताद्रिशृङ्ग प्राप्तखद्वतनिरुपमज्ञाननिर्वाणरंग, श्री मन्नेमि (मे ! ) दुरितगहनच्छेदनोदारनेमे ! बुद्धि शुद्धां वितनु नितरां पावनेदर्शनेमि (?) ...५ Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [८०] चैत्यवंदन पार्श्वनाथ नु [२३] विघ्नवातविवर्त्तकर्तजगद्विख्यातवीरव्रतः, स्वस्तिश्रेणिसमृद्धिपूरणविधौ कल्पद्रुमो विश्रुतः, पुण्यप्रौढिपदप्रभावपटुताप्रत्यक्षपूषाप्रियं, __श्रीपार्श्वः परमोदयं जिनपतिः पुष्णातु शाम्यश्रियं....१ श्रीवामारमणाश्वसेननृपतिश्रेष्ठान्वयश्रीकर ! खत्पावनकायकांतिविजितप्रत्यग्रधाराधर !, पुण्य प्राप्यपदप्रसादपरमश्रीमूलतासाधन श्लाघ्यश्रीधरणेद्रवंद्यचरण ! त्रायस्व मां पाप्मन:....२ स्वावासात्सहसा समेत्य च भवान् कारुण्यतस्तात्त्विकादुद्दधे विषमाज्ज्वलंतमुरगं दीनं यथापावकात्, तां कारुण्यदृशं विधाय भगवन् ! मामध्यनन्याश्नयं, विश्वव्यापिकषायभीषणदवादाकर्ष देव ! स्वयं....३ कामं कामठवारिवाहपटलोपज्ञप्रसर्पत्पय: पूरःप्लावयति स्म लेशमपि नो त्वां ध्यानगं निर्भयः, तत्कि कौतुकमत्र मोहजलधिोकत्रयव्यापकः, सोऽपि क्षोभयतिस्म नो जिनपते ! त्वां संसृतेस्तारक ! ....४ जीरापल्ली-फद्धि-काशि-मथुरा-शंखेश्वर-श्रीपुर त्रंबावत्यणहिल्लपत्तनमुखप्रख्याततीर्थेश्वर !, चंचच्चित्रकमूलिकेवभगवन् ! पार्श्व त्वदीयाभिधा कुर्यान्मेगुणकोशमक्षयमसावाराध्यमाना त्रिधा....५ महावीर स्वामी नु [२४] श्रेयोमूलानुकूलागमशुचिवचसां जन्मभूःपावनानां, मिथ्यात्वप्राणपोषप्रदकुमतगिरां छेदकर्ताधनानां, त्रैलोक्यत्राणलीलानलसगुणलसद्धर्मसाम्राज्यहेतुर्नेता श्रीवर्द्धमानो मम नुतिविषयं भक्तिभाजः समेतु...१ गर्वाखर्वाद्रिशृङ्गस्थिरढमनसां वादधीसादराणां, प्रौढानामेंद्रभूतिप्रमुखगणभृतां चातुरीसुंदराणां, Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [८१] गूढं संदेहजालं सुविषममभिनल्लीलया त्वं क्षणेन, छिदानो ध्वांतदाशि लगयति किमु वा वत्सरंवासरेनः?....२ ज्ञानं स्वार्थावभासि प्रमितिरभिमता तत्प्रमेयाश्चभावा, नित्यं चोत्पत्तिनाश ध्र वगुणसहस व्यक्तिसत्तास्वभावाः, नित्यानित्यं जगत्स्यात्सदसदथपराक्कर्तृकं कर्मवश्यं, धर्मःसम्यग्दयात्मा गदितुमिति भवा नेव भानात्यवश्यं....३ तत्त्वालोकाय नेत्रं भवजलधितटाऽऽवाप्तये यानपात्रं, चित्तोल्लासाय मित्रं कलुषतरु भरो च्छेदनायोग्रदात्रं, नानासत्तरत्नप्रकरगुरुनिधिःशामनं ते चिराय, त्रातर्जीयानिमित्तं सकलसुकृतिनां पुण्यपुण्योदयाय....४ पुण्यद्धर्याभासमानः कनकगिरिगुरुप्रस्थशोभासमानः, स्फूर्जत्काकंपमान द्युतिरतिशयतःकल्पवृक्षोपमानः, नित्यं निर्लोभमानःपरमसुखकलासंपदा शोभमानः, स्वामी श्रीवर्द्धमानः प्रदिशतु कुशलं सद्गुणैर्वर्द्धमानः....५ उपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी प्रणीत श्री ऋषभदेव नु [१] सद्भक्त्यानतमौलिनिर्जरवरभ्राजिष्णुमौलिप्रभासंमिश्राऽरुणदीप्तिशोभचरणाम्भोजद्वयः सर्वदा। सर्वज्ञः पुरुषोत्तमः सुचरितो धर्माथिनां प्राणिनां, भूयाद् भूरिविभूतये मुनिपतिः श्रीनाभिसूनुजिनः....१ सद्बोधोपचिताः सदैव दधता प्रौढप्रतापश्रियो, येनाऽज्ञानतमोवितानमखिलं विक्षिप्तमन्तः क्षणम् । श्रीशत्रुजयपूर्वशैलशिखरं भास्वानिवोद्भासयन्, भव्याम्भोजहितः स एष जयतु श्रीमारुदेवप्रभुः....२ यो विज्ञानमयो जगत्त्रयगुरुयं सर्वलोकाः श्रिताः, सिद्धिर्येन वृत्ता समस्तजनता यस्मै नतिं तन्वते। यस्मान्मोहमतिर्गता मतिभृतां यस्यैव सेव्यं वचो, यस्मिन् विश्वगुणास्तमेव सुतरां वन्दे युगादीश्वरम्....३ Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [८२] चैत्यवंदन अजितनाथ नु [२] सकलसुखसमृद्धिर्यस्य पादारविन्दे, विलसति गुणरक्ता भक्तराजीव नित्यम् । त्रिभुवनजनमान्यः शान्तमुद्राऽभिरामः, स जयति जिनराजस्तुङ्गतारङ्गतीर्थे....१ प्रभवति किल भव्यो यस्य निर्वर्णनेन, व्यपगतदुरितौघः प्राप्तमोदप्रपञ्चः । निजबलजितरागद्वेषविद्वेषिवर्ग, तमजितवरगोत्रं तीर्थनाथं नमामि...२ नरपतिजितशत्रोवंशरत्नाकरेन्दुः, सुरपति-यतिमुख्यैर्भक्तिदक्षैः समर्त्यः । दिनपतिरिव लोकेऽपास्तमोहान्धकारो, जिनपतिरजितेश: पातु मां पुण्यमूत्तिः....३ संभवनाथ नु [३] यद्भक्त्यासक्तविता: प्रचुरतरभवभ्रान्तिमुक्ता मनुष्याः संजाताः साधुभावोल्लसितनिजगुणान्वेषिणः सद्य एव । स श्रीमान् संभवेश: प्रशमरसमयो विश्वविश्वोपकर्ता, सद्भर्ता दिव्यदीप्तिः परमपदकृते सेव्यतां भव्यलोकाः!....१ शुक्लध्यानोदकेनोज्ज्वलमतिशयितस्वच्छभावाद्भुतेन, स्वस्मादात्य वृत्तं शिवपदनिगमं कर्मपङ्कप्रपञ्चम् । नीरन्ध्र दूरयित्वा प्रकृतिमुपगतो निर्विकल्पस्वरूपः, सेव्यस्तार्यध्वजोऽसौ जगति जिनपतिर्वीतरागः सदैव...२ वाधौं विद्योतिरत्नप्रकर इव परिभ्राजते सर्वकाले, यस्मिन्निःशेषदोषव्यपगमविशदे श्रीजितारेस्तनूजे । दुष्प्रापो दुष्टसत्त्वैः स्फुटगुणनिकरः शुद्धबुद्धिक्षमादिः, कल्याणश्रीनिवासः स भवति वदताऽभ्यर्चनीयो न केषाम्....३ Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीसी अभिनंदन नुं [४] विशदशारद सोमसमाननः, कमल कोमलचारुविलोचनः । शुचिगुणः सुतरामभिनन्दनं, जय सुनिर्मलताञ्चितभूघनः.... १ जगति कान्तहरीश्वरलाञ्छित - क्रमसरोरुह भूरिकृपानिधे । ममसमीहित सिद्धिविधायकं त्वदपरं कमपीह न तर्कये....२ प्रवरसंवर ! संवरभूषते - स्तनय नीतिविचक्षण ! ते पदम् । शरणमस्तु जिनेश ! निरन्तरं रुचिरभक्तिसुयुक्तिभृतो मम.... ३ सुमतिनाथ नुं [ ५ ] , सुवर्णवर्णो हरिणा सवर्णो मनोवनं मे सुमतिर्बलीयान् । गतस्ततो दुष्टकुदृष्टिराग- द्विपेन्द्र ! नैव स्थितिरत्र कार्या.... १ जिनेश्वरो मेघनरेन्द्रसूनु- र्घनोपमो गर्जति मानसे मे । अहो गुरुद्वेषहुताशन ! त्वा - मसौ शमं नेष्यति सद्य एव .... २ इतः सुदूरं व्रज दुष्टबुद्धे ! समं दुरात्मीयपरिच्छदेन । सुबुद्धिर्ता सुमतिजिनेशो, मनोरमः स्वान्तमितो मदीयम्....३ पद्मप्रभु नुं [६] , उदारप्रभामण्डलैर्भासमानः कृताऽत्यन्तदुर्दान्तदोषापमानः । सुसीमाङ्गज ! श्रीपतिर्देवदेवः सदा मे मुदाऽयर्चनीयस्त्वमेव .... १ यदीयं मनःपङ्कजं नित्यमेव त्वयाऽलंकृतं ध्येयरूपेण देव | प्रधानस्वरूपं तमेवाऽतिपुण्यं, जगन्नाथ जानामि लोके सुधन्यम् .. २ अतोऽधीश पद्मप्रभाऽऽनन्दधाम, स्मरामि प्रकामं तवैवाङ्ग नाम । मनोवाञ्छितार्थप्रदं योगिगम्यं यथा चक्रवाको रवेर्धामरम्यम्... ३ सुपार्श्वनाथ [७] जयवन्तमनन्तगुणैनिभूतं, पृथिवीसुतमद्भुत रूपभृतम् । निजवीर्य विनिर्जितकर्मबलं, सुरकोटिसमाश्रितपत्कमलम्.... १ निरुपाधिकनिर्मलसौख्यनिधि, परिवर्जितविश्वदुरन्तविधिम् । भववारिनिधेः परपारमितं, परमोज्ज्वल चेतनयोन्मिलितम् ....२ कलधौतसुवर्णशरीरधरं. शुभपार्श्वसुपार्श्वजिनप्रवरम् । विनयावनतः प्रणमामि सदा, हृदयोद्भवभूरितरप्रमुदा... ३ , [ ८३] 1 " Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [८४] चैत्यवंदन चंद्रप्रभु नु [८] अनन्तकान्तिप्रकरेण चारुणा, कलाधिपेनाश्रितमात्मसाम्यतः । जिनेन्द्र ! चन्द्रप्रभ ! देवमुत्तमं, भवन्तमेवात्महितं विभावये....१ उदारचारित्रनिधे ! जगत्प्रभो! , तवाननाम्मोजविलोकनेन मे। व्यथा समस्ताऽस्तमितोदितं सुखं,यथा तमिस्रा दिवमर्कतेजसा..२ सदैव संसेवनतत्परे जने, भवन्ति सर्वेपि सुराः सुदृष्टयः । समग्रलोके समचित्तवृत्तिना, त्वयैव संजातमतो नमोऽस्तु ते....३ सुविधिनाथ नु [६] विश्वाभिवन्द्य मकराङ्किरपादपद्म !, सुग्रीवजात ! जिनपुङ्गव ! शान्तिसद्म । भव्यात्मतारणपरोत्तमयानपात्र !, मां तारयस्व भववारिनिधेविरूपात....१ निःशेषदोषविगमोद्भवमोक्षमार्ग, भव्याः श्रयन्ति भवदाश्रयतो मुनीन्द्र ! । संसेवितः मुरमणिर्बहुधा जनानां, किं नाम नो भवति कामितसिद्धिकारी ?....२ विज्ञं कृपारसनिधि सुविधे ! स्वयंभूमत्वा भवन्तमिति विज्ञपयामि तावत् । देवाधिदेव ! तव दर्शनवल्लभोऽहं, शश्वद् भवामि भुवनेश ! तथा विधेहि....३ शीतलनाथ नु [१०] कल्याणांकुरवर्धने जलधरं सर्वाङ्गिसंपत्करं, विश्वव्यापियश:कलापकलितं कैवल्यलीलाश्रितम् । नन्दाकुक्षिसमुद्भवं दृढरथक्षोणोपतेर्नन्दनं, श्रीमत्सूरतवन्दिरे जिनवरं वन्दे प्रभुं शीतलम्....१ विश्वज्ञानविशुद्धसिद्धिपदवीहेतुप्रबोधं दधद्, भव्यानां वरभक्तिरक्तमनसां चेतः समुल्लासयन् । Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीसी [८५] नित्यानन्दमयः प्रसिद्धसमयः सद्भूतसौंख्याश्रयो, दुष्टाऽनिष्टतमःप्रणाशतरणिर्जीयाजिनः शीतलः....२ सद्भक्त्या त्रिदशेश्वरैः कृतनुतिर्भास्वद्गुणालंकृतिः, सत्कल्याणसमद्युतिः शुभमतिः कल्याणकृत्संगतिः । श्रीवत्साङ्कसमन्वितस्त्रिभुवनत्राणे गृहीतव्रतो, भूयाद् भक्तिभृतां सदेष्टवरदः श्रीशीतलस्तीर्थकृत्...३ श्रेयांसनाथ - [११] . चिरपरिचिता गाढव्याप्ता सुबुद्धिपराङ मुखी, निजबलपरिस्फूर्योदग्रा समग्रतया मम । व्यपगतवती दूरं दुष्टा स्वनिष्ठकुदृष्टिता, अपचितसहा सद्यो भूत्वा यदीयसुदृष्टितः....१ निरुपमसुखश्रेणीहेतुनिराकृतदुर्दशा, शुचितरगुणग्रामावासो निसर्गमहोज्ज्वला । हृदयकमले प्रादुर्भूता सुतत्त्वरुचिर्मम, विदलितभवभ्रान्तिर्यस्याऽप्यजस्रमनुस्मृतेः....२ उपकृतिमतिर्दाने दक्षो निरस्तजगद्व्यथः, समुचितकृतिविज्ञानांशुप्रकाशितसत्पथः । नृपगणगुरोविष्णोर्वशे प्रभाकरसन्निभः, . स भवतु मम श्रेयांसेनः प्रबोधसमृद्धये....३ वासुपूज्य नु [१२] पूर्णचन्द्रकमनीयदीधिति-भ्राजमानमुखमद्भुतश्रियम् । शान्तदृष्टिमभिरामचेष्टितं, शिष्टजन्तुपरिवेष्टितं परम्....१ नष्टदुष्टमतिभिर्यमीश्वरं,संस्मद्भिरिह भूरिभिर्नृभिः । क्षीणमोहसमयादनन्तरा, प्रापि सत्यपरमात्मरूपता....२ पाथिवेशवसुपूज्यवेश्मनि, प्राप्तपुण्यजनुषं जगत्प्रभुम् । वासुपूज्यपरमेष्ठिनं सदा, के स्मरन्ति न हि तं विपश्चितः?....३ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [८६] चैत्यवंदन विमलनाथ नु [१३] संसारेऽस्मिन् महति महिमाऽमेयमानन्दिरूपं, त्वां सर्वज्ञं सकलसुकृतिश्रेणिसंसेव्यमानम् । दृष्ट्वा सम्यग्विमलसदसज्ज्ञानधाम प्रधानं, संप्राप्तोऽहं प्रशमसुखदं संभृतानन्दवीचिम्....१ ये तु स्वामिन् ! कुमतिपिहितस्फारसद्बोधमूढाः, सौम्याकारां प्रतिकृतिमपि प्रेक्ष्य ते विश्वपूज्याम् । द्वेषोद्भूते: कलुषितमनोवृत्तयः स्युः प्रकामं, मन्ये तेषां गतशुभदृशां का गतिर्भाविनीति....२ श्यामासूनो ! प्रतिदिनमनुस्मृत्य विज्ञानिवाक्यं, हित्वाऽनार्य कुमतिवचनं ये भुवि प्राणभाजः । पूर्णानन्दोल्लसितहृदयास्त्वां समाराधयन्ति, श्लाघ्याचाराः प्रकृतिसुभगाः सन्ति धन्यास्त एव....३ अनंतनाथ नु [१४] यस्य भव्यात्मनो दिव्यचेतोगहे, सर्वदाऽनन्तचिन्तामणिोतते । यान्ति दूरे स्वतस्तस्य दुष्टापदो,विश्वविज्ञानवित्तं भवेदक्षयम्..१ यस्तु सर्वज्ञरूपं स्वरूपस्थितं. वीक्ष्य सद्भावतः सिंहसेनात्मजम् । अद्भुताऽऽमोदसंदोहसंपूरितो, मन्यते धन्यमात्मीयनेत्रद्वयम्....२ सोऽपवर्गानुगामिस्वभावोज्ज्वलां,व्यूढमिथ्यात्वविद्रावणे तत्पराम् । बन्धुरात्मानुभूतिप्रकाशोद्यतां, शुद्धसम्यक्त्वसंपत्तिमालम्बते...३ धर्मनाथ नु [१५] भास्वज्ज्ञानं शुद्धात्मानं धर्मेशानं सद्ध्यानं, शक्त्या युक्तं दोषोन्मुक्तं तत्त्वासक्तं सद्भक्तम् । शश्वच्छान्तं कीा कान्तं ध्वस्तध्वान्तं विश्राम, क्षिप्तावेशं सत्यादेशं श्रीधर्मेशं वन्दध्वम्....१ निःशेषार्थप्रादुष्कर्ता सिद्धर्भर्ता संधर्ता, दुर्भावानां दूरे हर्ता दीनोद्धर्ता संस्मर्ता । Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [८७] सद्भक्तेभ्यो मुक्तेर्दाता विश्वत्राता निर्माता, स्तुत्यो भक्त्या वाचोयुक्त्या चेतोवृत्त्या ध्येयात्मा....२ सम्यग्दृग्भिः साक्षाद् दृष्टो मोहाऽस्पृष्टो नाकृष्टः, स्रोतोग्रामैः संपज्ज्येष्ठः साधुश्रेष्ठः सत्प्रेष्ठः । श्रद्धायुक्तस्वान्तैर्जुष्टो नित्यं तुष्टो निर्दुष्टस्त्याज्यो नैव श्रीवज्राङ्को नष्टातङ्को निःशङ्कम् ...३ शांतिनाथ नु [१६] विपुलनिर्मलकीर्तिभरान्वितो, जयति निर्जरनाथनमस्कृतः । लघुविनिजितमोहधराधिपो, जगति यः प्रभुशान्तिजिनाधिपः..१ विहितशान्तसुधारसमज्जनं, निखिलदुर्जयदोषविवजितम् । परमपुण्यवतां भजनीयतां, गतमनन्तगुणैः सहितं सताम्....२ तमचिरात्मजमीशमधीश्वरं, भविकपद्मविबोधदिनेश्वरम् । महिमधाम भजामि जगत्त्रपे, वरमनुत्तरसिद्धिसमृद्धये....३ कुथुनाथ नु [१७] जय जय कुन्थुजिनोत्तम ! सत्तमतत्त्वनिधान ! , धमिजनोज्ज्वलमानसमानसहंसमान ! । ज्ञानाच्छादकमुख्यमहोद्धतकर्मविमुक्त !, विषमविषयपरिभोगविरक्त ! शुभाशययुक्त ! ....१ जय जय विश्वजनीन ! मुनिवज्रमान्य ! विशुद्धचेतन ! चारुचरित्रपवित्रितलोक ! विबुद्ध ! । निरुपममेरुमहीधरधीर ! निरंतरमेव, गर्वविजित ! सर्वसुपर्व विनिर्मितसेव ! ...२ जय जय सूरनरेश्वरनन्दन ! चन्दनकल्प !, जिनेश ! विश्वविभावविनाशक ! वीतविकल्प ! । निर्मलकेवलबोधविलोकितलोकालोक !, प्रादुर्भूतमहोदयनिर्वृ तिनित्यविशोक ! ....३ Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [८८] चैत्यवंदन - अरनाथ न [१८] दिव्यगुणधारकं भव्यजनतारकं,दुरितमतिवारकं सुकृतिकान्तम् । जितविषमसायकं सर्वसुखदायक,जगति जिननायकं परमशान्तम्..१ स्वगुणपर्यायसंमीलितं नौमि तं, विगतपरभावपरिणतिमखण्डम् । सर्वसंयोगविस्तारपारंगतं, प्राप्तपरमात्मरूपं प्रचण्डम् ....२ साधुदर्शनवृतं भाविकैः प्रस्तुतं, प्रातिहार्याष्टकोद्भासमानम् । सततमुक्तिप्रदं सर्वदा पूजितं, शिवमहीसार्वभौमप्रधानम्....३ मल्लिनाथ नु [१६] कुम्भसमुद्भव ! संमदाकर ! गुणवर ! । हे मल्लिजिनोत्तमदेव ! , जय जय विश्वपते !....१ कृत्याकृत्यविवेकिता जिन ! समुचिता । हे त्वयि जागति जिनेश ! , जय जय विश्वपते!....२ नित्यानन्दप्रकाशिका भ्रमनाशिका । हे तव शुभदृष्टिरनीश ! , जय जय विश्वपते ! ....३ शुद्धिनिबन्धसन्निधे ! सद्गुणनिधे ! । हे वजितसर्वविकार ! , जय जय विश्वपते ! ....४ निजनिरुपाधिकसंपदा शोभित ! सदा । हे निर्मलधर्मधुरीण ! , जय जय विश्वपते ! ....५ मुनिसुव्रत स्वामी नु [२०] उत्तमचेतन ! धर्मसमृद्ध ! जगत्पते !, नित्यानित्यपदार्थनिचयविलसन्मते ! । निजविक्रमजितमोहमहोद्भटभूपते !, श्रीपद्मातनुजात ! सुजातहरिद्युते ! ....१ श्रीमुनिसुव्रत ! सुव्रतदेशक ! सज्ज्नाः , कृतसद्गुरुशुभवाक्यसुधारसमज्जनाः । ये प्रणमन्ति भवन्तमनन्तसुखाश्रितं, केवलमुज्ज्वलभावमखण्डमनिन्दितम्....२ Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीसी निःसंशयमेव जगत्त्रयवन्दिताः, सद्भावेन भवन्ति सुदृष्ट्यानन्दिताः । कृत्यं स्वोचितमेव यतः किल कारणं, जनयति नात्मविरुद्ध मिहाऽसाधारणम्....३ नमिनाथ तु [२१] 3 नमीश ! निर्मलात्मरूप ! सत्यरूप ! शाश्वतं परोर्ध्वसिद्धिसौधमूर्ध्नि सत्स्वभावतः स्थितम् । विधाय मानसाल्जकोशदेशमध्यवर्तिनं, स्मरामि सर्वदा भवन्तमेव सर्वदर्शिनम् .... १ प्रफुल्ल कोञ्चलाञ्छन ? ग्रभूततेजसोऽद्य ते, दिवाकरस्य वा महेश्वराऽभिदर्शनेन मे । प्रमादवधिनी सुदुर्मतिर्निशेव दुर्भगा, गता प्रणाशमाशु हत्कजे विनिद्रताऽभवत्...२ निरस्तदोषदुष्टकष्टकार्यवर्त्यसंस्तवो, भवे भवे भवत्पदाम्बुजैकसेवकः प्रभो ! । भवेयमीदृशंभृशं मदीयचित्तचिन्तितं, तव प्रसादतो भवत्ववन्ध्यमेव सत्वरम्....३ नेमिनाथ तु [२२] " विशुद्धविज्ञानभृतां वरेण, शिवात्मजेन प्रशमाकरेण । येन प्रयासेन विनैव कामं विजित्य विक्रान्तनरं प्रकामम्....१ विहाय राज्यं चपलस्वभावं, राजीमती राजकुमारिकां च । गत्वा सलीलं गिरनारशैलं भेजे व्रतं केवलमुक्तियुक्तम्.... २ निःशेषयोगीश्वरमौलिरत्नं जितेन्द्रियत्वे विहितप्रयत्नम् । तमुत्तमामन्दनिधानमेकं नमामि नेमि विलसद्विवेकम् ....३ पार्श्वनाथ नुं [२३] श्रयामि तं जिनं सदा मुदा प्रमादवजितं, स्वकीयवाग्विलासतो जितोरुमेघगर्जितम् । " [=ε] , Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१०] चैत्यवंदन जगत्प्रकामकामितप्रदानदक्षमक्षतं, पदं दधानमुच्चकैरकैतवोपल क्षितम्....१ सतामवद्यभेदकं प्रभूतसंपदां पदं, वलक्षपसंगतं जनेक्षणक्षणप्रदम् । सदैव यस्य दर्शनं विशां विदितैनसां, निहन्त्यशातजातमात्मभक्तिरक्तचेतसाम्....२ अवाप्य यत्प्रसादमादितः पुरुश्रियो नरा, भवन्ति मूक्तिगामिनस्ततः प्रभाप्रभास्वराः । भजेयामाश्वसेनिदेवदेवमेव सत्पदं, तमुच्चमानसेन शुद्धबोधवृद्धिलाभदम् ....३ महावीर स्वामी नु [२४] वरेण्यगुणवारिधिः परमनिवृतः सर्वदा, समस्तकमलानिधिः सुरनरेन्द्रकोटिश्रितः । जनालिसुखदायको विगतकर्मवारो जिनः, सुमुक्तजनसंगतस्त्वमसि वर्द्धमानप्रभो !....१ जिनेन्द्र ! भवतोऽद्भुतं मुखमुदारबिम्बस्थितं, विकारपरिवजितं परमशान्तमुद्राङ्कितम् । निरीक्ष्य मुदितेक्षणः क्षणमितोऽस्मि यद्भावनां, जिनेश ! जगदीश्वरोद्भवतु सैव मे सर्वदा....२ विवेकजनवल्लभं भुवि दुरात्मनां दुर्लभं, दुरन्तदुरितव्यथाभरनिवारणे तत्परम् । तवाङ्ग पदपद्मयोर्युगमनिन्द्यवीरप्रभो !, प्रभूतसुखसिद्धये मम चिराय संपद्यताम्....३ महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणनी श्री ऋषभदेव - [१] जय जय जिनवर आदि देव, तिहु अण जग तात । श्री मरुदेवा नाभिनन्द, सोवन सम गात....१ Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [६१] चौरासी लख पूर्व आय, वृषभ लांछित पाय । धनुष पांचसे मान काय, सेवित सुर राय....२ छट्ठ भत्त संजम लियोए, नयरि अयोध्या ठाम । चौरासी गणधर सहित, आयो शिवपुर स्वाम....३ सहस चोरासी शुद्ध साधु, समणी त्रिण लक्ख । श्रावक साढा तीन लक्ख, सेवित सुध पक्ख....४ पांच लाख चोपन सहस, श्रावकणी सार । गोमुख यक्ष चकेसरी, नित सांनिधकार ...५ दश हजार सुनि साथसुंओ, तप चउदसम जाण । प्रभु सीधा अष्टापदें, करो संघ कल्याण....६ अजितनाथ नु [२] श्री जितशत्रु नरेस नंद, विजया तनु जात । गज लांछन सोवन वरण, सोहे प्रभु गात....१ सार्द्ध च्यार शत धनुष मान, प्रभु उन्नत काय । आउ वहुत्तर लाख पूर्व, जिन अजित अमाय....२ छट्ठ भत्त संजम लियोओ, नयरी अयोध्या ठाम । पंचाणुं गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ एक लाख मुनि तीस सहस, आर्या त्रिण लक्ष । दोय लाख श्रावक सहस, अठाणुं दक्ष....४ पण लख पैतालिस सहस, श्रावकणी सार । देवी अजिता महायक्ष, नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंओ,मास खमण तपजाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ संभवनाथ नु [३] श्री संभव जिनराज देव, तनु सोवन वान । श्री जितारि सुतन, पद तुरग प्रधान....१ साठ लाख पूरव प्रगट, प्रभु आय प्रमाण । धनुष च्यार सो मान उच्च, प्रभु काय वखाण....२ Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैत्यवंदन छट्ठ भत्त संजम लियो, सावत्थी पुर ठाम । इकशत दुय गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ दुय लख मुनि त्रिण लख,समणी बली सहस छत्तीस। सहस त्रयाणु तीन लाख, श्रावक सुजगीस....४ छ लख सहस छतीस शुभ, श्रावकणी सार । त्रिमुख यक्ष दुरितारि देवि, नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंए, मासखमण तपजाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ अभिनंदन नु [४] श्री अभिनंदन विश्वनाथ, कपि लांछित पाय । श्री संवर सिद्धारथा, सुत सोवन काय....१ सार्द्ध तीन शत धनुष मान, प्रभु देह विराजे । आयु लाख पंचास पूर्व, अतिशय गुण छाजे....२ छठ्ठ भत्त संजम लियो, नियरि अयोध्या ठाम । गणधर इकशत सोलजुत, आपो शिवपुर स्वाम....३ त्रिण लख मुनि आर्या छलख, वलि तीस हजार । सहस अठ्यासी दोय लख, श्रावक सुविचार....४ सहस सतावीस पांच लाख, श्रावकणी सार । यक्ष नायक काली सुरी, नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुं, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण....६ सुमतिनाथ नु [५] कनक वरणी सुमतिनाथ, जपिये जसु नाम । मेघ नरेसर मंगला, अंगज अभिराम....१ धनुष तीनशत देह मान, जसु लांछन क्रोंच । आयु लख चालीस पूर्व, बहु सुकृत संच....२ छ? भत्त संजम लियोओ, नयरि अयोध्या ठाम । इक शत गणधर परिवर्या, आपो शिवपुर स्वाम...३ Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी [ ६३ ] वीस सहस त्रिण लख, साधु पण लख तीस । सहस साध्वी श्रावक, दोय लाख इक्यासी सहस....४ पांच लाख सोले सहस, श्रावकणी सार । महाकालि सुर तुंबरु, नित सानिधकार.... ५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण.....६ पद्मप्रभु तु [६] देवि सुसीमा नंद चंद, धर नरपति धाम । रक्त वरण प्रभु कमलअंक, पद्म प्रभु नाम....१ धनुष अढाई से प्रमित, तनु उन्नत सोहे | आयु पूर्व तीस लाख, भव दुःख विछोहे.... २ छट्ट भत्त संजम लियोओ, कोशंबी पुर ठाम । गणधर इक शत सात युत, आपो शिवपुर स्वाम....३ तीस सहस त्रिण लख साधु, चौलख बीस सहस । साध्वी श्रावक दोय लाख, छिहोत्तर सहस....४ पांच लख बलि सहस पांच श्रावकणी सार । कुसुम यक्ष स्यामा सुरी, नित सानिधकार.... ५ त्रिण सय अड मुनिसाथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण....६ सुपार्श्वनाथ नुं [७] प्रहसम समरू श्री सुपास, कांचन समकाय । श्री प्रतिष्ठ पृथ्वीसुतन, स्वस्तिक जसु पाय.... १ वीस लाख पूरव सकल, जसु आयु प्रमाण । धनुष दोय सौ मान देह, जसु उन्नत जाण....२ छट्ट भत्त संजम लियोओ, पुरी वणारसी ठाम । पंचाणुं गणधर सहित आपो शिवपुर स्वाम....३ त्रिण लख मुनि चौलख, समणी वलि तीस हजार । सहस सनातन दोय लख, श्रावक गुण धार....४ Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैत्यवंदन [ ६४ ] .६ सहस त्रयातुं च्यार लाख, श्रावकणी सार | सुर मातंग शांता सुरी, नित सानिधकार.... ५ पंचसया मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण....' चंद्रप्रभु तु [८] श्री महसेन नरेस नंद, चंद्र प्रभ स्वामी । शशि लांछन उज्जल वरण, सेवुं सिर नामी.... १ धनुष दोढसो मान चारु, जसु उन्नत काय । आउ वरस दस लाख पूर्व, चंद्रपुरी राय....२ छट्ट भत्त संजम लियोओ, मात लखमणा नंद । त्रयाणवें गणधर सहित, दूर करो दुःख दंद....३ दुय लख सहस पचास, साधु ति लख असी सहस । साध्वी श्रावक दोय लाख, पचास सहस....४ सहस इकाणुं च्यार लाख, श्रावकणी सार । भृकुटी देवी विजय यक्ष, नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ सुविधिनाथ ' [ ६ ] जय जय जिनवर सुविधिनाथ, उज्ज्वल तनुवान । श्रीरामा - सुग्रीवजात उरु, मकर प्रधान.... १ दोय लाख पूरव प्रवर, जसु आय सुजाण । धनुष एक सो मान जास, तनु उच्च पिछाण ....२ छुट्ट भत्त संजम लियोओ, काकंदीपुर ठाम । अठ्यासी गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ दोय लक्ख मुनि सहस वीस, श्रमणी इक लक्ख । दोय लक्ख गुणतीस सहस, श्रावक सुध पक्ख.... ४ चो लख इकहत्तर सहस, श्रावकणी सार । देवी सुतारा अजित यक्ष, नित सानिधकार.... ५ Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीसी [१५] एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ शीतलनाथ नु [१०] श्री दृढरथ नंदा सुतन, शीतल जिनराय। श्रीवछ लांछन कनकवान, सोहे जसु काय....१ एक लाख पूरव वरस, जसु आय प्रमाण । नेऊ धनुष प्रमाण देह, गुण रयण निहाण....२ छट्ठ भत्त संजम लियोओ, भद्दिलपुर वर ठाम । इक्यासी गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ एक लाख मुनि षट अधिक, श्रमणी एक लक्ख । दो लख निव्यासी सहस, श्रावक सुध पख....४ सहस अठावन च्यार लक्ख, श्रावकणी सार । देवि अशोका ब्रह्मयक्ष, नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ श्रेयांसनाथ नु [११] जय जय विष्णु नरेस नंद, विष्णु तनु जात । खडगी लांछन कनकवान, सुन्दरतर गात....१ असी धनुष सुप्रमाण देह, जित तेज दिणंद । __ लाख चौरासी वरष आय, श्रेयांस जिणंद....२ छट्ट भत्त संजम लियोओ, नगर सिंहपुर नाम । छिहोत्तर गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ सहस चौरासी शुद्ध साधु, इक लख त्रिण सहस । साध्वी श्रावक दोय लाख, गुणयासी सहस....४ चौलख अडतालिस सहस, श्रावकणी सार । यक्षराज सुर मानवी, नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [६६] चैत्यवंदन - वासुपूज्य नु [१२] बारम जिनवर वासुपूज्य, बह सुजस निधान । श्री वसुपूज्य जया सुतन, माणिक समवान....१ महिष लंछन सित्तर धनुष, जसु देह प्रमाण । वरस बहतर लाख जास, आयुष्य पिछाण....२ चउथ भत्त संजम लियोओ,चंपापुरी शुभ ठाम। बासठ गणधरसुं जुगत, आपो शिवपुर स्वाम....३ सहस बहुत्तर सुद्ध साधु, साध्वी इक लख । दोय लाख पनरे सहस, श्रावक सुध पख....४ चौलख सहस छतीस, मान श्रावकणी सार।। चंडा देवी कुमार यक्ष, नित सानिधकार...५ षट्सय मुनि परिवारसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा चंपापुरी, करो संघ कल्याण....६ विमलनाथ नु [१३] श्री कृतवर्म कुलावतंस, श्यामा तनु जात । सूकर लांछन कनकवान, श्री विमल विख्यात....? धनुष साठ सुप्रमाण जास, तनु उंच विराजे । आयु वच्छर साठ लाख, जस निरमल छाजे....२ छट्ठ भत्त संजम लियोओ, कंपीलपुर शुभ ठाम । गणधर सत्तावन सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ मुनिवर अडसठ सहस मान, अडसय इक लख । श्रमणी श्रावक अड सहस, ऊपर दोय लख....४ च्यार लाख सुश्राविका, चोवीस हजार। षण्मुख सुर विदिता सुरी, नित सानिधकार....५ छ सहस मुनि परिवारसुं,मामखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीसी [१७] . अनंतनाथन [१४] जय जय देव अनंतनाथ, सोवन समवान । सुजसा देवी सिंहसेन, कुल तिलक समान....१ श्येन लंछन धर तीस लाख, संवच्छर आय । सुंदर धनुष पचास मान, उन्नत जस काय....२ छ? भत्त संजम लियो, नयरी अयोध्या नाम । निज पचास गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ मुनिवर बासठ सहस मान, तस बासठ सहस । आर्या श्रावक दोय लाख, ऊपर छ सहस....४. च्यार लाख चउदे सहस, श्रावकणी सार । अंकुशा सुरी पाताल यक्ष, नित सानिधकार...५ सात सहस परिवारसुंबे, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ धर्मनाथ नु [१५] पनरम प्रण, धर्मनाथ, सुव्रता तनु जात । भानु भृप सुत वज्र अंक, कंचनसम गात....१ धनुष पैंतालिस मान जासु, तनु उन्नत जाण । संवच्छर दश लाख शुद्ध, आयु प्रमाण....२ छठ्ठ भत्त संजम लियोओ, नगर रत्नपुर नाम । इकशत दुय गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ दुय लख मुनि त्रिण लख,समणि वलि सहस छत्तीस । सहस त्रयाणुं तीन लाख, श्रावक सुजगीस....४ छ लख सहस छतीस शुद्ध, श्रावकणी सार ।। त्रिमुख यक्ष दुरितारि देवी, नित सानिधकार....५ __ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण...६ शांतिनाथ न [१६] सोलम जिनवर शांतिनाथ, सोवन संम काय । विश्वसेन अचिरा सुतन, मृग लांछित पाय ...१ Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१८] चैत्यवंदन चालीस धनुष प्रमाण, उच्च जसु देह विराजै। आयु वरस लाख एक, जलधर धुनि गाजै....२ छट्ठ भत्त संजम लियोओ, हथिणापुरवरनाम । निज गणधर छतीस जुत, आपो शिवपुर स्वाम....३ बासठ सहस सुसाधु, छ सय वलि इकसठ सहस । साध्वी श्रावक दोय लाख, वलि नेऊ सहस....४ सहस त्रयाणं तीन लाख, श्रावकणी सार । निर्वाणी सुरी गरुड यक्ष, नित सानिधकार....५ नवसय मुनि परिवारसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण....६ कुथुनाथ नु [१७] जय जय जगगुरु कथनाथ, श्री माता जाया। सूर नरेश्वर अंगजात, कांचन सम काया....१ देह धनुष पैतीस मान, लांछन जसु छाग । सहस पंचाणुं वर्ष आऊ, बल तेज अथाग....२ छट्ठ भत्त संजम लियोओ, हथिणापुरवर ठाम । निज गणधर पैंतीस जुत, आपो शिवपुर स्वाम....३ साठ सहस मुनि श्रमणि, संघ साठ हजार छ सै। इक लख गुणयासी सहस, श्रावक सुध उलसै....४ सहस इक्यासी तीन लाख, श्रावकणी सार। सुर गंधर्व बलासुरी, नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ अरनाथ नु [१८] देवीनंदन देवनाथ, अरनाथ प्रधान । लांछन नंद्यावर्त नाम, वपु कांचन वान....१ तात सुदर्शन धनुष तीस, जसु देह प्रमाण । सहस चौरासी वर्ष आउ, अति निरमल नाण....२ Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी छुट्ट भत्त संजम लियोओ, हथिणाउरपुर ठाम । निज गणधर तेतीस जुत, आपो शिवपुर स्वाम..... ३ साधु सहस पचास मान, साठ सहस श्रमणी । सहस चौरासी एक लाख, श्रावक सुमति धणी .... ४ सहस बहुतर तीन लाख, श्रावकणी सार । धारणि सुरि यक्षेशसुर, नित सानिधकार.... ५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मास खमण तप जाण । प्रभु सोधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण.....६ मल्लिनाथ तु [१६] [ee] उगणीसमा श्री मल्लिनाथ, नील वरण काय । देवी प्रभावती कुंभराय, नंदन जिनराय....१ कलस लंछन पचवीस धनुष, तनु उच्च पिछाण । सहस पचावन वर्ष मान, जसु आय सुजाण .... २ अट्ठम भत्त व्रत लियोओ, नगरी मिथिला नाम । गणधर अट्ठावीस जुत, आपो शिवपुर स्वाम....३ जसु चालीस हजार साधु, पंचावन सहस । साध्वी श्रावक एक लाख, त्रैयासी सहस....४ तीन लाख सित्तर सहस, श्रावकणी सार । सुर कुवेर धरण प्रिया, नित सानिधकार.... ५ एक सहस परिवारसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ मुनिसुव्रत स्वामी तु [२०] श्री हरिवंश सुमित्र राय, पद्मा तनु जात । श्री मुनि सुव्रत कृष्णवर्ण, त्रि जगति विख्यात....१ कच्छप लांछन धनुष वीस, तनु उन्नत आयु तीस हजार वर्ष, भवि जन छुट्ट भत्त संजम लियोओ राजगृही पुर नाम । निज अढार गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम.....३ सोहे | मोहे.... २ Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १०० ] चैत्यवंदन तीस सहस मुनि जासु, सीस पंचास सहस । साध्वी श्रावक एक लाख, बावत्तर सहस.... ४ तीन लाख पंचास सहस, श्रावकणी सार । नरदत्ता सुरि वरुण यक्ष, नित सानिधकार.... ५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण.....' नमिनाथ तु [२१] ..६ जय जय विजय नरेश नंद, कांचन सम काय । नीलकमल लांछन, चरण श्री नमि जिनराय.... १ आयु दस हजार वर्ष, वप्रा सुत सारु । धनुष पनर जसु देह मान, उत्तम गुणधार....२ छट्ट भत्त संजम लियोओ, नगरी मिथिला नाम । निज गणधर सत्तरे सहित, आपो शिवपुर स्वाम ... ३ वीस सहस मुनि जासु सीस, इगचाल सहस । श्रमणी श्रावक एक लाख, वलि सित्तर सहस....४ त्रिण लख अडतालीस सहस, श्रावकणी सार । भृकुटियक्ष गंधारिदेवी, नित नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण.....६ नेमिनाथ नुं [२२] समुद्रविजय सुत नेमिनाथ, कृष्ण वरण काय । सौरीपुर अवतार जासु, शंख लंछन पाय....१ देह धनुष दसमान उच्च, हरिवंश विख्यात । संवच्छर इक सहस आउ, धन शिवा सुजात.... २ छट्ट भत्त संजम लियोओ, नयरि द्वारिका नाम । गणधर इग्यारे सहित, आपो शिवपुर स्वाम...३ सहस अढारे शुद्ध साधु, तह चालीस सहस । श्रमणी श्रावक एक लाख, गुणहत्तर सहस .... ४ Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीसी [१०१] तीन लाख छत्तीस सहस, श्रावकणी सार। अंबादेवी गोमेधसुर, नित सानिधकार....५ मुनि पणसय जत्तीससुए, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा गिरनार गिरि, करो संघ कल्याण....६ पार्श्वनाथ नु [२३] श्री अश्वसेन नरेश नंद, वामा जसु मात । . पन्नगलांछन पार्श्वनाथ, नील वरण मात...१ अति सुंदर जिनराज देह, नव हाथ प्रमाण । वरस एक सो मान आयु, जसु निर्मल नाण....२ अट्ठम तप संजम लियोओ,नयरि वणारसी नाम। गणधर दस परिवार युत, आपो शिवपुर स्वाम....३ सोलह सहस मुनि जास सीस, अडतीस सहस । श्रमणी श्रावक एक लाख, चोसठि सहस....४ त्रिण लख गुणचालिस सहस, श्रावकणी सार । पार्श्व यक्ष पद्मावती, नित सानिधकार....५ तैतीस मुनि परिवारसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ महावीर स्वामी नु [२४] जय जय श्री जिन वर्द्धमान, सोवन सम वान । सिंह लंछन सिद्धार्थ राय, त्रिशला सुत भान....१ वरस बहुत्तर आउ, देह कर सत्त प्रमाण । रिषभादिक सम जासु वंस, इक्ष्वाकु सुजाण....२ छ? भत्त संजम लियोओ, कुंडनामपुर ठाम । गणधर इग्यारे सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ चउद सहस मुनि स्वामि सीस, छतीस सहस । __ श्रमणी श्रावक एक लाख, गुण साठ सहस....४ तीन लाख सुश्राविका वलि, सहस अढार । मुरमातंग सिद्धायिका, नित सानिधकार....५ ___ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१०२] चैत्यवंदन एकाकी पावापुरीय, छ? भत्त सुह झाण । प्रभ पहुंता अमृत पदें, करो संघ कल्याण....६ - * श्री रामविजयजी कृत चोविसी ने अंते रचेल मंगल कलश त्यां भूलाई गयेलो होवाथी अत्रे बार चोविसी ने अंते मुकेल छ । जे जे जिन चोवीसनां, गुण कीर्तन करशे । ते नरने शिव - सुंदरी, आवी ने वरशे....१ अक्षय सुख माणे सदा, ते नर सोभागी।। जे जिन नमशे तेहनी, शुभ परिणति जागी....२ श्री सुमति विजय गुरु सेवता, वाधे सुखनी वेल । राम विजय जिन नामथी, करिये शिवसुख केल....३ द्रव्य सहायक पू. योगनिष्ठ आचार्य श्री विजय केशर सूरिश्वरजी म. सा ना आज्ञावतिनी नी पूज्य प्रतिनी साध्वी श्री नेम श्रीजी म. ना उपदेश थी- 'श्री नेम मंजुल वारि वज जैन स्वाध्याय मंदिर' मां आराधना करनार बहेनो तरफथी भेंट । २०४५ Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूज्य मुनि श्री दीपरत्नसागरजी (M.Com., M.Ed, ) द्वारा सम्पादित-संयोजित प्रकाशनो १. श्री नवकार महामंत्र नवलाख जाप नी नोधपोथी (सर्व प्रथम बखत, प्रत्येक माला के लिए अलग नोंध को सुविधा )-१४ आवति २. श्री चारित्र पद १ कोड जाप नी नांधपोथी (क्षायिक चारित्र प्राप्ति अर्थ )-३ आवति ३. श्री बारबत युस्तिका तथा अन्य नियमो सर्व प्रथम इबल कलर, विशिष्ट विभागीकरण तथा नियमो लेने की अत्यन्त सुविधायुक्त-३ आवृति ... ४. अभिनव जैन पंचांग-२०४२ (बुकलेट फोर्म) गुजराती में सूर्योदय से पूरीमडढ-कामलो का काल तथा शाम को दो घड़ी सहित का सर्व प्रथम प्रकाशन ५. अभिनव हेम लघ प्रक्रिया भाग १ सप्तांग विवरण ६. अभिनव हेम लघ प्रक्रिया भाग २ सप्तांग विवरण ७, अभिनव हेम लघ प्रक्रिया भाग ३ सप्तांग विवरण ... ८. अभिनव हेम लघ प्रक्रिया भाग ४ सप्तांग विवरण 8. कृदन्तमाला २५ धातु का २३ प्रकार से कृदन्त) १०. शत्र जय भक्ति- आवति (गुजराती). ११. श्री ज्ञानपद पूजा ...... १२. शत्रुजय भक्ति हिन्दी में-- आवति १३. चैत्यवन्दन पर्वमाला १४. चैत्यवन्दन संग्रह (जिन तीर्थ विशेष । १५. चैत्यवन्दन चोवोमी . . १६. अभिनव जैन पंचांग (हिन्दी में) २०४६..... [दिवाल पर लगाने का २०४२ बुकलेट जैसा प्रकाशक :- अभिनव श्रृत प्रकाशन प्रवीणचंद्र जेसंगलाल महेता प्रधान डाक घर ले पाले, जामनगर-36 0.00 (सौराष्ट्र Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARKHATRIKA XXXIKAR 卐द्रव्य सहायक) श्री भूपेन्द्रसिंहजी राजेशकुमारजी बोथरा, भीलवाड़ा पू. साध्वी श्री अनंतगुणाश्रीजी तथा तेमना शिष्या पू. साध्वी श्री अनंतयशाश्रीजी तथा पू. साध्वी श्री अनंतकोतिश्रीजी के सदुपदेश से छोटी सादड़ी के सुश्रावक भाईओ की ओर से श्री केशरीमलजी लक्ष्मीलालजी बण्डी श्री भेरूलालजी निर्मलकुमारजी नागौरी श्री शान्तिलालजी विमलकुमारजी नागौरी श्री अमृतलालजी ज्ञानचन्दजी लसोड़ श्री सोहनलालजी बाबूलालजी चपलोत श्री चम्पालालजी सोभागमलजी भावडिया श्री पूनमचन्दजी मदनलालजी दूग्गड श्री सुजानमलजी तेजावत श्री शान्तिलालजी अनिलकुमारजी मारू गुप्त सज्जनों की ओर से श्री सागरमलजी भामावत जोरन श्री सुजानमलजी केशरीमलजी गांग जावद वाले श्रीमती प्रेमलताबाई मानावत मनासा श्री कान्तिलालजी मानावत मनासा श्रीमती मोहनबाई डोसी व राजबाई पोरवाड नीमच श्रीमती इन्दिराबाई बावल वाले नीमच श्री नारायणजी कन्हैयालालजी लोढ़ा नीमच श्रीमती प्रेमकुवरबाई सुराणा नीमच श्रीमती पारसबाई पटवा कुकड़ेश्वर श्रीमती विमलाबाई ध. प. श्री हस्तीमलजी जैन नीमच KOKAYङ्गक : ज्ञानोदयह मुझ पडलय, जीजल की कार