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चैत्यवंदन
धनुष अढीसें देहमान, कोसंबीराय, श्रीधर धरणीधर पिता, जसु सुशीमा माय...२... त्रीस लाख पूरव तणुं अ, भोगवी जीवित मान, अविचल पदवी पामीओ, मान करे नितु ध्यान...३...
सुपार्श्वनाथ नु [७] सुपरि सुरजन सेविओ, सुखकारी सुपास, स्वस्तिक लंछन मांगलिक, सघळाने उल्लास...१ सोवन वन तनु दोयसें, धनुमान उत्तंग, बीश लाख पूरव तणुं, जीवित जस चंग...२... वाणारसी नयरी घणी, जिनवर जगविख्यात, पृथ्वी मात प्रतिष्ठ तात, मानविजय गुण गात...३...
चंद्रप्रभु नु [८] चंद्रप्रभु जिन चंद्रसौम्य, पुरी चंद्रा राय, कान्ति चंद्र हार्यो रहे, लंछन मसे पाय...१... लाख पूरव दश आय जास, जगमां विख्यात, नृप महसेन ने लक्ष्मणा, केरो अंगजात...२... दोढसो धनुष मित देहडी अ, जीवन जगदाधार, मानविजय कवियण कहे, आवागमन निवार...३...
सुविधिनाथ नु [६] सुविधि सुविधिसुं सेविअ, जिणे सुविधि प्रकाश्यो, आपे चारित्र आदरी, विधि योग अभ्यास्यो...१... काकंदी नृपति सुग्रीव, रामानो जायो, लाख पूरव जस दोय आय, शत धनुष प्रमायो...२...
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